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युग हत्याकांड: 8 साल पहले बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया था 4 साल का मासूम, अब आई न्याय की घड़ी - न्याय की घड़ी

राजधानी शिमला में आठ साल पहले हुए एक जघन्य अपराध की घटना (Yug murder case of Shimla) में पीड़ित परिवार आज भी न्याय का इंतजार कर रहा है. शिमला के युग हत्याकांड में 18 अप्रैल को अंतिम सुनवाई होनी है. यह मामला जून 2014 का है, जब एक कारोबारी के चार साल के मासूम बच्चे का अपहरण कर उसे बेदर्दी से मार दिया गया था. वहीं, वर्ष 2018 में शिमला की स्थानीय अदालत ने तीन दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी और मौत की सजा पर पुष्टिकरण के लिए मामला हाईकोर्ट में गया था. इसी मामले को लेकर अब हाईकोर्ट इसमें अंतिम सुनवाई करेगा.

Yug Murder case Shimla
युग हत्याकांड शिमला
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Published : Apr 2, 2022, 8:14 PM IST

Updated : Apr 3, 2022, 8:43 AM IST

शिमला: कुछ जख्म ऐसे होते हैं, जो वक्त के साथ भी नहीं भरते. आठ साल पहले शिमला में एक जघन्य अपराध की घटना (Yug murder case of Shimla) हुई थी. शिमला के एक कारोबारी के चार साल के मासूम बच्चे का अपहरण किया गया था. दुखद बात यह थी कि अपहरण करने वाले कोई दूर के नहीं बल्कि पड़ोसी ही थे. बाद में अपहरणकर्ताओं ने मासूम को बेदर्दी से मार डाला था. चार साल पहले वर्ष 2018 में शिमला की स्थानीय अदालत ने तीन दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी. बाद में मौत की सजा पर पुष्टिकरण के लिए मामला हाईकोर्ट में गया था.

अब लंबे इंतजार के बाद न्याय की घड़ी आई है. हाईकोर्ट (High court on Yug murder case) में इस मामले में 18 अप्रैल को अंतिम सुनवाई होगी. इससे पहले मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में कई बार सुनवाई टलती रही है. अब 18 अप्रैल को इसमें अंतिम सुनवाई तय की गई है. न्याय की इस घड़ी का इंतजार न केवल मासूम के परिजनों को है, बल्कि शहर की जनता भी अदालत के फैसले की प्रतीक्षा कर रही है. यहां इस दर्दनाक और दिल दहला देने वाले जघन्य अपराध के बारे में जानना जरूरी है. ताकि निकट भविष्य में कोई मासूम ऐसे क्रूर अपराधियों का निशाना न बने.

2014 में हुआ था युग का अपहरण: जून 2014 में शिमला के राम बाजार (Ram bazar of shimla) के एक कारोबारी के चार साल के बच्चे का अपहरण कर लिया गया था. दो साल बाद अगस्त 2016 में शिमला के भराड़ी पेयजल टैंक से एक बच्चे का कंकाल मिला था. बाद में फॉरेंसिक जांच से पुष्टि हुई कि यह युग का ही कंकाल है. इस केस को सुलझाने के जिम्मा सीआईडी को दिया गया था. जांच एजेंसी ने डिजिटल एविडेंस जुटाए थे. बाद में शिमला की स्थानीय अदालत में इन्हीं मजबूत और वैज्ञानिक साक्ष्यों के कारण दोषियों को सजा मिली थी.

कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर शराब पिलाते रहे: राम बाजार के रहने वाले चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बक्शी ने मिलकर चार वर्षीय युग का अपहरण किया था. तीनों दरिंदे उसे लेकर शिमला के एक निजी मकान में तड़पाते रहे. मासूम बच्चे को शिमला के बैनमोर इलाके में किराए के भवन में यातनाएं दी गईं. मासूम बच्चे को अपहरण करने वाले कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर शराब पिलाते रहे. यातनाएं देने के साथ-साथ वे दरिंदे ट्रेसिंग पेपर पर फिरौती पत्र लिखते रहे. उन्होंने युग को छोड़ने के बदले चार करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी. पड़ोसी होने के बावजूद उनका दिल नहीं पसीजा.

चोरी के मोबाइल से पुलिस को मिला था सुराग: युग उन्हें जानता था और वे चॉकलेट आदि के लालच में उसे अपने साथ ले गए थे. तीनों दरिंदे इतने शातिर थे कि दिन में परिवार के साथ सहानुभूति जताते हुए पुलिस के साथ युग को तलाशने का नाटक करते. वे इतने क्रूर हो गए थे कि उन्होंने युग को बेड बॉक्स में बंधक बनाकर रखा था. जब पुलिस नाकाम होने लगी, तो जनता के दबाव में जांच सीआईडी को दी गई थी. बाद में सीआईडी ने एक मोबाइल चोरी की घटना के सहारे जांच आगे बढ़ाई थी. अपने नशे के शौक को पूरा करने के लिए तीनों दोषी चोरियां भी करते थे.

उन्होंने न्यू शिमला में भी चोरी की थी. जांच एजेंसी ने उनसे फोन बरामद किए थे, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था. जांच में पूरा डाटा रिट्रीव होने के बाद पुलिस को बड़ा सुबूत हाथ लगा था. जांच में पता चला था कि वे लोगों बच्चे का वीडियो और ऑडियो बनाते थे, जो मोबाइल फोन में थे. सीआईडी की अदालत में दाखिल चार्जशीट के अनुसार इसी वीडियो ने जांच एजेंसी को दोषियों तक पहुंचाया था. इसके आधार पर जहां युग को अपहरण के दौरान कमरे में रखा गया था, वहां की तलाशी ली गई.

सीआईडी की एसआईटी के साथ फॉरेंसिक टीम भी उस दौरान मौजूद थी. वहां से ट्रेसिंग पेपर, अन्य पेपर, कोल्ड ड्रिंक और बैड बॉक्स में निशान पाए गए थे. बाद में पूरी जांच के आधार पर दोषियों की गिरफ्तारी हुई थी. 20 अगस्त 2016 को विक्रांत और 22 अगस्त को दो अन्य दोषियों को पकड़ा गया था. बाद में शिमला के भराड़ी स्थित पेयजल टैंक से कंकाल भी बरामद कर हुआ था. सीआईडी को चोरी के मोबाइल फोन से एक मिनट से कम समय की वीडियो क्लिप मिली थी. उसमें मासूम बच्चा पुकार रहा था कि उसे पापा के पास जाना है. मुझे पापा के पास ले जाओ. पापा...अंकल मुझे मार रहे हैं.

60 सेकेंड से भी कम के इस वीडियो क्लिप में युग रोता हुए यह कहता हुआ नजर आ रहा था. युग के अपहरण के बाद परिजनों को फिरौती के लिए पत्र भी लिखा गया था. लेकिन दोषियों ने इस वीडियो को उन्हें नहीं भेजा था. उन्होंने यह वीडियो क्लिप युग के घर भेजने के लिए बनाई थी. लेकिन सर्विलांस में पकड़े जाने के डर से उन्होंने वीडियो को गुप्ता परिवार को नहीं भेजा था. बाद में उन्होंने यह क्लिप डिलीट कर दी थी, जिसे बाद में सीआईडी ने रीस्टोर कर लिया था.

पानी के टैंक में मिला था युग का कंकाल: सीआईडी के अनुसार मुख्य दोषी चंद्र शर्मा बहुत शातिर दिमाग का था. उसे फॉरेंसिक साइंस की जानकारी थी और वह भली भांति जानता था कि अगर ट्रेसिंग पेपर पर फिरौती का पत्र लिखेंगे, तो इससे हैंडराइटिंग मैच नहीं होगी. अपहरणकर्ताओं को जब लगा कि फिरौती नहीं मिलेगी, तो उन्होंने युग को मारकर शव को पत्थर से बांधा उसे पेयजल टैंक में फेंक दिया था. बाद में नगर निगम कर्मियों ने टैंक की सफाई के दौरान युग का कंकाल बरामद किया था. यह केस अदालत में लंबे समय तक चला और 6 सितंबर 2018 को शिमला के सत्र न्यायाधीश ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला मानते हुए चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बक्शी को मौत की सजा सुनाई थी.

ये भी पढ़ें: कुल्लू पुलिस की विशेष टीम ने दिल्ली से गिरफ्तार किए 2 नाइजीरियन मूल के तस्कर

शिमला: कुछ जख्म ऐसे होते हैं, जो वक्त के साथ भी नहीं भरते. आठ साल पहले शिमला में एक जघन्य अपराध की घटना (Yug murder case of Shimla) हुई थी. शिमला के एक कारोबारी के चार साल के मासूम बच्चे का अपहरण किया गया था. दुखद बात यह थी कि अपहरण करने वाले कोई दूर के नहीं बल्कि पड़ोसी ही थे. बाद में अपहरणकर्ताओं ने मासूम को बेदर्दी से मार डाला था. चार साल पहले वर्ष 2018 में शिमला की स्थानीय अदालत ने तीन दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी. बाद में मौत की सजा पर पुष्टिकरण के लिए मामला हाईकोर्ट में गया था.

अब लंबे इंतजार के बाद न्याय की घड़ी आई है. हाईकोर्ट (High court on Yug murder case) में इस मामले में 18 अप्रैल को अंतिम सुनवाई होगी. इससे पहले मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में कई बार सुनवाई टलती रही है. अब 18 अप्रैल को इसमें अंतिम सुनवाई तय की गई है. न्याय की इस घड़ी का इंतजार न केवल मासूम के परिजनों को है, बल्कि शहर की जनता भी अदालत के फैसले की प्रतीक्षा कर रही है. यहां इस दर्दनाक और दिल दहला देने वाले जघन्य अपराध के बारे में जानना जरूरी है. ताकि निकट भविष्य में कोई मासूम ऐसे क्रूर अपराधियों का निशाना न बने.

2014 में हुआ था युग का अपहरण: जून 2014 में शिमला के राम बाजार (Ram bazar of shimla) के एक कारोबारी के चार साल के बच्चे का अपहरण कर लिया गया था. दो साल बाद अगस्त 2016 में शिमला के भराड़ी पेयजल टैंक से एक बच्चे का कंकाल मिला था. बाद में फॉरेंसिक जांच से पुष्टि हुई कि यह युग का ही कंकाल है. इस केस को सुलझाने के जिम्मा सीआईडी को दिया गया था. जांच एजेंसी ने डिजिटल एविडेंस जुटाए थे. बाद में शिमला की स्थानीय अदालत में इन्हीं मजबूत और वैज्ञानिक साक्ष्यों के कारण दोषियों को सजा मिली थी.

कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर शराब पिलाते रहे: राम बाजार के रहने वाले चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बक्शी ने मिलकर चार वर्षीय युग का अपहरण किया था. तीनों दरिंदे उसे लेकर शिमला के एक निजी मकान में तड़पाते रहे. मासूम बच्चे को शिमला के बैनमोर इलाके में किराए के भवन में यातनाएं दी गईं. मासूम बच्चे को अपहरण करने वाले कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर शराब पिलाते रहे. यातनाएं देने के साथ-साथ वे दरिंदे ट्रेसिंग पेपर पर फिरौती पत्र लिखते रहे. उन्होंने युग को छोड़ने के बदले चार करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी. पड़ोसी होने के बावजूद उनका दिल नहीं पसीजा.

चोरी के मोबाइल से पुलिस को मिला था सुराग: युग उन्हें जानता था और वे चॉकलेट आदि के लालच में उसे अपने साथ ले गए थे. तीनों दरिंदे इतने शातिर थे कि दिन में परिवार के साथ सहानुभूति जताते हुए पुलिस के साथ युग को तलाशने का नाटक करते. वे इतने क्रूर हो गए थे कि उन्होंने युग को बेड बॉक्स में बंधक बनाकर रखा था. जब पुलिस नाकाम होने लगी, तो जनता के दबाव में जांच सीआईडी को दी गई थी. बाद में सीआईडी ने एक मोबाइल चोरी की घटना के सहारे जांच आगे बढ़ाई थी. अपने नशे के शौक को पूरा करने के लिए तीनों दोषी चोरियां भी करते थे.

उन्होंने न्यू शिमला में भी चोरी की थी. जांच एजेंसी ने उनसे फोन बरामद किए थे, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था. जांच में पूरा डाटा रिट्रीव होने के बाद पुलिस को बड़ा सुबूत हाथ लगा था. जांच में पता चला था कि वे लोगों बच्चे का वीडियो और ऑडियो बनाते थे, जो मोबाइल फोन में थे. सीआईडी की अदालत में दाखिल चार्जशीट के अनुसार इसी वीडियो ने जांच एजेंसी को दोषियों तक पहुंचाया था. इसके आधार पर जहां युग को अपहरण के दौरान कमरे में रखा गया था, वहां की तलाशी ली गई.

सीआईडी की एसआईटी के साथ फॉरेंसिक टीम भी उस दौरान मौजूद थी. वहां से ट्रेसिंग पेपर, अन्य पेपर, कोल्ड ड्रिंक और बैड बॉक्स में निशान पाए गए थे. बाद में पूरी जांच के आधार पर दोषियों की गिरफ्तारी हुई थी. 20 अगस्त 2016 को विक्रांत और 22 अगस्त को दो अन्य दोषियों को पकड़ा गया था. बाद में शिमला के भराड़ी स्थित पेयजल टैंक से कंकाल भी बरामद कर हुआ था. सीआईडी को चोरी के मोबाइल फोन से एक मिनट से कम समय की वीडियो क्लिप मिली थी. उसमें मासूम बच्चा पुकार रहा था कि उसे पापा के पास जाना है. मुझे पापा के पास ले जाओ. पापा...अंकल मुझे मार रहे हैं.

60 सेकेंड से भी कम के इस वीडियो क्लिप में युग रोता हुए यह कहता हुआ नजर आ रहा था. युग के अपहरण के बाद परिजनों को फिरौती के लिए पत्र भी लिखा गया था. लेकिन दोषियों ने इस वीडियो को उन्हें नहीं भेजा था. उन्होंने यह वीडियो क्लिप युग के घर भेजने के लिए बनाई थी. लेकिन सर्विलांस में पकड़े जाने के डर से उन्होंने वीडियो को गुप्ता परिवार को नहीं भेजा था. बाद में उन्होंने यह क्लिप डिलीट कर दी थी, जिसे बाद में सीआईडी ने रीस्टोर कर लिया था.

पानी के टैंक में मिला था युग का कंकाल: सीआईडी के अनुसार मुख्य दोषी चंद्र शर्मा बहुत शातिर दिमाग का था. उसे फॉरेंसिक साइंस की जानकारी थी और वह भली भांति जानता था कि अगर ट्रेसिंग पेपर पर फिरौती का पत्र लिखेंगे, तो इससे हैंडराइटिंग मैच नहीं होगी. अपहरणकर्ताओं को जब लगा कि फिरौती नहीं मिलेगी, तो उन्होंने युग को मारकर शव को पत्थर से बांधा उसे पेयजल टैंक में फेंक दिया था. बाद में नगर निगम कर्मियों ने टैंक की सफाई के दौरान युग का कंकाल बरामद किया था. यह केस अदालत में लंबे समय तक चला और 6 सितंबर 2018 को शिमला के सत्र न्यायाधीश ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला मानते हुए चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बक्शी को मौत की सजा सुनाई थी.

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Last Updated : Apr 3, 2022, 8:43 AM IST
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