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IGMC कैंसर अस्पताल में 3 सालों से धूल फांक रही करोड़ों की गामा कैमरा मशीन, मजबूरन PGI रेफर करने पड़ रहे मरीज - health services in IGMC Shimla

बीते 3 सालों से आईजीएमसी शिमला में धूल फांक रही करोड़ों की गामा कैमरा मशीन. जबूरन PGI रेफर करने पड़ रहे मरीज.

गामा कैमरा मशीन
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Published : Mar 29, 2019, 12:28 PM IST

शिमला: प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने का दावा करती नजर आ रही है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही बयां कर रही है.आईजीएमसी के कैंसर अस्प्ताल में मरीजों की स्कैनिंग के लिए लगाई गई गामा कैमरा मशीन बीते तीन साल से खराब पड़ी है.

अस्पताल प्रशासन की ओर से दो सालों से लगातार सरकार को पत्र लिखकर मशीन को दुरुस्त करवाने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. कैंसर अस्प्ताल में हर रोज सैकड़ों मरीज दूर-दराज के इलाकों से इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं, लेकिन अस्पताल में स्कैनिंग मशीन के ठीक न होने से मरीजों की कैंसर स्टेज का पता नहीं लग पा रहा है, जिस वजह से अस्पताल प्रशासन को मजबूरन लोगों का इलाज करवाने के लिए पीजीआई रेफर करना पड़ रहा है.

क्या है गामा कैमरा मशीन
शरीर की अंदरूनी बीमारी के जांच के लिए एक्स रे करवाया जाता है, जिससे अंदर की बीमारी का पता लगता है. इसी तरह गामा कैमरा मशीन भी शरीर के अंदर फैले कैंसर की जांच करती है, जिससे कैंसर की स्टेज का पता लगता है.
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का कहना है कि गामा कैमरा मशीन स्कैनींग के लिए सरकारी अस्पतालों में 400 रुपये से लेकर 800 रुपये फिस ली जाती है और वहीं, निजी अस्पतालों में ये टेस्ट करीब आठ हजार रुपये में होता है.
आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि कैंसर अस्प्ताल में मशीन तीन साल से खराब पड़ी है, जिसके लिए प्रदेश सरकार को बताया गया है और अगला फैसला सरकार लेगी.

शिमला: प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने का दावा करती नजर आ रही है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही बयां कर रही है.आईजीएमसी के कैंसर अस्प्ताल में मरीजों की स्कैनिंग के लिए लगाई गई गामा कैमरा मशीन बीते तीन साल से खराब पड़ी है.

अस्पताल प्रशासन की ओर से दो सालों से लगातार सरकार को पत्र लिखकर मशीन को दुरुस्त करवाने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. कैंसर अस्प्ताल में हर रोज सैकड़ों मरीज दूर-दराज के इलाकों से इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं, लेकिन अस्पताल में स्कैनिंग मशीन के ठीक न होने से मरीजों की कैंसर स्टेज का पता नहीं लग पा रहा है, जिस वजह से अस्पताल प्रशासन को मजबूरन लोगों का इलाज करवाने के लिए पीजीआई रेफर करना पड़ रहा है.

क्या है गामा कैमरा मशीन
शरीर की अंदरूनी बीमारी के जांच के लिए एक्स रे करवाया जाता है, जिससे अंदर की बीमारी का पता लगता है. इसी तरह गामा कैमरा मशीन भी शरीर के अंदर फैले कैंसर की जांच करती है, जिससे कैंसर की स्टेज का पता लगता है.
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का कहना है कि गामा कैमरा मशीन स्कैनींग के लिए सरकारी अस्पतालों में 400 रुपये से लेकर 800 रुपये फिस ली जाती है और वहीं, निजी अस्पतालों में ये टेस्ट करीब आठ हजार रुपये में होता है.
आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि कैंसर अस्प्ताल में मशीन तीन साल से खराब पड़ी है, जिसके लिए प्रदेश सरकार को बताया गया है और अगला फैसला सरकार लेगी.

Intro:कैंसर अस्प्ताल में 3 सालों से धूल फांक रही करोड़ो की गामा कैमरा मशीन
मशीन खराब होने से पीजीआई रैफर हो रहे सैंकड़ो मरीज
शिमला।
प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुबिधा को बेहतर होने का दावा करती आई है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही बयाँ करती हैं।आइजीएमसी के कैंसर अस्प्ताल में मरीजो के स्कैनिंग के लिए लगाई गई गामा कैमरा मशीन 3साल से खराब पड़ी है। अस्प्ताल प्रशासन की ओर से 2 सालो से लगातार सरकार को पत्र लिख कर भेजे जा रहे है कि मशीन ठीक करवा दो लेकिन सरकार कोई कार्रवाई करने को तैयार नही ।


Body:कैंसर अस्प्ताल में प्रतिदिन सैंकड़ो मरीज दूर दराज के इलाकों से इलाज के लिए आते है लेकिन यहाँ कैन्सर के मरीजो का स्केन ना होने के कारण कैंसर के स्टेज का पता नही लग पता ओर मरीज का इलाज नही हो पाता है ।अस्प्ताल में मौजूद चिकित्सको को मजबूरन मरीज को पीजीआई रैफर करना पड़ता है।
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क्या है गामा कैमरा मशीन
प्राय ब्यक्ति के अंदर बीमारी के जांच के लिए एक्स रे करवाया जाता है जिससे अंदर की बीमारी का पता लगता है उसी तरह गामा कैमरा मशीन मरीज के शरीर का स्कैन करके यह पता लगता है कि के कैंसर वास्तव मे कहा है और उसकी क्या स्टेज है। कैंसर के स्टेज का पता लगने से इलाज करना आसान हो जाता है।
कैंसर विशेषज्ञ चिकित्सको का कहना है कि अस्पताल में अधिकतर मरीज केंसर के अंतिम स्टेज में आते है जिससे उनको बचाना मुश्किल हो जाता है अगर मरीज में समय पर कैसंर का पता लग जाये तो उसका इलाज संभव है
आइजीएमसी के कैंसर अस्प्ताल में गामा कैमरा खराब होने से बीमारी का पता समय पर नही लग पाता है और मरीज में कैंसर की जांच के लिए पीजीआई रेफर करना पड़ता है।

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आइजीएमसी में होता था 400से 800 में जबकि निजी अस्पताल में फीस है 8000
विशेषज्ञ चिकित्सको ने बताया की हिमाचल में गमा कैमरा मशीन एक मात्र आइजीएमसी के कैन्सर अस्प्ताल में है लेकिन यहाँ भी 3साल से खराब पड़ी है। चिकित्सक मरीज को पीजीआई रेफर करते है लेकिन पीजीआई में भी मरीजो को लंबी डेट मिलती है।जिसके कारण मरीज को निजी अस्पताल में यह टेस्ट 8000 रुपय में करवाना पडता है जबकि सरकारी अस्पताल में यह 400 से 800 रुपय में हो जाता था। प्रायः गामा कैमरा 10 सालो तक ठीक काम कर सकता है उसके बाद उसकी गुणवत्ता ठीक नही रहती है लेकिन अजीएमसी के कैंसर अस्प्ताल में लगे मशीन 14 साल पुरानी है।
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3 चिकित्सक 3 सालो से मशीन की कर रहे रखवाली
कैंसर अस्प्ताल में गामा कैमरा मशीन में 6चिकित्सक तैनात थे लेकिन अब 3चिकित्सको का तबादला प्रदेश के अन्य अस्पतला में कर दिया है लेकिन 3 मेडिकल ऑफिसर चिकित्सक अभी भी कैंसर अस्पताल में तैनात है जो मशीन के ठीक होने की आस लगाए बैठे है कि कब मशीन ठीक हो और उन्हें काम मिले । ये चिकित्सक अस्प्ताल प्रतिदिन इस उम्मीद में आते है कि शायद सरकार मशीन ठीक।करने को कहे तो वो भी काम करे लेकिन 3चिकित्सक अस्पताल में बेकार बैठने को मजबूर हैं ।आईजीएसमी में अन्य जगह चिकित्सको की कमी होने के बाबजूद भी आईजीएमसी प्रशासन इन तीनो चिकित्सको को कहि अन्य स्थान पर काम पर लगाने की जुर्रत नही कर पा रहा है।



Conclusion:इस सम्बनध में अस्प्ताल के एमएस डॉ जनक राज ने बताया कि कैसंर अस्प्ताल में मशीन 3साल से खराब पड़ी है प्रशासन ने सरकार को प्रपोसल सरकार को भेजा है अगला फैसला सरकार ही लेगी
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