शिमला: धरती पर यदि भगवान है तो वो है चिकित्सक, अगर चिकित्सक करने पर आए तो वह व्यक्ति को नई जिंदगी दे सकता है और उसके जीवन में उजाला कर सकता है.
ऐसा ही मामला बुधवार शाम को सामने आया, जब पीडब्ल्यूडी में काम करने वाला रमेश ड्यूटी खत्म कर बस अड्डे से मशोबरा जा रहा था. छोटा शिमला पहुंचते ही रमेश की हालत खराब हो गई और वह बस से उतर गया. बस से उतरते ही रमेश बेहोश हो कर सड़क पर गिर गया. सड़क पर आते जाते लोग उसे देख कर किनारे हो गए किसी ने भी एंबुलेंस को सूचित नहीं किया. तभी आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज सचिवालय से जरूरी काम के लिए कहीं जा रहे थे. डॉ. जनक की नजर सड़क पर पड़े व्यक्ति पर पड़ी.
डॉ. जनक के साथ बबलू नाम के एक युवक ने 108 को फोन किया, लेकिन नंबर व्यस्त आने के बाद डॉ. जनक ने व्यक्ति को अपनी गाड़ी में बिठाया और अपना काम बीच में ही छोड़ कर गाड़ी आईजीएमसी की ओर मोड़ी. आईजीएमसी के इमरजेंसी वार्ड में रमेश का उपचार किया गया और समय रहते उसकी जान बच गई. डॉ. जनक राज उन लोगों के लिए भी प्रेरणा बने हैं जो सड़क पर गिरे व्यक्ति को अनदेखा कर निकल जाते हैं और व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश तक नहीं करते.
गौरतलब है कि आईजीएमसी में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब पुलिस सड़क पर किसी वजह से गिरे व्यक्ति को आईजीएमसी लाती है, लेकिन तब तक व्यक्ति की जान जा चुकी होती है. डॉ. जनक राज ने बताया कि अस्पताल में बहुत से मामले सामने आ चुके हैं जब आपातकाल में व्यक्ति को पहुंचाया जाता है तब तक उक्त व्यक्ति की मौत हो चुकी होती है. अगर समय रहते व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है.
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