शिमला: हिमाचल में नशा तेजी से फैल रहा है. यह युवाओं के साथ-साथ स्कूली बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. छात्रों में नशे की रोकथाम को लेकर चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा को लेकर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर शिक्षा विभाग और सीआईडी के अधिकारियों के साथ एक बैठक की. इसमें नशे को रोकने और छात्रों को इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने को लेकर विचार विमर्श किया गया.
इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और हिमाचल प्रदेश बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से बच्चों को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित करने के लिए सिलेबस तैयार करने को कहा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि योग, खेलकूद और शारीरिक गतिविधियों को सिलेबस का अनिवार्य हिस्सा बनाने के अलावा स्कूल के अधिकारियों को सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के साथ संयुक्त रूप से कैपेसिटी बिल्डिंग सेशन आयोजित करने चाहिए. यह बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत करेगा, जिससे उन्हें नशे से दूर रहने की प्रेरणा मिलेगी.
रोहित ठाकुर ने कहा कि कि स्कूलों व कॉलेजों में समय-समय पर साइकोलॉजिस्ट, काउंसलरों, मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट द्वारा काउंसलिंग और बड़े स्तर पर नशा जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए. इससे छात्रों को नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों को जानने और उनका मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद मिलेगी. उन्होंने एक स्टेट लेवल मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि बच्चों की वर्चुअल काउंसलिंग की जा सके.
बच्चों को नशीले पदार्थों से बचाने के लिए CID चला रहा अभियान: शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्कूली छात्रों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से बचाने के लिए कदम उठा रही है. इस दिशा में ‘प्रधाव’ ए हैकाथॅान टू वाइप आउट द ड्रग्स अभियान शुरू किया गया है. यह अभियान स्टेड सीआईडी के माध्यम से चलाया जा रहा है. इसका मकसद छात्रों को जागरूक कर सशक्त बनाना और अवैध दवाओं के उत्पादन और सप्लाई को समाप्त करना है.
उन्होंने कहा कि नशे के दुष्प्रभावों की जानकारी न होने, नशे की आसान उपलब्धता, जिज्ञासा, मानसिक भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कारणों से छात्र नशा सेवन की ओर आकर्षित होते हैं. इस समस्या के निवारण के लिए पुलिस, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग को संयुक्त रूप से कार्य करने के अलावा एजुकेशन सिस्टम की नीतियों में आवश्यक बदलाव करना चाहिए.
इस मौके पर एडीजीपी सतवंत अटवाल त्रिवेदी ने नशीले पदार्थों के सेवन की समस्या दूर करने के लिए बहुआयामी रणनीति के बारे में जानकारी दी. इस मौके पर सचिव शिक्षा डॉ. अभिषेक जैन, सहित शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
ये भी पढ़ें: एक हफ्ते में तीसरी कैबिनेट मीटिंग, बजट सत्र से पहले सोमवार को बैठक में आबकारी नीति पर फैसला