शिमलाः पहाड़ों की रानी शिमला के आइस स्केटिंग रिंक में अब शाम का सेशन भी शुरू हो गया है. शनिवार को देर रात तक कड़ाके की ठंड में बच्चे स्केटिंग का मजा लेते नजर आए. वीरवार को स्केटिंग शुरू हुई थी और दो दिन तक सुबह ही स्केटिंग हो पा रही थी लेकिन तापमान में लगतार हो रही गिरवाट के चलते शाम को भी अब रिंक में बर्फ जम गई है.
कड़ाके की ठंड में भी बच्चे स्केटिंग का लुत्फ उठाते नजर आए.
कोरोना गाइडलाइन के मद्देनजर इस बार 10 साल के उम्र के बच्चों और 60 साल से ज्यादा वाले बुजुर्गों के स्केटिंग नहीं करने दी जा रही है. स्केटिंग के लिए रजिस्ट्रेशन स्केटिंग क्लब द्वारा मेंबरशिप करवाई गई है. इसके लिए व्यस्कों से पूरे सेशन के 2800 रुपये, कपल से 3300 रुपये, व्यस्क से आधे सेशन के लिए 2000 रुपये का शुल्क रखा है. वहीं, 16 वर्ष तक के बच्चों के लिए पूरे सेशन में 16 सौ रुपये और आधे सेशन के लिए 1 हजार रुपये शुल्क रखा गया है.
1920 में हुई थी क्लब की शुरुआत
आइस स्केटिंग क्लब की शुरुआत 1920 में शुरू की गई. जहां आज स्केटिंग रिंक है वहां कभी टेनिस कोर्ट हुआ करता था. ब्लेसिंगटन नाम के अंग्रेज को स्केटिंग शुरू करने का श्रेय जाता है. ब्लेसिंगटन ने देखा कि सर्दियों में टेनिस कोर्ट के नलों में पानी और इसके आसपास का पानी जम जाता है. इसे देखते हुए ब्लेसिंगटन ने टेनिस कोर्ट को पानी से भर दिया जो पूरी तरह से जम गया. इसके बाद टेनिस कोर्ट को स्केटिंग रिंक में बदल दिया.
स्केटिंग रिंक के 100 साल पूरे
शिमला आइस स्केटिंग क्लब देश का पहला ओपन एयर स्केटिंग क्लब है, जहां प्राकृतिक तौर पर बर्फ जमाई जाती है. स्केटिंग रिंक के 100 साल पूरे हो गए हैं. इस उपलक्ष पर बड़ा जश्न करना चाह रहे थे लेकिन कोरोना के कारण परिस्थितियां बदल गई हैं. स्केटिंग भी सोशल डिस्टेंसिंग के तहत करवाई जा रही है.
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