शिमला: पंद्रहवें वित्तायोग के चेयरमैन एनके सिंह ने राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंप दी है. ये रिपोर्ट 2021 से 2026 तक के लिए है. वैसे वित्तायोग ने संकेत दिया है कि कोरोना काल के इस समय में संसाधनों का आधार महामारी के कारण सिकुड़ रहा है और सरकारी खर्च भी बढ़ा है, ऐसे में 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट करों में कितना हिस्सा राज्यों के लिए सुझाएगी, इस पर नजर रहेगी.
हिमाचल के संदर्भ में बात करें तो वर्ष 2020 के लिए मार्च महीने तक जयराम सरकार को वित्तायोग ने संजीवनी दी थी. हिमाचल के लिए सबसे बड़ी बात ये रही थी कि वित्तायोग ने राज्य के लिए राजस्व घाटा अनुदान को 45 फीसदी बढ़ा दिया था. इससे हिमाचल को हर महीने 953 करोड़ रुपए की सहायता मिलती आ रही थी. इस रकम से हिमाचल में कर्मचारियों के वेतन का खर्च काफी हद तक निकल जाता था. भारी-भरकम कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश को 15वें वित्तायोग से बहुत बड़ी राहत मिली थी. राहत इस कदर बड़ी थी कि जयराम सरकार की बल्ले-बल्ले हो गई थी.
2020 में हिमाचल को मिली थी बड़ी राहत राशि
वित्तायोग ने हिमाचल का राजस्व घाटा अनुदान यानी रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट को 45 फीसदी बढ़ा दिया था. फिलहाल, हिमाचल को इस बार इतनी बड़ी राहत तो शायद ही मिले. अब राष्ट्रपति से रिपोर्ट केंद्र सरकार को जाएगी और संसद में पेश होगी. हिमाचल जैसे छोटे और पहाड़ी राज्य को वित्तायोग से बड़ी उम्मीदें रहती हैं. पहली बार ऐसा हुआ था कि 2020 में हिमाचल को इतनी बड़ी राहत मिली थी. हिमाचल कर्ज के बोझ तले दबा है. खजाने का बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मियों के वेतन और पेंशन पर खर्च होता है. जब वित्तायोग ने पिछली बार 45 फीसदी राजस्व घाटा अनुदान बढ़ाया था, तब जयराम सरकार की सारी समस्या हल हो गई थी. अब ऐसा सहारा शायद ही वित्तायोग से मिले.
राजस्व घाटा अनुदान के रूप में पिछले साल मिली थी जयराम सरकार को संजीवनी
पिछली बार हिमाचल प्रदेश को एक सौगात फॉरेस्ट कवर के बदले 10 फीसदी टैक्स के तौर पर भी मिली थी. यही नहीं, जिला परिषद और बीडीसी का बजट बहाल किया गया था, लेकिन हिमाचल के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है कि राजस्व घाटा अनुदान बढ़ने से सरकार को हर महीने कर्मचारियों के वेतन के लिए खजाने से रकम खर्च करने की चिंता नहीं रही थी. दिलचस्प बात ये थी कि राजस्व घाटा अनुदान की अवधि 2020 में खत्म होने वाली थी. तब वित्तायोग ने 2020-21 के लिए अंतरिम रिपोर्ट जारी की थी.
वित्त आयोग की नई रिपोर्ट से हिमाचल प्रदेश को उम्मीदें
फिलहाल, हिमाचल की नजरें अब नई रिपोर्ट पर लगी है. इसमें हिमाचल को दूसरी उम्मीद है कि वित्तायोग मंडी के नागचला में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए कोई मदद होगी. हिमाचल में इससे पहले यानी 14वें वित्तायोग ने जिला परिषद व पंचायतों के लिए बजट बंद किया था. इसे पांच साल के लिए बंद कर दिया था और धनराशि सिर्फ पंचायतों को ही सीधे ट्रांसफर हो रही थी. हिमाचल में आपदाओं की स्थिति को समझते हुए 15वें वित्तायोग ने स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड की राहत राशि भी 40 फीसदी बढ़ाई थी. इससे हिमाचल को हर साल करीब 450 करोड़ रुपए की सहायता मिली थी. हिमाचल सरकार की मांग पर वित्तायोग ने राज्य में वन आवरण के बदले टैक्स आवंटन में प्रदेश के हिस्से को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर अब 10 फीसदी कर दिया था. ये बढ़ोतरी फॉरेस्ट कवर के बदले मुआवजे के तौर पर थी.
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15वें वित्तायोग के चेयरमैन एनके सिंह की अगुवाई में वित्त आयोग ने 27 सितंबर 2018 को हिमाचल का तीन दिन का दौरा किया था. दौरे के बाद सीएम जयराम ठाकुर व अफसरों के साथ शिमला में बैठक हुई थी. वित्तायोग के समक्ष मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल का पक्ष रखते हुए कहा था कि उनका राज्य रेवेन्यू डेफेसिट स्टेट है और सरकार को लोन लेकर विकास कार्य अंजाम तक पहुंचाने पड़ते हैं. सीएम ने आग्रह किया था कि वित्तायोग हिमाचल की ये ग्रांट बढ़ा दे. अगर तकनीकी तौर पर बात की जाए तो हिमाचल की कुल कमाई 33,747 करोड़ रुपए है. इसी प्रकार हिमाचल का खर्च 36,089 करोड़ रुपए है. इससे राज्य को राजस्व घाटा 2,342 करोड़ रुपए का झेलना पड़ रहा है.
हिमाचल प्रदेश का राजकोषीय घाटा 7,352 करोड़ रुपए
प्रदेश का राजकोषीय घाटा 7,352 करोड़ रुपए है. ऐसे में हिमाचल के लिए हर साल नेट लोन लिमिट 5,068 करोड़ रुपए बनती है. तब सारी बातों को ध्यान में रखते हुए वित्तायोग ने राजस्व घाटा अनुदान 45 फीसदी बढ़ाया था. यही कारण है कि कोरोना संकट के दौरान भी सरकार को कर्मियों के वेतन की खास चिंता नहीं झेलनी पड़ी थी.
फिलहाल, 15वें वित्तायोग ने अब 2026 तक की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है. देखना है कि क्या हिमाचल को राजस्व घाटा अनुदान की संजीवनी मिलती है या नहीं और ये भी देखना है कि नागचला ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए वित्तायोग क्या सिफारिश करता है.
बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर अब पचास हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है और राज्य सरकार अपने संसाधनों से यहां का खर्च नहीं निकाल सकती. फिर कोरोना संकट ने वैसे ही देश भर के राज्यों की आर्थिक गाड़ी को पटरी से उतार दिया है. अब हिमाचल की नजरें 15वें वित्तायोग की सिफारिशों पर टिकी हैं.
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