ETV Bharat / state

विपक्ष के वॉकआउट के बीच FRBM संशोधन विधेयक पास, कांग्रेस बोली- हम नहीं बनेंगे पाप के भागीदार

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की गैर मौजूदगी में विधानसभा में गुरूवार को एफआरबीएम यानी फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट विपक्ष के हंगामे के बावजूद ध्वनिमत से पारित हो गया. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने सुरेश भारद्वाज को चेताया कि उनके हाथों से सरकार ये गलत काम करवाने जा रही है. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि विपक्ष के सदस्य बोलने से पहले बिल को पढ़ते नहीं हैं. ये बिल सिर्फ वर्ष 2019-20 के लिए है.

FRBM Bill passed in himachal pradesh vidhansabha
विपक्ष के वॉकआउट के बीच FRBM संशोधन विधेयक पास
author img

By

Published : Mar 18, 2021, 8:17 PM IST

शिमलाः मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की गैर मौजूदगी में विधानसभा में गुरूवार को एफआरबीएम यानी फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट विपक्ष के हंगामे के बावजूद ध्वनिमत से पारित हो गया. कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया और कहा कि सरकार प्रदेश को दिवालिया बना रही है. कर्ज लेने की लिमिट बढ़ाई जा रही है और विपक्ष इस पाप में भागीदार नहीं बनेगा. माकपा विधायक राकेश सिंघा ने बिल पर संशोधन मूव किया. उन्होंने कहा कि बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाए. कांग्रेस का कहना था कि इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. कैबिनेट में इसे डिस्कस किया जाए.

सत्ता पक्ष अपने साथ विपक्ष को लेकर दिल्ली चले और केंद्र सरकार से बेल आउट पैकेज की मांग करे. बाद में विपक्ष के बहिर्गमन के बावजूद संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया. विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश सरकारों द्वारा बीते सालों में कर्ज की तय सीमा से अधिक लिए गए लोन नियमित हो गए हैं. वित्तीय वर्ष 2019-20 व इससे पहले के सालों में सरकारों ने तय सीमा से अधिक कर्ज लिया था. लिहाजा तब लिए गए लोन को विधायिका की स्वीकृति प्रदान करने के मकसद से सरकार ने एफआरबीएम एक्ट में संशोधन किया है.

एफआरबीएम में बढ़ानी पड़ रही कर्ज लेने की सीमा

शहरी विकास मंत्री ने विपक्ष के हंगामे के बीच सदन में स्पष्ट किया कि सरकार को 2019-20 में कैंपा फंड से 1600 करोड़ की रकम मिली थी. उन्होंने कहा कि कैंपा के तहत मिली राशि कर्ज में जुड़ती है. लिहाजा सरकार को सिर्फ इसी साल के लिए एफआरबीएम में कर्ज लेने की सीमा बढ़ानी पड़ रही है.

माकपा के राकेश सिंघा के सवालों का जवाब देते हुए सुरेश भारद्वाज ने कहा कि बीते साल बजट सत्र के बाद कोरोना के चलते लॉकडाउन रहा. विधानसभा का शीतकालीन सत्र नहीं हुआ. लिहाजा सरकार मौजूदा बजट सत्र में इस संशोधन को लेकर आ रही है. राकेश सिंघा ने यही कहा था कि यदि जीडीपी के तीन फीसदी से अधिक लोन लिया गया था, तो उसे जल्द से जल्द विधेयक के जरिए रेगुलर क्यों नहीं किया गया.

विधेयक पर चर्चा के दौरान माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि सीएजी व 14 वें वित्तायोग ने प्रदेश सरकार को एफआरबीएम कानून में संशोधन को कहा था. मगर सरकार केंद्र की हिदायत पर कानून में संशोधन कर रही है. उन्होंने कहा कि कानून में संशोधन कर कर्ज लेने की सीमा बढ़ने से प्रदेश कर्ज के मकड़जाल में फंस जाएगा. सिंघा ने कहा कि सरकार को इस संशोधन विधेयक को विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए. साथ ही समूचे मंत्रिमंडल के साथ मुख्यमंत्री को केंद्र के समक्ष प्रदेश के हकों की बात करनी चाहिए.

पढ़ेंः लोन लिमिट बिल पर हंगामा: सुरेश भारद्वाज बोले- वीरभद्र सिंह के समय लिया लोन वापिस कर रही जयराम सरकार

'विपक्ष नहीं बनेगा पाप में भागीदार'

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री कहा कि सरकार कानून में संशोधन कर कर्ज लेने की सीमा बढ़ाना चाहती है. इस पाप में विपक्ष भागीदार नहीं बनेगा. उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश की वित्तीय स्थिति खराब थी तो फिर सरकार ने बजट में खुलासा क्यों नहीं किया? कर्ज के बजाय बजट में बेहतर वित्तीय प्रबंधन की बात है. उन्होंने कहा कि जीएसटी कंपनसेशन के बदले राज्य सरकार अतिरिक्त लोन क्यों ले? केंद्र सरकार ये लोन लेकर राज्य को दे. अगर ऐसा न हुआ तो ब्याज की देनदारी हमारे ऊपर आएगी.

इसके बाद नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने सुरेश भारद्वाज को चेताया कि उनके हाथों से सरकार ये गलत काम करवाने जा रही है. कर्ज लेकर राज्य की आर्थिक स्थिति दिवालिए की हो जाएगी और केंद्र हिमाचल को यूनियन टैरेटरी बना देगा. फिर प्रशासक इसे चलाएंगे और आने वाली पीढ़ी आपको कोसेगी. आशा कुमारी, हर्षवर्धन सिंह चौहान और जगत सिंह नेगी भी बिल के विरोध में अपनी बात रखी.

'विपक्ष के सदस्य बोलने से पहले बिल पढ़ते नहीं'

शहरी विकास व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि विपक्ष के सदस्य बोलने से पहले बिल को पढ़ते नहीं है. ये बिल सिर्फ वर्ष 2019-20 के लिए है. इस साल कैंपा के 1600 करोड़ केंद्र सरकार से आने के कारण लोन लिमिट बढ़ी हुई दिख रही है. क्योंकि 2005 के एफआरबीएम एक्ट के कारण हम 3 फीसदी से ऊपर नहीं जा सकते, इसलिए इसे रेगुलर करने के लिए ये बिल लाया जा रहा है. ये अगले सालों के लिए नहीं है. आगे यदि जरूरत पड़ेगी तो फिर से सदन में आएंगे. वीरभद्र सिंह सरकार ने 3 फीसदी से अधिक घाटा किया था, लेकिन इसे सदन से रेगुलर नहीं करवाया. अब ऑडिट आब्जेक्शन के बाद हमें ये करना पड़ रहा है.

सुरेश भारद्वाज ने पूर्व कांग्रेस सरकारों के लोन के आंकड़े रखना जैसे ही शुरू किये, कांग्रेस के विधायक सदन से नारे लगाते हुए वाकआउट कर गये. इनके साथ माकपा विधायक राकेश सिंघा नहीं गये, लेकिन ये बाद में इनकी ओर से मूव किया गया संशोधन रिजेक्ट होने के बाद बाहर गए.

ये भी पढ़ेंः 3 साल में महिलाओं से छेड़छाड़ के सबसे अधिक मामले मंडी में, लाहौल में रेप का एक भी केस नहीं

शिमलाः मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की गैर मौजूदगी में विधानसभा में गुरूवार को एफआरबीएम यानी फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट विपक्ष के हंगामे के बावजूद ध्वनिमत से पारित हो गया. कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया और कहा कि सरकार प्रदेश को दिवालिया बना रही है. कर्ज लेने की लिमिट बढ़ाई जा रही है और विपक्ष इस पाप में भागीदार नहीं बनेगा. माकपा विधायक राकेश सिंघा ने बिल पर संशोधन मूव किया. उन्होंने कहा कि बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाए. कांग्रेस का कहना था कि इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. कैबिनेट में इसे डिस्कस किया जाए.

सत्ता पक्ष अपने साथ विपक्ष को लेकर दिल्ली चले और केंद्र सरकार से बेल आउट पैकेज की मांग करे. बाद में विपक्ष के बहिर्गमन के बावजूद संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया. विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश सरकारों द्वारा बीते सालों में कर्ज की तय सीमा से अधिक लिए गए लोन नियमित हो गए हैं. वित्तीय वर्ष 2019-20 व इससे पहले के सालों में सरकारों ने तय सीमा से अधिक कर्ज लिया था. लिहाजा तब लिए गए लोन को विधायिका की स्वीकृति प्रदान करने के मकसद से सरकार ने एफआरबीएम एक्ट में संशोधन किया है.

एफआरबीएम में बढ़ानी पड़ रही कर्ज लेने की सीमा

शहरी विकास मंत्री ने विपक्ष के हंगामे के बीच सदन में स्पष्ट किया कि सरकार को 2019-20 में कैंपा फंड से 1600 करोड़ की रकम मिली थी. उन्होंने कहा कि कैंपा के तहत मिली राशि कर्ज में जुड़ती है. लिहाजा सरकार को सिर्फ इसी साल के लिए एफआरबीएम में कर्ज लेने की सीमा बढ़ानी पड़ रही है.

माकपा के राकेश सिंघा के सवालों का जवाब देते हुए सुरेश भारद्वाज ने कहा कि बीते साल बजट सत्र के बाद कोरोना के चलते लॉकडाउन रहा. विधानसभा का शीतकालीन सत्र नहीं हुआ. लिहाजा सरकार मौजूदा बजट सत्र में इस संशोधन को लेकर आ रही है. राकेश सिंघा ने यही कहा था कि यदि जीडीपी के तीन फीसदी से अधिक लोन लिया गया था, तो उसे जल्द से जल्द विधेयक के जरिए रेगुलर क्यों नहीं किया गया.

विधेयक पर चर्चा के दौरान माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि सीएजी व 14 वें वित्तायोग ने प्रदेश सरकार को एफआरबीएम कानून में संशोधन को कहा था. मगर सरकार केंद्र की हिदायत पर कानून में संशोधन कर रही है. उन्होंने कहा कि कानून में संशोधन कर कर्ज लेने की सीमा बढ़ने से प्रदेश कर्ज के मकड़जाल में फंस जाएगा. सिंघा ने कहा कि सरकार को इस संशोधन विधेयक को विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए. साथ ही समूचे मंत्रिमंडल के साथ मुख्यमंत्री को केंद्र के समक्ष प्रदेश के हकों की बात करनी चाहिए.

पढ़ेंः लोन लिमिट बिल पर हंगामा: सुरेश भारद्वाज बोले- वीरभद्र सिंह के समय लिया लोन वापिस कर रही जयराम सरकार

'विपक्ष नहीं बनेगा पाप में भागीदार'

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री कहा कि सरकार कानून में संशोधन कर कर्ज लेने की सीमा बढ़ाना चाहती है. इस पाप में विपक्ष भागीदार नहीं बनेगा. उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश की वित्तीय स्थिति खराब थी तो फिर सरकार ने बजट में खुलासा क्यों नहीं किया? कर्ज के बजाय बजट में बेहतर वित्तीय प्रबंधन की बात है. उन्होंने कहा कि जीएसटी कंपनसेशन के बदले राज्य सरकार अतिरिक्त लोन क्यों ले? केंद्र सरकार ये लोन लेकर राज्य को दे. अगर ऐसा न हुआ तो ब्याज की देनदारी हमारे ऊपर आएगी.

इसके बाद नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने सुरेश भारद्वाज को चेताया कि उनके हाथों से सरकार ये गलत काम करवाने जा रही है. कर्ज लेकर राज्य की आर्थिक स्थिति दिवालिए की हो जाएगी और केंद्र हिमाचल को यूनियन टैरेटरी बना देगा. फिर प्रशासक इसे चलाएंगे और आने वाली पीढ़ी आपको कोसेगी. आशा कुमारी, हर्षवर्धन सिंह चौहान और जगत सिंह नेगी भी बिल के विरोध में अपनी बात रखी.

'विपक्ष के सदस्य बोलने से पहले बिल पढ़ते नहीं'

शहरी विकास व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि विपक्ष के सदस्य बोलने से पहले बिल को पढ़ते नहीं है. ये बिल सिर्फ वर्ष 2019-20 के लिए है. इस साल कैंपा के 1600 करोड़ केंद्र सरकार से आने के कारण लोन लिमिट बढ़ी हुई दिख रही है. क्योंकि 2005 के एफआरबीएम एक्ट के कारण हम 3 फीसदी से ऊपर नहीं जा सकते, इसलिए इसे रेगुलर करने के लिए ये बिल लाया जा रहा है. ये अगले सालों के लिए नहीं है. आगे यदि जरूरत पड़ेगी तो फिर से सदन में आएंगे. वीरभद्र सिंह सरकार ने 3 फीसदी से अधिक घाटा किया था, लेकिन इसे सदन से रेगुलर नहीं करवाया. अब ऑडिट आब्जेक्शन के बाद हमें ये करना पड़ रहा है.

सुरेश भारद्वाज ने पूर्व कांग्रेस सरकारों के लोन के आंकड़े रखना जैसे ही शुरू किये, कांग्रेस के विधायक सदन से नारे लगाते हुए वाकआउट कर गये. इनके साथ माकपा विधायक राकेश सिंघा नहीं गये, लेकिन ये बाद में इनकी ओर से मूव किया गया संशोधन रिजेक्ट होने के बाद बाहर गए.

ये भी पढ़ेंः 3 साल में महिलाओं से छेड़छाड़ के सबसे अधिक मामले मंडी में, लाहौल में रेप का एक भी केस नहीं

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.