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हिमाचल में किसान परेशान, ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा ना होने से घाटे में जा रहा व्यापार

शिमला में किसानों को मंडियों तक सामान पहुंचाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को बरसात में ट्रांसपोर्टेशन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण किसानों की फसल मंडी तक समय पर नहीं पहुंच पाती है और इसी वजह से उन्हें सही दाम भी नहीं मिल पा रहे जिसके कारण किसान परेशान हैं और सरकार से मदद की आस लगाए रहे हैं.

सब्जी मंडी
सब्जी मंडी
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Published : Aug 27, 2021, 6:54 PM IST

शिमला: देशभर में किसानों के जहां कृषि कानून को लेकर हड़ताल चल रही है. वहीं हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में किसानों की अलग ही समस्या है जिसका समाधान होता नजर नहीं आ रहा है. यह किसानों की सबसे बड़ी समस्या बन रही है जिसके कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. राजधानी शिमला में किसानों को बरसात में ट्रांसपोर्टेशन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण किसानों की फसल मंडी तक समय पर नहीं पहुंच पाती है. उन्हें सही दाम भी नहीं मिल रहा है जिसके कारण किसान भाईयों से उन्हें अपनी फसल का लगाई हुई कीमत पर नहीं मिल रही है. हालत यह है कि किसान कृषि को घाटे का सौदा बता रहे हैं.


ईटीवी भारत ने इसी पड़ताल को लेकर दिल्ली सब्जी मंडी का दौरा किया. वहां किसानों से बात की तो फसल बेचने आए एक किसान अंबा दत्त ने बताया कि वह अपनी फसल सब्जी मंडी तक कैसे पहुंचाते हैं, यह वही जानते हैं. उनका कहना था कि गांव से सड़कों की हालत खराब है. शहर पहुंचते-पहुंचते दोपहर हो जाती है. कई बार ट्रैफिक जाम लग जाए तो शाम तक सब्जी मंडी पहुंचते हैं. ऐसे में उन्हें अपनी फसल के दाम नहीं मिल पा रहे हैं जिस कारण उन्हें परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर वह सब्जी बेचने आते हैं तो जो रेट पहले मिल रहे थे, उसका आधा ही उन्हें मिल पाता है. सेब की पेटी जो पहले 3000 से ऊपर जा रही थी, वही अब 300, 500 और 800 तक बिक रही है जिससे उन्हें फसल पर लगाई गई कीमत नहीं मिल पा रही. अगर ऐसा ही रहा तो उन्हें कृषि व्यवसाय छोड़ना पड़ेगा.

वीडियो.

वहीं, एक अन्य किसान पूर्ण शर्मा ने बताया कि किसानों को सबसे बड़ी समस्या ट्रांसपोर्टेशन की है. घर से मंडी तक फसल पहुंचाना एक बहुत बड़ा रिस्क है. इस कारण किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि सड़कों की हालत इतनी खराब है कि मंडियों तक वे रिस्क ले कर पहुंचते हैं. उन्हें पूरे दाम तक नहीं मिल पाते हैं और इसी वजह से उन्हें कई बार घाटे का सौदा करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि हालत यह है कि खर्चा तो रूपैया है जबकि आमदनी अठन्नी है. उन्होंने कहा कि देश भर में किसान कृषि बिल को लेकर हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन शिमला में किसानों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. उन्होंने सरकार से किसानों की फसल को मंडी तक पहुंचाने की व्यवस्था करने की मांग की है ताकि उन्हें उनकी फसल बेचने में आसानी हो और उनके रेट भी सही मिलें.

इस संबंध में जब दिल्ली सब्जी मंडी के सचिव ओपी बंसल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि दिल्ली सब्जी मंडी में किसानों को परेशानी ना हो, इसके लिए व्यवस्था की गई है. उन्हें दाम अच्छे मिलें, इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सब्जी मंडी में हर तरह की व्यवस्था है जिससे किसानों को अपनी फसल बेचने में परेशानी ना हो.

ये भी पढ़ें: कालीबाड़ी मंदिर में लगे हैं अद्भुत चित्र, खरीदने के लिए जर्मन स्कॉलर ने की थी ब्लैंक चेक की पेशकश

शिमला: देशभर में किसानों के जहां कृषि कानून को लेकर हड़ताल चल रही है. वहीं हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में किसानों की अलग ही समस्या है जिसका समाधान होता नजर नहीं आ रहा है. यह किसानों की सबसे बड़ी समस्या बन रही है जिसके कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. राजधानी शिमला में किसानों को बरसात में ट्रांसपोर्टेशन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण किसानों की फसल मंडी तक समय पर नहीं पहुंच पाती है. उन्हें सही दाम भी नहीं मिल रहा है जिसके कारण किसान भाईयों से उन्हें अपनी फसल का लगाई हुई कीमत पर नहीं मिल रही है. हालत यह है कि किसान कृषि को घाटे का सौदा बता रहे हैं.


ईटीवी भारत ने इसी पड़ताल को लेकर दिल्ली सब्जी मंडी का दौरा किया. वहां किसानों से बात की तो फसल बेचने आए एक किसान अंबा दत्त ने बताया कि वह अपनी फसल सब्जी मंडी तक कैसे पहुंचाते हैं, यह वही जानते हैं. उनका कहना था कि गांव से सड़कों की हालत खराब है. शहर पहुंचते-पहुंचते दोपहर हो जाती है. कई बार ट्रैफिक जाम लग जाए तो शाम तक सब्जी मंडी पहुंचते हैं. ऐसे में उन्हें अपनी फसल के दाम नहीं मिल पा रहे हैं जिस कारण उन्हें परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर वह सब्जी बेचने आते हैं तो जो रेट पहले मिल रहे थे, उसका आधा ही उन्हें मिल पाता है. सेब की पेटी जो पहले 3000 से ऊपर जा रही थी, वही अब 300, 500 और 800 तक बिक रही है जिससे उन्हें फसल पर लगाई गई कीमत नहीं मिल पा रही. अगर ऐसा ही रहा तो उन्हें कृषि व्यवसाय छोड़ना पड़ेगा.

वीडियो.

वहीं, एक अन्य किसान पूर्ण शर्मा ने बताया कि किसानों को सबसे बड़ी समस्या ट्रांसपोर्टेशन की है. घर से मंडी तक फसल पहुंचाना एक बहुत बड़ा रिस्क है. इस कारण किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि सड़कों की हालत इतनी खराब है कि मंडियों तक वे रिस्क ले कर पहुंचते हैं. उन्हें पूरे दाम तक नहीं मिल पाते हैं और इसी वजह से उन्हें कई बार घाटे का सौदा करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि हालत यह है कि खर्चा तो रूपैया है जबकि आमदनी अठन्नी है. उन्होंने कहा कि देश भर में किसान कृषि बिल को लेकर हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन शिमला में किसानों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. उन्होंने सरकार से किसानों की फसल को मंडी तक पहुंचाने की व्यवस्था करने की मांग की है ताकि उन्हें उनकी फसल बेचने में आसानी हो और उनके रेट भी सही मिलें.

इस संबंध में जब दिल्ली सब्जी मंडी के सचिव ओपी बंसल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि दिल्ली सब्जी मंडी में किसानों को परेशानी ना हो, इसके लिए व्यवस्था की गई है. उन्हें दाम अच्छे मिलें, इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सब्जी मंडी में हर तरह की व्यवस्था है जिससे किसानों को अपनी फसल बेचने में परेशानी ना हो.

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