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बजट 2021-22: आर्थिक विशेषज्ञ राजीव सूद बोले, कोरोना काल में विकास केंद्रित बजट की जरूरत - आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ राजीव सूद

केंद्रीय बजट 2020-21 आने वाला है. एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. ऐसे में आम आदमी से लेकर खास तक को इस बार के बजट से काफी उम्मीदें हैं. आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ राजीव सूद का कहना है कि इस बार का बजट कोरोना काल के बाद पेश हो रहा है इसलिए इसमें विकास को तरजीह दी जानी चाहिए.

Economic affairs expert Rajiv Sood
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Published : Jan 28, 2021, 10:08 PM IST

शिमला: एक साल से वैश्विक महामारी कोरोना का सामना कर रहे भारत को इस बार विकास केंद्रित बजट की जरूरत है. बदली हुई परिस्थितियों में केंद्र सरकार को एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ेगा.

आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ राजीव सूद का कहना है कि कोविड से निपटने में केंद्र सरकार को बहुत अधिक खर्च करना पड़ा है. समाज के विभिन्न वर्गों को राहत पहुंचाने के लिए पूरा साल बहुत बड़ी रकम खर्च हुई है.

ऐसे में विकास की तरफ ध्यान देने वाला बजट समय की जरूरत है. राजीव सूद के अनुसार उम्मीद है कि इस बार सरकारी खर्च को नियंत्रित किया जाएगा. ताकि करोना काल में आर्थिक गतिविधियों को लगे धक्के से उबरा जा सके.

वीडियो.

कोविड सेस लगा सकती है सरकार

राजीव सूद के अनुसार यदि सरकार कुछ संसाधन जुटाना चाहे तो कोविड सेस भी लगा सकती है. यह सेस मुख्य रूप से वेतन भोगी वर्ग को प्रभावित करेगा. उन्होंने मिडिल क्लास को अपेक्षाकृत अधिक राहत देने की वकालत की.

राजीव सूद ने कहा कि हर बजट में समाज के कमजोर वर्गों के हित में कई योजनाएं बनाई जाती हैं. इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र को भी बहुत सी रियायत दी जाती हैं.

मिडिल क्लास को मिले राहत

समाज का मध्यम वर्ग हर बार आशा भरी निगाहों से बजट की तरफ ताकता है. मिडिल क्लास को राहत जरूर मिलनी चाहिए. साथ ही रिटायर्ड लोगों को ब्याज में बढ़ोतरी के रूप में राहत दी जानी चाहिए.

कोरोना काल में छोटे-छोटे व्यवसाय करने वाले लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. उनके लिए खास व्यवस्था की जरूरत है. इसके अलावा कृषि क्षेत्र पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

डिजिटल डिवाइड को दूर करने पर हो काम

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने देश और दुनिया को कई सबक दिए हैं. इन परिस्थितियों में डिजिटल डिवाइड देखने को मिला है. समाज के किस वर्ग के पास आर्थिक मजबूती और इंटरनेट की सुविधा थी. वहां बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कत नहीं आई. साधन हीन परिवारों के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा सरकार डिजिटल डिवाइड को दूर करने का काम करें.

पढ़ेंः केंद्रीय बजट से मंत्री सुरेश भारद्वाज को उम्मीद, रेल और एयर कनेक्टिविटी का मिलेगा तोहफा

एक महत्वपूर्ण पहलू की तरफ ध्यान दिलाते हुए राजीव सूद ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में आम बजट के प्रति अधिक आकर्षण नहीं रह गया है. कारण यह है कि सरकार समय-समय पर विभिन्न आर्थिक घोषणाएं करती रहती है. फिर चाहे वह जीएसटी काउंसिल की बैठक हो या वर्ग विशेष के लिए किसी आर्थिक पैकेज की घोषणा.

ऐसे में आम बजट कमोबेश आय-व्यय का लेखा-जोखा ही रह गया है. फिर भी आम जनता को टैक्स में छूट और जीवन यापन के लिए सुविधाजनक परिस्थितियों की उम्मीद रहती है.

स्वास्थ्य क्षेत्र की ओर ध्यान देना जरूरी

करोना काल में स्वास्थ्य एक बड़ा क्षेत्र बनकर उभर है. इसकी ओर ध्यान देना होगा इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर की गतिविधियों को बढ़ावा मिलना चाहिए, ताकि पैसे का सर्कुलर फ्लो सुनिश्चित हो सके.

ये भी पढ़ेंः पहाड़ पर हांफ रही रेल: केंद्र से हिमाचल को रेल विस्तार पर मिलता है ऊंट के मुंह में जीरा

शिमला: एक साल से वैश्विक महामारी कोरोना का सामना कर रहे भारत को इस बार विकास केंद्रित बजट की जरूरत है. बदली हुई परिस्थितियों में केंद्र सरकार को एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ेगा.

आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ राजीव सूद का कहना है कि कोविड से निपटने में केंद्र सरकार को बहुत अधिक खर्च करना पड़ा है. समाज के विभिन्न वर्गों को राहत पहुंचाने के लिए पूरा साल बहुत बड़ी रकम खर्च हुई है.

ऐसे में विकास की तरफ ध्यान देने वाला बजट समय की जरूरत है. राजीव सूद के अनुसार उम्मीद है कि इस बार सरकारी खर्च को नियंत्रित किया जाएगा. ताकि करोना काल में आर्थिक गतिविधियों को लगे धक्के से उबरा जा सके.

वीडियो.

कोविड सेस लगा सकती है सरकार

राजीव सूद के अनुसार यदि सरकार कुछ संसाधन जुटाना चाहे तो कोविड सेस भी लगा सकती है. यह सेस मुख्य रूप से वेतन भोगी वर्ग को प्रभावित करेगा. उन्होंने मिडिल क्लास को अपेक्षाकृत अधिक राहत देने की वकालत की.

राजीव सूद ने कहा कि हर बजट में समाज के कमजोर वर्गों के हित में कई योजनाएं बनाई जाती हैं. इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र को भी बहुत सी रियायत दी जाती हैं.

मिडिल क्लास को मिले राहत

समाज का मध्यम वर्ग हर बार आशा भरी निगाहों से बजट की तरफ ताकता है. मिडिल क्लास को राहत जरूर मिलनी चाहिए. साथ ही रिटायर्ड लोगों को ब्याज में बढ़ोतरी के रूप में राहत दी जानी चाहिए.

कोरोना काल में छोटे-छोटे व्यवसाय करने वाले लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. उनके लिए खास व्यवस्था की जरूरत है. इसके अलावा कृषि क्षेत्र पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

डिजिटल डिवाइड को दूर करने पर हो काम

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने देश और दुनिया को कई सबक दिए हैं. इन परिस्थितियों में डिजिटल डिवाइड देखने को मिला है. समाज के किस वर्ग के पास आर्थिक मजबूती और इंटरनेट की सुविधा थी. वहां बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कत नहीं आई. साधन हीन परिवारों के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा सरकार डिजिटल डिवाइड को दूर करने का काम करें.

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एक महत्वपूर्ण पहलू की तरफ ध्यान दिलाते हुए राजीव सूद ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में आम बजट के प्रति अधिक आकर्षण नहीं रह गया है. कारण यह है कि सरकार समय-समय पर विभिन्न आर्थिक घोषणाएं करती रहती है. फिर चाहे वह जीएसटी काउंसिल की बैठक हो या वर्ग विशेष के लिए किसी आर्थिक पैकेज की घोषणा.

ऐसे में आम बजट कमोबेश आय-व्यय का लेखा-जोखा ही रह गया है. फिर भी आम जनता को टैक्स में छूट और जीवन यापन के लिए सुविधाजनक परिस्थितियों की उम्मीद रहती है.

स्वास्थ्य क्षेत्र की ओर ध्यान देना जरूरी

करोना काल में स्वास्थ्य एक बड़ा क्षेत्र बनकर उभर है. इसकी ओर ध्यान देना होगा इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर की गतिविधियों को बढ़ावा मिलना चाहिए, ताकि पैसे का सर्कुलर फ्लो सुनिश्चित हो सके.

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