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IGMC के MS डॉ. जनक राज ने सड़क पर बेहोश पड़े व्यक्ति को दिया नया जीवन, गाड़ी से पहुंचाया अस्पताल

डॉ. जनक राज उन लोगों के लिए भी प्रेरणा बने हैं जो सड़क पर गिरे व्यक्ति को अनदेखा कर निकल जाते हैं और व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश तक नहीं करते.

सड़क किनारे पड़े व्यक्ति को उठाते डॉ. जनक राज
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Published : Sep 25, 2019, 11:23 PM IST

शिमला: धरती पर यदि भगवान है तो वो है चिकित्सक, अगर चिकित्सक करने पर आए तो वह व्यक्ति को नई जिंदगी दे सकता है और उसके जीवन में उजाला कर सकता है.

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IGMC के डॉ. जनक राज ने सड़के किनारे बेहोश पड़े व्यक्ति को दिया नया जीवन

ऐसा ही मामला बुधवार शाम को सामने आया, जब पीडब्ल्यूडी में काम करने वाला रमेश ड्यूटी खत्म कर बस अड्डे से मशोबरा जा रहा था. छोटा शिमला पहुंचते ही रमेश की हालत खराब हो गई और वह बस से उतर गया. बस से उतरते ही रमेश बेहोश हो कर सड़क पर गिर गया. सड़क पर आते जाते लोग उसे देख कर किनारे हो गए किसी ने भी एंबुलेंस को सूचित नहीं किया. तभी आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज सचिवालय से जरूरी काम के लिए कहीं जा रहे थे. डॉ. जनक की नजर सड़क पर पड़े व्यक्ति पर पड़ी.

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IGMC के डॉ. जनक राज ने सड़के किनारे बेहोश पड़े व्यक्ति को दिया नया जीवन

डॉ. जनक के साथ बबलू नाम के एक युवक ने 108 को फोन किया, लेकिन नंबर व्यस्त आने के बाद डॉ. जनक ने व्यक्ति को अपनी गाड़ी में बिठाया और अपना काम बीच में ही छोड़ कर गाड़ी आईजीएमसी की ओर मोड़ी. आईजीएमसी के इमरजेंसी वार्ड में रमेश का उपचार किया गया और समय रहते उसकी जान बच गई. डॉ. जनक राज उन लोगों के लिए भी प्रेरणा बने हैं जो सड़क पर गिरे व्यक्ति को अनदेखा कर निकल जाते हैं और व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश तक नहीं करते.

IGMC के डॉ. जनक राज ने सड़के किनारे बेहोश पड़े व्यक्ति को दिया नया जीवन

गौरतलब है कि आईजीएमसी में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब पुलिस सड़क पर किसी वजह से गिरे व्यक्ति को आईजीएमसी लाती है, लेकिन तब तक व्यक्ति की जान जा चुकी होती है. डॉ. जनक राज ने बताया कि अस्पताल में बहुत से मामले सामने आ चुके हैं जब आपातकाल में व्यक्ति को पहुंचाया जाता है तब तक उक्त व्यक्ति की मौत हो चुकी होती है. अगर समय रहते व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है.

ये भी पढ़ें- लापता होई रे सेना रे जवान भरत सिंह रे परिजनें प्रदेश सरकारा ते लगाई गुहार

शिमला: धरती पर यदि भगवान है तो वो है चिकित्सक, अगर चिकित्सक करने पर आए तो वह व्यक्ति को नई जिंदगी दे सकता है और उसके जीवन में उजाला कर सकता है.

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IGMC के डॉ. जनक राज ने सड़के किनारे बेहोश पड़े व्यक्ति को दिया नया जीवन

ऐसा ही मामला बुधवार शाम को सामने आया, जब पीडब्ल्यूडी में काम करने वाला रमेश ड्यूटी खत्म कर बस अड्डे से मशोबरा जा रहा था. छोटा शिमला पहुंचते ही रमेश की हालत खराब हो गई और वह बस से उतर गया. बस से उतरते ही रमेश बेहोश हो कर सड़क पर गिर गया. सड़क पर आते जाते लोग उसे देख कर किनारे हो गए किसी ने भी एंबुलेंस को सूचित नहीं किया. तभी आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज सचिवालय से जरूरी काम के लिए कहीं जा रहे थे. डॉ. जनक की नजर सड़क पर पड़े व्यक्ति पर पड़ी.

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IGMC के डॉ. जनक राज ने सड़के किनारे बेहोश पड़े व्यक्ति को दिया नया जीवन

डॉ. जनक के साथ बबलू नाम के एक युवक ने 108 को फोन किया, लेकिन नंबर व्यस्त आने के बाद डॉ. जनक ने व्यक्ति को अपनी गाड़ी में बिठाया और अपना काम बीच में ही छोड़ कर गाड़ी आईजीएमसी की ओर मोड़ी. आईजीएमसी के इमरजेंसी वार्ड में रमेश का उपचार किया गया और समय रहते उसकी जान बच गई. डॉ. जनक राज उन लोगों के लिए भी प्रेरणा बने हैं जो सड़क पर गिरे व्यक्ति को अनदेखा कर निकल जाते हैं और व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश तक नहीं करते.

IGMC के डॉ. जनक राज ने सड़के किनारे बेहोश पड़े व्यक्ति को दिया नया जीवन

गौरतलब है कि आईजीएमसी में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब पुलिस सड़क पर किसी वजह से गिरे व्यक्ति को आईजीएमसी लाती है, लेकिन तब तक व्यक्ति की जान जा चुकी होती है. डॉ. जनक राज ने बताया कि अस्पताल में बहुत से मामले सामने आ चुके हैं जब आपातकाल में व्यक्ति को पहुंचाया जाता है तब तक उक्त व्यक्ति की मौत हो चुकी होती है. अगर समय रहते व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है.

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Intro:रमेश के लिए सच मे धरती के भगवान साबित हुए डॉ जनक राज
सड़क पर बेहोश पड़े देख अपना काम छोड़ लाये आईजीएमसी
शिमला।
धरती पर यदि भगवान है तो है चिकित्सक , क्यो की चिकित्सक यदि करने पर आए तो वह ब्यक्ति को नई जिंदगी दे सकता है और उसके जीवन मे उजाला कर सकता है।

Body:ऐसा ही मामला बुधवार शाम को सामने आया जब पीडब्ल्यूडी में काम करने वाला रमेश ड्यूटी खत्म कर बस अड्डे से मशोबरा जा रहा था। छोटा शिमला पहुंचते ही रमेश की हालत खराब हो गयी और वह बस से उतर पड़ा । बस से उतरते ही रमेश बेहोश हो कर सड़क पर गिर गया। सड़क पर आते जाते लोग उसे देख कर किनारे हो जाते किसी ने भी 108को सूचित नही किया। तभी आईजीएमसी के एमएस डॉ जनक राज सचिवालय से जरूरी काम से कही जा रहे थे ।डॉ जनक की नजर सड़क पर पड़े ब्यक्ति पर पड़ी। डॉ जनक के साथ बबलू ने 108 को फोन किया लेकिन जब 108 पर नंबर ब्यस्त जा रहा था और फोन नही लगा तभी। डॉ जनक ने ब्यक्ति को अपनी गाड़ी में बिठाया ओर अपना काम बीच मे ही छोड़ कर गाड़ी आईएमसी की ओर मोड़ी ।
आईजीएमसी आपातकाल में रमेश का उपचार किया गया और उसे बचा लिया ।
रमेश अब खुश है कि वह समय रहते अस्पताल पहुंच गया और उसकी जान बच गई।
डॉ जनक राज उन लोगो के लिए भी प्रेरणा बने है जो सड़क पर गिरे ब्यक्ति को अनदेखा कर निकल जाते है और ब्यक्ति को अस्पताल पहुँचाने की कोशिस तक नही करते।
गौरतलब है कि आईजीएमसी में ऐसे कई मामले सामने आ चुके है जब पुलिस सड़क पर किसी बजह से गिरे ब्यक्ति को आईजीएमसी लाती है लेकिन तब तक ब्यक्ति की जान जा चुकी होती है।Conclusion: डॉ जनक राज ने बताया कि अस्पतला में बहुत से मामले सामने आ चुके है जब आपातकाल में ब्यक्ति पहुचता है तब तक उसकी मौत हो चुकी होती है। आगर समय रहते ब्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो किसी की जान बच सकती है।
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