शिमला: केंद्र सरकार से वित्त आयोग की ग्रांट कम होने और जीएसटी की मुआवजा राशि बंद होने से हिमाचल में राजकोषीय घाटे का संकट गहराने (Fiscal Deficit in Himachal) लगा है. हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Himachal Assembly winter session) में सदन के पटल पर रखी गई कैग की रिपोर्ट में राज्य के लिए चिंताजनक खबर (CAG report in Himachal Assembly winter session) है. हिमाचल का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है. मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.84 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है.
दरअसल हिमाचल प्रदेश को केंद्र से जीएसटी का कंपनसेशन मिलना बंद हो गया है. वहीं वित्त आयोग की ग्रांट में भी साल दर साल कमी आई है. लगातार बढ़ रहे राजस्व घाटे के कारण बिगड़ रही आर्थिक स्थिति पर भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक यानी कैग ने अपनी रिपोर्ट में गंभीर सवाल उठाए हैं. कैग ने टिप्पणी दर्ज की है कि हिमाचल सरकार को एफआरबीएम कानून के प्रावधानों के मुताबिक राजस्व घाटा नियंत्रित करने की जरूरत है.
कैग की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान रेवेन्यू रिसिप्टस यानी राजस्व प्राप्तियां 37110.67 करोड़ रहने का अनुमान है. राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व के तौर पर 11268.14 करोड़, गैर कर राजस्व के रूप में 2797.99 करोड़ रुपए, केंद्रीय करों में हिमाचल की हिस्सेदारी की रूप में 18770.42 करोड़ रूपए के अलावा केंद्रीय अनुदान के तौर पर खजाने में 4274.4 करोड़ आने का अनुमान है.
केंद्र से जीएसटी मुआवजे के तौर पर राज्य को मिलने वाला हिस्सा जून 2022 से बंद हो गया है. इसका परिणाम यह हुआ कि मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार को केंद्र से जीएसटी कंपनसेशन के रूप में मिलने वाले 558.37 करोड़ रूपए का नुकसान होगा. वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद हिमाचल में पेंशनरों को एरियर के भुगतान पर सरकार को 1009.80 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा.(CAG report on Himachal Govt).
नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन दोनों मदों से प्रदेश का राजस्व घाटा 1456.32 करोड़ होगा. साथ ही राजकोषीय घाटा 1642.49 करोड़ तक पहुंच जाएगा. एफआरबीएम प्रावधानों के तहत राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। मगर यह 5.84 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है. नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में राजकोषीय घाटा नियंत्रित करने के लिए सरकार ने अनुत्पादक खर्चों को कम करने, बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं यानी एक्सटर्नल एडेड प्रोजेक्टस के लिए केंद्रीय मदद से धन जुटाने की सलाह दी गई है.
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