शिमला: प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने का दावा करती नजर आ रही है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही बयां कर रही है.आईजीएमसी के कैंसर अस्प्ताल में मरीजों की स्कैनिंग के लिए लगाई गई गामा कैमरा मशीन बीते तीन साल से खराब पड़ी है.
अस्पताल प्रशासन की ओर से दो सालों से लगातार सरकार को पत्र लिखकर मशीन को दुरुस्त करवाने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. कैंसर अस्प्ताल में हर रोज सैकड़ों मरीज दूर-दराज के इलाकों से इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं, लेकिन अस्पताल में स्कैनिंग मशीन के ठीक न होने से मरीजों की कैंसर स्टेज का पता नहीं लग पा रहा है, जिस वजह से अस्पताल प्रशासन को मजबूरन लोगों का इलाज करवाने के लिए पीजीआई रेफर करना पड़ रहा है.
क्या है गामा कैमरा मशीन
शरीर की अंदरूनी बीमारी के जांच के लिए एक्स रे करवाया जाता है, जिससे अंदर की बीमारी का पता लगता है. इसी तरह गामा कैमरा मशीन भी शरीर के अंदर फैले कैंसर की जांच करती है, जिससे कैंसर की स्टेज का पता लगता है.
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का कहना है कि गामा कैमरा मशीन स्कैनींग के लिए सरकारी अस्पतालों में 400 रुपये से लेकर 800 रुपये फिस ली जाती है और वहीं, निजी अस्पतालों में ये टेस्ट करीब आठ हजार रुपये में होता है.
आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि कैंसर अस्प्ताल में मशीन तीन साल से खराब पड़ी है, जिसके लिए प्रदेश सरकार को बताया गया है और अगला फैसला सरकार लेगी.