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27 साल पहले बजी थी देश में मोबाइल की पहली घंटी, पंडित सुखराम ने कहा था पहला HELLO

इस समय पूरी दुनिया मोबाइल में कैद है और मोबाइल कैद है इंसान की मुट्ठी में, लेकिन ये जानना दिलचस्प होगा कि मोबाइल से पहली बार HELLO किसने और कब कहा था. संचार क्रांति के मसीहा कहे जाने वाले पंडित सुखराम अब हमारे बीच नहीं हैं. पंडित सुखराम ही वो शख्स थे जिन्हें मोबाइल पर पहला कॉल रिसीव हुआ था. इस फोन के बारे में हर दिलचस्प पहलू जानने के लिए पढ़ें पूरी ख़बर

पंडित सुखराम
पंडित सुखराम
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Published : May 11, 2022, 12:10 PM IST

शिमला: आज मोबाइल के बिना कुछ मिनट गुजारना नामुमकिन सा है. खाना मंगाने से लेकर कैब मंगाने तक और शॉपिंग से लेकर जॉब सर्च तक सबकुछ मोबाइल पर हो रहा है. दरअसल ये मोबाइल क्रांति का दौर है, जहां ये छोटा सा गैजेट जरूरत बन गया है. क्या आप जानते हैं कि देश में पहला मोबाइल फोन कॉल (first mobile phone call) कब किया गया ? ये कॉल किसने-किसको की थी ? और उस कॉल के दौरान क्या बातचीत हुई ?. पढ़िये देश के पहले मोबाइल फोन कॉल के पीछे की पूरी कहानी (Story Behind India's First Mobile Phone Call).

आज हम जिस सूचना क्रांति या खास तौर पर मोबाइल क्रांति के दौर में जी रहे हैं उसकी शुरुआत शुरुआत 27 साल पहले हुई (first ever mobile call) थी. जब देश में मोबाइल की पहली घंटी बजी थी. इस क्रांति का श्रेय पूर्व टेलीकॉम मंत्री पंडित सुखराम को जाता है. संचार क्रांति के मसीहा कहे जाने वाले पंडित सुखराम के निधन (Pandit Sukh Ram passes away) के बाद अब उनकी स्मृतियां ही बाकी हैं. इन्हीं पंडित सुखराम ने मोबाइल से पहली हैलो कही थी.

31 जुलाई 1995 को पहली मोबाइल कॉल- यही वो दिन था जब पहली बार मोबाइल कॉल पर दो लोगों की बात हुई थी. जिन दो नेताओं की आपस में बात हुई थी उनमें से एक थे पंडित सुखराम और दूसरी तरफ से पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु. उस पहली कॉल को आज 27 बरस बीत चुके हैं और जिस मोबाइल का इजाद एक-दूसरे से बात करने के लिए हुआ था, वो मोबाइल आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन चुका है. आज बच्चों के गेम खेलने से लेकर महिलाओं के खाना बनाने और ऑनलाइन क्लास से लेकर फिल्म देखने तक में इसका इस्तेमाल हो रहा है.

कोलकाता से दिल्ली मिलाया गया था फोन- देश में पहला मोबाइल कॉल कोलकाता से दिल्ली मिलाया गया था. ये मोबाइल कॉल ज्योति बसु ने कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग से दिल्ली के संचार भवन में मिलाया गया था, जहां तत्कालीन संचार मंत्री पंडित सुखराम बैठे हुए थे. ये मोबाइल कॉल मोदी टेलस्ट्रा मोबाइलनेट सर्विस (Pandit sukh ram and jyoti basu) के माध्यम से की गई थी.

मोबाइल पर पंडित सुखराम ने कहा था पहला Hello- फोन उठाते ही पहला शब्द हैलो निकलता है, ये शब्द आज भले आम हो गया हो लेकिन मोबाइल पर सबसे पहले पंडित सुखराम ने ये शब्द बोला था. 31 जुलाई 1995 को ज्योति बसु ने पंडित सुखराम को फोन मिलाया तो पंडित सुखराम ने फोन उठाते ही हैलो कहा था. आज भारत मोबाइल यूजर्स के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में शुमार है.

16 रुपये की थी कॉल- आज मोबाइल फोन पर लगभग मुफ्त या फिर नाम मात्र की कीमत अदा करके बातचीत होती है. आज की पीढ़ी को ये जानकर हैरानी होगी कि देश में पहली मोबाइल कॉल के लिए 16 रुपये लगे थे. ज्योति बसु और पंडित सुखराम के बीच हुई बातचीत के लिए भी 16 रुपये प्रति मिनट की दर से चार्ज आया था.

दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई थी- उस समय पंडित सुखराम ने ज्योति बसु से कहा था कि यह प्रणाली देश में क्रांति लाएगी. देश के विख्यात उद्योगपति भूपेंद्र कुमार मोदी की भी इसमें अहम भूमिका थी. आज मोबाइल के क्षेत्र में जिस क्रांति को देख रहे हैं उसकी नींव 27 साल पहले रखी गई थी.

संचार क्रांति के जनक- पंडित सुखराम को भारत में संचार क्रांति का जनक कहा जाता है. उनके कारण हिमाचल प्रदेश में भी नब्बे के दशक में लैंडलाइन फोन आ गए थे. उस वक्त हिमाचल के ग्रामीण अंचलों तक में फोन लगे थे तब लैंडलाइन फोन के लिए डेढ़ हजार रुपए सिक्योरिटी मनी डिपॉजिट करवानी पड़ती थी. हिमाचल में लैंडलाइन फोन लगने से आलू व्यापारियों को लाभ हुआ था. वे दिल्ली से सीधे रेट कन्फर्म कर लेते थे और फिर आलू की खेप दिल्ली जाती थी. तब हिमाचल में लैंड लाइन फोन दो अंकों का होता था. बाद में वो बढक़र तीन अंकों का हुआ और फिर धीरे-धीरे दस अंकों तक पहुंचा.

ये भी पढ़ें :पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम का निधन, प्रदेश में शोक की लहर

शिमला: आज मोबाइल के बिना कुछ मिनट गुजारना नामुमकिन सा है. खाना मंगाने से लेकर कैब मंगाने तक और शॉपिंग से लेकर जॉब सर्च तक सबकुछ मोबाइल पर हो रहा है. दरअसल ये मोबाइल क्रांति का दौर है, जहां ये छोटा सा गैजेट जरूरत बन गया है. क्या आप जानते हैं कि देश में पहला मोबाइल फोन कॉल (first mobile phone call) कब किया गया ? ये कॉल किसने-किसको की थी ? और उस कॉल के दौरान क्या बातचीत हुई ?. पढ़िये देश के पहले मोबाइल फोन कॉल के पीछे की पूरी कहानी (Story Behind India's First Mobile Phone Call).

आज हम जिस सूचना क्रांति या खास तौर पर मोबाइल क्रांति के दौर में जी रहे हैं उसकी शुरुआत शुरुआत 27 साल पहले हुई (first ever mobile call) थी. जब देश में मोबाइल की पहली घंटी बजी थी. इस क्रांति का श्रेय पूर्व टेलीकॉम मंत्री पंडित सुखराम को जाता है. संचार क्रांति के मसीहा कहे जाने वाले पंडित सुखराम के निधन (Pandit Sukh Ram passes away) के बाद अब उनकी स्मृतियां ही बाकी हैं. इन्हीं पंडित सुखराम ने मोबाइल से पहली हैलो कही थी.

31 जुलाई 1995 को पहली मोबाइल कॉल- यही वो दिन था जब पहली बार मोबाइल कॉल पर दो लोगों की बात हुई थी. जिन दो नेताओं की आपस में बात हुई थी उनमें से एक थे पंडित सुखराम और दूसरी तरफ से पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु. उस पहली कॉल को आज 27 बरस बीत चुके हैं और जिस मोबाइल का इजाद एक-दूसरे से बात करने के लिए हुआ था, वो मोबाइल आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन चुका है. आज बच्चों के गेम खेलने से लेकर महिलाओं के खाना बनाने और ऑनलाइन क्लास से लेकर फिल्म देखने तक में इसका इस्तेमाल हो रहा है.

कोलकाता से दिल्ली मिलाया गया था फोन- देश में पहला मोबाइल कॉल कोलकाता से दिल्ली मिलाया गया था. ये मोबाइल कॉल ज्योति बसु ने कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग से दिल्ली के संचार भवन में मिलाया गया था, जहां तत्कालीन संचार मंत्री पंडित सुखराम बैठे हुए थे. ये मोबाइल कॉल मोदी टेलस्ट्रा मोबाइलनेट सर्विस (Pandit sukh ram and jyoti basu) के माध्यम से की गई थी.

मोबाइल पर पंडित सुखराम ने कहा था पहला Hello- फोन उठाते ही पहला शब्द हैलो निकलता है, ये शब्द आज भले आम हो गया हो लेकिन मोबाइल पर सबसे पहले पंडित सुखराम ने ये शब्द बोला था. 31 जुलाई 1995 को ज्योति बसु ने पंडित सुखराम को फोन मिलाया तो पंडित सुखराम ने फोन उठाते ही हैलो कहा था. आज भारत मोबाइल यूजर्स के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में शुमार है.

16 रुपये की थी कॉल- आज मोबाइल फोन पर लगभग मुफ्त या फिर नाम मात्र की कीमत अदा करके बातचीत होती है. आज की पीढ़ी को ये जानकर हैरानी होगी कि देश में पहली मोबाइल कॉल के लिए 16 रुपये लगे थे. ज्योति बसु और पंडित सुखराम के बीच हुई बातचीत के लिए भी 16 रुपये प्रति मिनट की दर से चार्ज आया था.

दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई थी- उस समय पंडित सुखराम ने ज्योति बसु से कहा था कि यह प्रणाली देश में क्रांति लाएगी. देश के विख्यात उद्योगपति भूपेंद्र कुमार मोदी की भी इसमें अहम भूमिका थी. आज मोबाइल के क्षेत्र में जिस क्रांति को देख रहे हैं उसकी नींव 27 साल पहले रखी गई थी.

संचार क्रांति के जनक- पंडित सुखराम को भारत में संचार क्रांति का जनक कहा जाता है. उनके कारण हिमाचल प्रदेश में भी नब्बे के दशक में लैंडलाइन फोन आ गए थे. उस वक्त हिमाचल के ग्रामीण अंचलों तक में फोन लगे थे तब लैंडलाइन फोन के लिए डेढ़ हजार रुपए सिक्योरिटी मनी डिपॉजिट करवानी पड़ती थी. हिमाचल में लैंडलाइन फोन लगने से आलू व्यापारियों को लाभ हुआ था. वे दिल्ली से सीधे रेट कन्फर्म कर लेते थे और फिर आलू की खेप दिल्ली जाती थी. तब हिमाचल में लैंड लाइन फोन दो अंकों का होता था. बाद में वो बढक़र तीन अंकों का हुआ और फिर धीरे-धीरे दस अंकों तक पहुंचा.

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