ETV Bharat / state

स्कैब अटैक ने उड़ाई बागवानों की नींद, अरबों के सेब बचाने के लिए जानें विशेषज्ञों की सलाह - horticulture

सेब की फसल में लगी स्कैब की बीमारी ने इन दिनों प्रदेश के बागवानों की चिंता बढ़ा दी है. इस बीमारी पर अगर समय रहते नियंत्रण पाया गया, तो 4,200 करोड़ के सेब उद्योग को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा. बागवानी विभाग ने स्प्रे शेड्यूल के मुताबिक बागवानों से फफूंद नाशकों का छिड़काव करने की सलाह दी है. विभाग ने बागवानों को बगीचों में लोर को साफ रखने और गिरी हुई पत्तियों को हटाने के निर्देश दिए हैं.

स्कैब अटैक. से संकट में सेब कारोबार
author img

By

Published : Jul 1, 2019, 12:04 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में अहम योगदान देने वाले सेब को इस दिनों गंभीर बीमारी स्कैब परेशान कर रही है. दशकों के बाद स्कैब बीमारी के फैलने से बागवानों की नींद उड़ गई है. स्कैब बीमारी ने एक बार फिर बागवानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. शिमला कोटखाई के देवरीघाट, छुंजर, खड़ापत्थर, स्नाभा, रोहडू़ व चौपाल के कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्कैब के लक्षण ज्यादा देखे जा रहे हैं.

इस बीमारी पर अगर समय रहते नियंत्रण पाया गया, तो 4,200 करोड़ के सेब उद्योग को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा. बागवानी विभाग ने स्प्रे शेड्यूल के मुताबिक बागवानों से फफूंद नाशकों का छिड़काव करने की सलाह दी है. विभाग ने बागवानों को बगीचों में लोर को साफ रखने और गिरी हुई पत्तियों को हटाने के निर्देश दिए हैं.

बागवान (वीडियो).

उधर, इस बीमारी ने बागवानों की चिंता बढ़ा दी है. बागवानों का कहना है कि पहले भी ये बीमारी पहले भी फसल का नाश कर चुकी है, जिससे काफी नुकसान हुआ था और अब फिर से इस बीमारी ने दस्तक दे दी है. बागवान विभाग से इस बीमारी को रोकने की गुहार लगा रहे हैं. बागवानो का कहना है कि क्षेत्र के 25 फीसदी बगीचे इस बीमारी की चपेट में है. विभाग से बागवान जल्द इस बीमारी पर रोक लगाने की गुहार लगा रहे हैं.

बागवानी विभाग ने भी इस बीमारी को रोकने को लेकर प्रयास तेज कर दिए हैं. विभाग ने सभी अधिकारियों और कर्मियों की छुट्टियों को रद्द कर दिया है और निगरानी के लिए समिति का गठन किया गया है. बागवानी उप निदेशक डॉ. एमएम शर्मा ने बताया कि कुछ क्षेत्रों से स्कैब नामक फफूंद की शिकायतें आ रही हैं. बागवानी विभाग ने अधिकारियों को फिल्ड में जाकर इसकी जांच के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों की छुटियां भी केंसिल कर दी गई है और निगरानी के लिए समिति का गठन भी किया गया है. बीमारी पर रोक लगने के लिये हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश में पहली बार स्कैब बीमारी 1982 में फैली थी और उस समय राज्य में करोड़ों रुपये की सेब की फसल बर्बाद हो गई थी. उस साल बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था. उस समय सेब की सारी फसल को ठिकाने लगाने को एरिया चिन्हित किए गए थे, ताकि इसका वायरस आगे न फैले. अब एक बार फिर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में यह बीमारी पांव पसारने लगी है. शिमला, कुल्लू और मंडी जिले के कुछ बागीचों में पिछले एक सप्ताह से सेब की फसल में स्कैब के लक्षण देखे गए हैं.

शिमला: हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में अहम योगदान देने वाले सेब को इस दिनों गंभीर बीमारी स्कैब परेशान कर रही है. दशकों के बाद स्कैब बीमारी के फैलने से बागवानों की नींद उड़ गई है. स्कैब बीमारी ने एक बार फिर बागवानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. शिमला कोटखाई के देवरीघाट, छुंजर, खड़ापत्थर, स्नाभा, रोहडू़ व चौपाल के कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्कैब के लक्षण ज्यादा देखे जा रहे हैं.

इस बीमारी पर अगर समय रहते नियंत्रण पाया गया, तो 4,200 करोड़ के सेब उद्योग को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा. बागवानी विभाग ने स्प्रे शेड्यूल के मुताबिक बागवानों से फफूंद नाशकों का छिड़काव करने की सलाह दी है. विभाग ने बागवानों को बगीचों में लोर को साफ रखने और गिरी हुई पत्तियों को हटाने के निर्देश दिए हैं.

बागवान (वीडियो).

उधर, इस बीमारी ने बागवानों की चिंता बढ़ा दी है. बागवानों का कहना है कि पहले भी ये बीमारी पहले भी फसल का नाश कर चुकी है, जिससे काफी नुकसान हुआ था और अब फिर से इस बीमारी ने दस्तक दे दी है. बागवान विभाग से इस बीमारी को रोकने की गुहार लगा रहे हैं. बागवानो का कहना है कि क्षेत्र के 25 फीसदी बगीचे इस बीमारी की चपेट में है. विभाग से बागवान जल्द इस बीमारी पर रोक लगाने की गुहार लगा रहे हैं.

बागवानी विभाग ने भी इस बीमारी को रोकने को लेकर प्रयास तेज कर दिए हैं. विभाग ने सभी अधिकारियों और कर्मियों की छुट्टियों को रद्द कर दिया है और निगरानी के लिए समिति का गठन किया गया है. बागवानी उप निदेशक डॉ. एमएम शर्मा ने बताया कि कुछ क्षेत्रों से स्कैब नामक फफूंद की शिकायतें आ रही हैं. बागवानी विभाग ने अधिकारियों को फिल्ड में जाकर इसकी जांच के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों की छुटियां भी केंसिल कर दी गई है और निगरानी के लिए समिति का गठन भी किया गया है. बीमारी पर रोक लगने के लिये हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश में पहली बार स्कैब बीमारी 1982 में फैली थी और उस समय राज्य में करोड़ों रुपये की सेब की फसल बर्बाद हो गई थी. उस साल बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था. उस समय सेब की सारी फसल को ठिकाने लगाने को एरिया चिन्हित किए गए थे, ताकि इसका वायरस आगे न फैले. अब एक बार फिर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में यह बीमारी पांव पसारने लगी है. शिमला, कुल्लू और मंडी जिले के कुछ बागीचों में पिछले एक सप्ताह से सेब की फसल में स्कैब के लक्षण देखे गए हैं.

Intro:हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में अहम योगदान देने वाले सेब पर गंभीर बीमारी स्कैब का अटैक हुआ है। कई दशकों बाद इस रोग के इस वर्ष फैलने से बागवानों की नींद उड़ गई है। स्कैब बीमारी ने एक बार फिर बागवानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। शिमला कोटखाई के देवरीघाट, छुंजर, खड़ापत्थर, स्नाभा, रोहडू व चौपाल के कई ऊंचाई वाले इलाकों में स्कैब के लक्षण ज्यादा देखे जा रहे हैं। इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो 4,200 करोड़ के सेब उद्योग को भारी नुक्सान झेलना पड़ेगा। बागवानी विभाग ने स्पे्र शैड्यूल के मुताबिक बागवानों से फफूंदनाशकों का छिड़काव करने की सलाह दी है। Body:विभाग ने बागवानों को बगीचों में लोर को साफ रखने तथा गिरी हुई पत्तियों को हटाने को कहा है।उधर इस बीमारी ने बागवानो की चिंता बढ़ा दी है ! बागवानो का कहना है की पहले भी ये बिमारी फेली थी जिससे काफी नुकसान हुआ था और अब फिर से इस बीमारी ने दतक दे दी है बागवान विभाग से इस बिमारी को रोकने की गुहार लगा रहे है बागवानो का कहना है की उनकी आमदनी का एक ही जरिया सेब है और यही नही रहेगा तो उनका जीना दुश्वार हो जायेगा ! उनका कहना है की क्षेत्र के 25 फीसदी बगीचे इस बीमारी की चपेट में है ! विभाग से बागवान जल्द इस बीमारी पर रोक लगाने की गुहार लगा रहे है !
उधर बागवानी विभग ने भी इस बीमारी को रोकने को लेकर प्रयास तेज कर दिए । विभाग्य ने सभी अधिकारियों और कर्मियों की छुटियों को रद्द कर दिया है। और निगरानी के लिए समिति का गठन किया गया हैं बागवानी उप निदेशक डॉ. एम.एम. शर्मा ने बताया कि कुछेक क्षेत्रों से स्कैब नामक फफूंद की शिकायतें आ रही हैं। बागवानी विभाग ने अधिकारियों को फील्ड में जाकर इसकी जांच के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है की सभी अधिकारीयों की छुटियाँ भी केंसल कर दी गई है ! ओर निगरानी के लिए समिति का गठन भी नेकिया गया है बीमारी पर रोक लगने के लियूए हर सम्भव प्रयास किए जा रहे है।
Conclusion:हिमाचल प्रदेश में पहली बार स्कैब बीमारी 1982 में फैली थी और उस समय राज्य में करोड़ों रूपए की सेब की फसल बर्बाद हो गई थी। उस साल बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ था। उस समय सेब की सारी फसल को ठिकाने लगाने को एरिया चिन्हित किए गए थे, ताकि इसका वायरस आगे न फैले। अब एक बार फिर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में यह बीमारी फिर पांव पसारने लगी है। शिमला, कुल्लू और मंडी जिले के कुछ बागीचों में पिछले एक सप्ताह से स्कैब ने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.