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रामपुर में जिला स्तरीय किसान मजदूर संयुक्त अधिवेशन, 4 और 5 अप्रैल को संसद मार्च को लेकर मंथन - रामपुर में जिला स्तरीय किसान मजदूर संयुक्त अधिवेशन

रामपुर में सोमवार को जिला स्तरीय किसान मजदूर संयुक्त अधिवेशन हुआ. इस दौरान 4 और 5 अप्रैल को संसद मार्च में शामिल होने को लेकर बातचीत की गई.(District Level Farmer Labor Joint Convention in Rampur)

रामपुर में जिला स्तरीय किसान मजदूर संयुक्त अधिवेशन
रामपुर में जिला स्तरीय किसान मजदूर संयुक्त अधिवेशन
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Published : Mar 14, 2023, 9:13 AM IST

रामपुर: सोमवार को रामपुर के चाटी में जिला स्तरीय किसान मजदूर संयुक्त अधिवेशन का आयोजन किया गया. इस संयुक्त अधिवेशन में सभी किसान, मजदूर, प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और देश भक्त लोगों से आह्वान किया गया कि वे 'देश बचाओ और लोगों को बचाओ' के इस राष्ट्रव्यापी अभियान और कार्यक्रमों को समर्थन दें. वहीं, 4 और 5 अप्रैल को संसद मार्च में शिमला जिले से बड़ी संख्या में मजदूरों के शामिल होने की बात कही गई.

देश में बढ़ गई बेरोजगारी: अधिवेशन उद्घाटन करते हुए किसान नेता राकेश सिंह ने कहा कि 2014 के बाद से केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार की नव उदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के चलते बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है. जनता की अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खर्च करने की क्षमता घट रही है. बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भूखमरी बढ़ रही है. भूख से जूझ रहे देशों की श्रेणी में भारत पिछड़ कर 121 देशों में 107 वें पायदान पर पहुंच गया. इन आंकड़ों से मोदी सरकार की देश में तथाकथित विकास के ढिंढोरे की पोल खुल गई है.

खाद्य सब्सिडी में कटौती की गई: बजट 2023-24 में खाद्य सब्सिडी में भी 90,000 करोड़ रुपए की कटौती की गई है. एक ओर सरकार 81.35 करोड़ लोगों का मुफ्त राशन देने का ढिंढोरा पीट रही तो दूसरी ओर खाद्य सुरक्षा कानून (FSA) के तहत मिलने वाले सस्ते राशन को बंद किया जा रहा है. इससे जनता को बाजार से महंगा राशन लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है. रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं (आटा, दूध, तेल, दाल व चावल आदि) के दामों में भारी वृद्धि हो रही है. केन्द्र सरकार द्वारा पेश बजट में मंहगाई को कम करने के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया.

संघर्ष केवल आजीविका के लिए नहीं: मजदूर किसान नेताओं ने कहा कि आज संघर्ष केवल आजीविका और काम करने की स्थिति की तत्काल मांगों के लिए नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए है. अधिवेशन में देश के मेहनतकश लोगों की बुनियादी मांगों को दोहराया, जैसे कि न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को 10 हजार रुपये की पेंशन सुनिश्चित करना आदि शामिल रही. अधिवेशन में सीटू राज्य अध्यक्ष विजेन्द्र मेहरा, सेब उत्पादक संघ राज्य अध्यक्ष सोहनलाल, पूर्ण ठाकुर, कुलदीप डोगरा, देवकी नंद, प्रेम चौहान, अजय दुलता, कपिल, राजपाल, रिंक, नीलदत, काकू कश्यप, सरीना, हिमी देवी, शांति, मीना मेहता, विमला, तिवारी, सुमित्रा, कृष्णा आदि मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें : APMC एक्ट लागू करने की उठने लगी मांग: किसान-बागवान संघों से सरकार ने पूछा, किसान-बागवानों को राहत देने के लिए क्या करें

रामपुर: सोमवार को रामपुर के चाटी में जिला स्तरीय किसान मजदूर संयुक्त अधिवेशन का आयोजन किया गया. इस संयुक्त अधिवेशन में सभी किसान, मजदूर, प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और देश भक्त लोगों से आह्वान किया गया कि वे 'देश बचाओ और लोगों को बचाओ' के इस राष्ट्रव्यापी अभियान और कार्यक्रमों को समर्थन दें. वहीं, 4 और 5 अप्रैल को संसद मार्च में शिमला जिले से बड़ी संख्या में मजदूरों के शामिल होने की बात कही गई.

देश में बढ़ गई बेरोजगारी: अधिवेशन उद्घाटन करते हुए किसान नेता राकेश सिंह ने कहा कि 2014 के बाद से केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार की नव उदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के चलते बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है. जनता की अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खर्च करने की क्षमता घट रही है. बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भूखमरी बढ़ रही है. भूख से जूझ रहे देशों की श्रेणी में भारत पिछड़ कर 121 देशों में 107 वें पायदान पर पहुंच गया. इन आंकड़ों से मोदी सरकार की देश में तथाकथित विकास के ढिंढोरे की पोल खुल गई है.

खाद्य सब्सिडी में कटौती की गई: बजट 2023-24 में खाद्य सब्सिडी में भी 90,000 करोड़ रुपए की कटौती की गई है. एक ओर सरकार 81.35 करोड़ लोगों का मुफ्त राशन देने का ढिंढोरा पीट रही तो दूसरी ओर खाद्य सुरक्षा कानून (FSA) के तहत मिलने वाले सस्ते राशन को बंद किया जा रहा है. इससे जनता को बाजार से महंगा राशन लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है. रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं (आटा, दूध, तेल, दाल व चावल आदि) के दामों में भारी वृद्धि हो रही है. केन्द्र सरकार द्वारा पेश बजट में मंहगाई को कम करने के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया.

संघर्ष केवल आजीविका के लिए नहीं: मजदूर किसान नेताओं ने कहा कि आज संघर्ष केवल आजीविका और काम करने की स्थिति की तत्काल मांगों के लिए नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए है. अधिवेशन में देश के मेहनतकश लोगों की बुनियादी मांगों को दोहराया, जैसे कि न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को 10 हजार रुपये की पेंशन सुनिश्चित करना आदि शामिल रही. अधिवेशन में सीटू राज्य अध्यक्ष विजेन्द्र मेहरा, सेब उत्पादक संघ राज्य अध्यक्ष सोहनलाल, पूर्ण ठाकुर, कुलदीप डोगरा, देवकी नंद, प्रेम चौहान, अजय दुलता, कपिल, राजपाल, रिंक, नीलदत, काकू कश्यप, सरीना, हिमी देवी, शांति, मीना मेहता, विमला, तिवारी, सुमित्रा, कृष्णा आदि मौजूद रहे.

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