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ट्रिब्यूनल बंद करने के फैसले से कर्मचारी खफा, सरकार के इस निर्णय से कर्मचारियों का होगा नुकसान!

बता दें कि इससे पहले प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने भी प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया था. बाद में वीरभद्र सिंह सरकार के समय 28 फरवरी 2015 को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल किया गया था. ट्रिब्यूनल के बंद होने से सारे मामलों का भार हिमाचल हाईकोर्ट पर आ गया था. पूर्व में जिस समय प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने वर्ष 2008 में ट्रिब्यूलन को भंग किया था, उस समय ये तर्क दिया गया था कि सर्विस मैटर निपटारे में देरी होती है.

संजीव शर्मा, अध्यक्ष, राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ
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Published : Jul 5, 2019, 2:55 AM IST

शिमला: हिमाचल सरकार ने बुधवार को प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला लिया. ट्रिब्यूनल में सरकारी कर्मचारियों से जुड़े सेवा मामलों की सुनवाई होती थी. वहीं प्रदेश सरकार के इस फैसले से कर्मचारी काफी खफा हैं.

राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा का कहना है कि ट्रिब्यूनल के जरिए कर्मचारियों को न्याय मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब ट्रिब्यूनल बंद होने से कर्मचारियों को काफी नुकसान होने वाला है.

वहीं विपक्ष ने भी सरकार से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की बात कही है. विपक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है तो वे इस मामले को विधानसभा के मानसून सत्र में उठाएंगे.

संजीव शर्मा, अध्यक्ष, राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ

बता दें कि इससे पहले प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने भी प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया था. बाद में वीरभद्र सिंह सरकार के समय 28 फरवरी 2015 को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल किया गया था. ट्रिब्यूनल के बंद होने से सारे मामलों का भार हिमाचल हाईकोर्ट पर आ गया था. पूर्व में जिस समय प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने वर्ष 2008 में ट्रिब्यूलन को भंग किया था, उस समय ये तर्क दिया गया था कि सर्विस मैटर निपटारे में देरी होती है.

दिलचस्प बात है कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 2015 में पुनर्गठन के बाद 23125 मामलों का निपटारा किया है. ट्रिब्यूनल के पास 30 जून तक 34111 मामले आए थे, जिनमें से 23125 निपटाए गए. इस तरह अभी भी करीब 11 हजार मामले ट्रिब्यूनल के पास निपटारे के लिए पेंडिंग थे, जिनका भार अब हिमाचल हाईकोर्ट पर आएगा.

दो पद कई माह से थे खाली
18 अप्रैल, 2017 और 14 अप्रैल, 2018 को दो सदस्यों (प्रशासन) का कार्यकाल पूरा होने के बाद हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में वर्तमान में अध्यक्ष और एक न्यायिक सदस्य कार्य कर रहा था.

ये भी पढें- प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने पर भड़की कांग्रेस, PCC चीफ ने सरकार को दी चेतावनी

शिमला: हिमाचल सरकार ने बुधवार को प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला लिया. ट्रिब्यूनल में सरकारी कर्मचारियों से जुड़े सेवा मामलों की सुनवाई होती थी. वहीं प्रदेश सरकार के इस फैसले से कर्मचारी काफी खफा हैं.

राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा का कहना है कि ट्रिब्यूनल के जरिए कर्मचारियों को न्याय मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब ट्रिब्यूनल बंद होने से कर्मचारियों को काफी नुकसान होने वाला है.

वहीं विपक्ष ने भी सरकार से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की बात कही है. विपक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है तो वे इस मामले को विधानसभा के मानसून सत्र में उठाएंगे.

संजीव शर्मा, अध्यक्ष, राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ

बता दें कि इससे पहले प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने भी प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया था. बाद में वीरभद्र सिंह सरकार के समय 28 फरवरी 2015 को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल किया गया था. ट्रिब्यूनल के बंद होने से सारे मामलों का भार हिमाचल हाईकोर्ट पर आ गया था. पूर्व में जिस समय प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने वर्ष 2008 में ट्रिब्यूलन को भंग किया था, उस समय ये तर्क दिया गया था कि सर्विस मैटर निपटारे में देरी होती है.

दिलचस्प बात है कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 2015 में पुनर्गठन के बाद 23125 मामलों का निपटारा किया है. ट्रिब्यूनल के पास 30 जून तक 34111 मामले आए थे, जिनमें से 23125 निपटाए गए. इस तरह अभी भी करीब 11 हजार मामले ट्रिब्यूनल के पास निपटारे के लिए पेंडिंग थे, जिनका भार अब हिमाचल हाईकोर्ट पर आएगा.

दो पद कई माह से थे खाली
18 अप्रैल, 2017 और 14 अप्रैल, 2018 को दो सदस्यों (प्रशासन) का कार्यकाल पूरा होने के बाद हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में वर्तमान में अध्यक्ष और एक न्यायिक सदस्य कार्य कर रहा था.

ये भी पढें- प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने पर भड़की कांग्रेस, PCC चीफ ने सरकार को दी चेतावनी

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Body:ट्रिब्यूनल बंद करने के फैसले से खफा हुए कर्मचारी


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