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प्रदेश में न्यूजीलैंड की तर्ज पर उगाए जाएंगे सेब, बागवानों ने विदेशी विशेषज्ञों से सिखे उत्पादन को बढ़ाने के गुर

प्रदेश में न्यूजीलैंड की तर्ज पर उगाए जाएंगे सेब, बागवानों ने विदेशी विशेषज्ञों से सिखे उत्पादन को बढ़ाने के गुर

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Published : Feb 8, 2019, 5:56 PM IST

शिमला: प्रदेश में बागवानों को विदेशी विशेषज्ञों ने सेब उत्पादन की उन्नत तकनीक से रू-ब-रू करवाया. तीन दिन के इस प्रशिक्षण में बागवानों को बताया गया कि वे कैसे अपने बागों का रख रखाव करें.

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विश्व बैंक पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत शिमला में प्रशिक्षण शिविर लगाया गया. इसमें किन्नौर, कुल्लू, शिमला जिला के बागवानों ने भाग लिया. न्यूजीलैंड से आए सेब विशेषज्ञों द्वारा बागवानों को अलग-अलग स्थानों पर सेब के बागों में जाकर प्रैक्टीकल में बताया गया कि बागवान अपने बागों में किस तरह से बागों का रख रखाव करें.


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बागवानों को विशेष कर सेब बागीचों में कैंकर जैसी बीमारी को रोकने के लिए विशेष तकनीकी की भी जानकारी दी गई और दवाइयों के स्प्रे आदि के बारे में बताया गया. बेहतर तरीके से प्रूनिंग की जाए और कटे स्थान पर फेबिकोल या अन्य किसी पदार्थ से सील कर दिया जाए तो कैंकर जैसी बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है. इसके अलावा अच्छे स्तर की दवाइयों को छिड़काव भी इसे रोकने में सहायक हो सकता है. दवाओं का निर्धारित मात्रा से ज्यादा उपयोग करने के कारण ही ये समस्या पेश आई है.

इस मौके पर प्लांट प्रोटेक्शन एंड केनोपी मैनेजमेंट एक्सपर्ट जैक ह्यूस ने बागवानों को क्षेत्र के बागीचों का भ्रमण कर प्रूनिंग की तकनीक की जानकारी दी. विशेषज्ञों ने बागवानों से कहा कि उत्तम तकनीक की प्रूनिंग से ही कैंकर की बीमारी पर रोक लगाई जा सकती है. प्रशिक्षण शिविर का मुख्य उद्देश्य बेहतर फल और अधिक उत्पादन से प्रदेश की बागवानी को बढ़ावा देना है क्योंकि अन्य देशो की तुलना में हिमाचल प्रदेश में प्रति हैक्टर उत्पादन बहुत कम है.

सेब बागवानों ने विदेशी विशेषज्ञों से कई प्रकारी की जानकारियां ली और कहा कि उन्होंने विदेशों से आए बागवानों से काफी जानकारियां ली हैं जिसपर वे अमल करेंगे और अपने बागों को बहेतर बनाने की कोशिश करेंगे. विशेषज्ञों से कई प्रकारी की नई जानकारियां हासिल हुई हैं जो उन्हें अभी तक पता नहीं थी.

शिमला: प्रदेश में बागवानों को विदेशी विशेषज्ञों ने सेब उत्पादन की उन्नत तकनीक से रू-ब-रू करवाया. तीन दिन के इस प्रशिक्षण में बागवानों को बताया गया कि वे कैसे अपने बागों का रख रखाव करें.

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विश्व बैंक पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत शिमला में प्रशिक्षण शिविर लगाया गया. इसमें किन्नौर, कुल्लू, शिमला जिला के बागवानों ने भाग लिया. न्यूजीलैंड से आए सेब विशेषज्ञों द्वारा बागवानों को अलग-अलग स्थानों पर सेब के बागों में जाकर प्रैक्टीकल में बताया गया कि बागवान अपने बागों में किस तरह से बागों का रख रखाव करें.


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बागवानों को विशेष कर सेब बागीचों में कैंकर जैसी बीमारी को रोकने के लिए विशेष तकनीकी की भी जानकारी दी गई और दवाइयों के स्प्रे आदि के बारे में बताया गया. बेहतर तरीके से प्रूनिंग की जाए और कटे स्थान पर फेबिकोल या अन्य किसी पदार्थ से सील कर दिया जाए तो कैंकर जैसी बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है. इसके अलावा अच्छे स्तर की दवाइयों को छिड़काव भी इसे रोकने में सहायक हो सकता है. दवाओं का निर्धारित मात्रा से ज्यादा उपयोग करने के कारण ही ये समस्या पेश आई है.

इस मौके पर प्लांट प्रोटेक्शन एंड केनोपी मैनेजमेंट एक्सपर्ट जैक ह्यूस ने बागवानों को क्षेत्र के बागीचों का भ्रमण कर प्रूनिंग की तकनीक की जानकारी दी. विशेषज्ञों ने बागवानों से कहा कि उत्तम तकनीक की प्रूनिंग से ही कैंकर की बीमारी पर रोक लगाई जा सकती है. प्रशिक्षण शिविर का मुख्य उद्देश्य बेहतर फल और अधिक उत्पादन से प्रदेश की बागवानी को बढ़ावा देना है क्योंकि अन्य देशो की तुलना में हिमाचल प्रदेश में प्रति हैक्टर उत्पादन बहुत कम है.

सेब बागवानों ने विदेशी विशेषज्ञों से कई प्रकारी की जानकारियां ली और कहा कि उन्होंने विदेशों से आए बागवानों से काफी जानकारियां ली हैं जिसपर वे अमल करेंगे और अपने बागों को बहेतर बनाने की कोशिश करेंगे. विशेषज्ञों से कई प्रकारी की नई जानकारियां हासिल हुई हैं जो उन्हें अभी तक पता नहीं थी.


न्युजिलैड की तरज पर हिमाचल में भी उगाए जाएंगे सेब
बागवानी विकास परियोजना के तहत दिया जा रहा प्रशिक्षण

विदेशी विशेषज्ञों ने बागों में जाकर बागवानों को करवाया कई जानकारिियों से रूबरू 
बागवानों ने सिखी आधुनिक बागवानी की तकनीक


रामपुर बुशहर, 8 फरवरी, मीनाक्षी
हिमाचल प्रदेश में बागवानी की उन्नत तकनीक की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण विश्व बैंक पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत लगाया गया था। जिसमें किन्नौर, कुल्लू , शिमला जिला के बागवानों ने भाग लिया । तीन दिन के इस प्रशिक्षण में बागवानों को विदेशी विशेषज्ञ  द्वारा सेब उत्पादन की उन्नत तकनीक से रू-ब-रू करवाया गया। न्युजिलैंड से आए सेब विशेषज्ञों द्वारा बावानों को अलग- अलग स्थानों पर सेब के बागों में जाकर प्रैक्टीकल में बताया कि बागवान अपे बागों में किस तरह से बागों का रख रखाओं करें। 

विशेष कर सेब बागीचों में कैंकर जैसी बीमारी को रोकने के लिए विशेष तकनीकी जानकारी दी गई तथा दवाइयों के स्प्रे आदि के बारे में बताया गया। बेहतर तरीके से प्रूनिंग की जाए और कटे स्थान पर फेबिकोल या अन्य किसी पदार्थ से सील कर दिया जाए तो कैंकर जैसी बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसके अलावा अच्छे स्तर की दवाइयों को छिड़काव भी इसे रोकने में सहायक हो सकता है। दवाओं का निर्धारित मात्रा से ज्यादा उपयोग करने के कारण ही यह समस्या पेश आई है।

इस मौकेर पर प्लांट प्रोटेक्शन एंड केनोपी मैनेजमेंट एक्सपर्ट जैक ह्यूस ने बागवानों को क्षेत्र के बागीचों का भ्रमण कर प्रूनिग की तकनीक की जानकारी दी । विशेषज्ञों ने बागवानों से कहा कि उत्तम तकनीक की प्रूनिंग से ही कैंकर की बीमारी पर रोक लगाई जा सकती है। प्रशिक्षण शिविर का मुख्य उद्देश्य बेहतर फल और अधिक उत्पादन से प्रदेश की बागवानी को बढ़ावा देना है। क्योंकि अन्य देशो की तुलना में हिमाचल प्रदेश में प्रति हैक्टर उत्पादन बहुत कम है। 

सेब बागनों ने विदेशी विशेषज्ञों से कई प्रकारी की जानकारियां ली और कहा कि उन्होंन विदेशों से आए बागवानों से काफी जानकारियां ली है जिसे पर वे अमल करेंगे और अपने बागों को बहेतर बनाने की कोशिश करेंगे। विशेषज्ञों से कई प्रकारी की नई जानकारिियां हासील हुई है जो उन्हें अभी तक पता नहीं थी। 
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