मंडी: हिमाचल पहुंचे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बांसुरी वादक उस्ताद मुजतबा हुसैन ने बांसुरी वादन में युवाओं के घटते रुझान पर चिंता जाहिर की. हिमाचल पहुंचे उस्ताद मुजतबा की दिली इच्छा है कि हिमाचल के पहाड़ों में बांसुरी की मंत्रमुग्ध कर देने वाली धुन गूंजे. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए उस्ताद मुजतबा हुसैन ने कहा कि युवा इस तरफ आने से हिचक रहे हैं और यह बेहद चिंतनीय है.
शनिवार को मंडी में उन्होंने एक कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को बांसुरी वादन के टिप्स दिए. उस्ताद मुजतबा हुसैन 250 से अधिक हिंदी फिल्मों में अपनी बांसुरी की मधुर धुन का जादू बिखेर चुके हैं. उस्ताद मुजतबा ने बांसुरी वादन की महारत अपने पिता से सीखी है और अब वे इसे आगे बढ़ा रहे हैं. उस्ताद मुजतबा ने बताया कि सुरीली बांसुरी बजाने के लिए लंबे समय तक अभ्यास करना पड़ता है और बांसुरी वादन में युवाओं का रुझान बढ़ाने में वो लगातार प्रयासरत है.
मुजतबा इसके लिए एक किताब भी प्रकाशित कर रहे हैं, जिसमें बांसुरी वादन की बारीकियां बताई जाएंगी. उस्ताद मुजतबा ने बताया कि बांसुरी वादन के लिए शुरुआती दौर में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जबकि युवा इतना फोकस नहीं करते और बांसुरी वादन में ग्लैमर न होने के कारण इस फील्ड से दूर हो रहे हैं.
उस्ताद मुजतबा का परिवार देश का पहला ऐसा मुस्लिम परिवार है, जिन्होंने बांसुरी वादन का काम किया है. मुजतबा का कहना है कि वह यह सुनकर गौरवान्वित महसूस करते हैं कि उनके परिवार ने देश मे एक नई शुरुआत की थी, जिसे वह भी आगे बढ़ा रहे हैं.