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विकलांगों के साथ हो रही प्रताड़ना, प्रदेश में यूजीसी के निर्देशों का उल्लंघन: अजय श्रीवास्तव

हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर आग्रह किया है. पत्र में दृष्टिबाधित और अन्य पात्र दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के हाल ही में जारी परीक्षा संबंधी दिशा निर्देशों को तुरंत वापस लिए जाने की बात है. उन्होंने कहना है कि यह दिशा-निर्देश कानून की दृष्टि से अवैध है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस मामले में कुछ नहीं करती है तो वह कोर्ट जाएंगे.

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Published : Mar 14, 2021, 7:54 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ, सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर आग्रह किया है. पत्र में प्रोफेसर ने लिखा है कि दृष्टिबाधित और अन्य पात्र दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के हाल ही में जारी परीक्षा संबंधी दिशा निर्देशों को तुरंत वापस लिया जाए. उन्होंने कहा कि ये दिशा-निर्देश कानून की दृष्टि से अवैध है.

दृष्टिबाधित और अन्य पात्र दिव्यांग विद्यार्थियों की प्रताड़ना

प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि विभाग की ओर से जारी निर्देशों से दृष्टिबाधित और अन्य पात्र दिव्यांग विद्यार्थी प्रताड़ित होंगे. इनमें हाथ से लिखने में असमर्थ विद्यार्थियों को एक कक्षा कम पढ़ा हुआ राइटर लाने के लिए बाध्य कियाा जा रहा. जबकि केंद्र सरकार और यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जब तक परीक्षा संचालक एजेंसी उम्मीदवारों को स्वयं राइटर उपलब्ध नहीं कराती तब तक वह किसी भी शैक्षणिक योग्यता केे व्यक्ति को अपना राइटर रख सकते हैं.

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सामाजिक न्याय विभाग कर रहा यूजीसी के निर्देशों का उल्लंघन

प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने कहा की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ही नहीं उच्च शिक्षा और प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने इन अवैध दिशा-निर्देशों को लागू कराना शुरू भी कर दिया है. उन्होंने कहा यह बड़ा गंभीर मुद्दा है कि राज्य सरकार का सामाजिक न्याय विभाग केंद्र सरकार और यूजीसी के निर्देशों का खुला उल्लंघन कर दिव्यांग विद्यार्थियों को प्रताड़ित कर रहा है.

विभाग की ओर से मदद न मिलने पर कोर्ट जाने की चेतावनी

यही नहीं केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप दृष्टिबाधित और लिखने में असमर्थ अन्य विद्यार्थियों को कंप्यूटर के माध्यम से या ब्रेल में परीक्षा देने की सुविधा भी उपलब्ध कराएं. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और शिक्षा विभाग दिव्यांगों के प्रति अपना दायित्व निभाने में नाकाम साबित हुए हैं. उनका कहना था कि अगर सरकार इस मामले में कुछ नहीं करती है तो वह कोर्ट जाएंगे.

ये भी पढ़ें: प्रतिबंधित गोलियों व कैप्सूल के साथ युवक गिरफ्तार, एसपी ऊना ने लोगों से की अपील

शिमला: हिमाचल प्रदेश विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ, सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर आग्रह किया है. पत्र में प्रोफेसर ने लिखा है कि दृष्टिबाधित और अन्य पात्र दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के हाल ही में जारी परीक्षा संबंधी दिशा निर्देशों को तुरंत वापस लिया जाए. उन्होंने कहा कि ये दिशा-निर्देश कानून की दृष्टि से अवैध है.

दृष्टिबाधित और अन्य पात्र दिव्यांग विद्यार्थियों की प्रताड़ना

प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि विभाग की ओर से जारी निर्देशों से दृष्टिबाधित और अन्य पात्र दिव्यांग विद्यार्थी प्रताड़ित होंगे. इनमें हाथ से लिखने में असमर्थ विद्यार्थियों को एक कक्षा कम पढ़ा हुआ राइटर लाने के लिए बाध्य कियाा जा रहा. जबकि केंद्र सरकार और यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जब तक परीक्षा संचालक एजेंसी उम्मीदवारों को स्वयं राइटर उपलब्ध नहीं कराती तब तक वह किसी भी शैक्षणिक योग्यता केे व्यक्ति को अपना राइटर रख सकते हैं.

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सामाजिक न्याय विभाग कर रहा यूजीसी के निर्देशों का उल्लंघन

प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने कहा की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ही नहीं उच्च शिक्षा और प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने इन अवैध दिशा-निर्देशों को लागू कराना शुरू भी कर दिया है. उन्होंने कहा यह बड़ा गंभीर मुद्दा है कि राज्य सरकार का सामाजिक न्याय विभाग केंद्र सरकार और यूजीसी के निर्देशों का खुला उल्लंघन कर दिव्यांग विद्यार्थियों को प्रताड़ित कर रहा है.

विभाग की ओर से मदद न मिलने पर कोर्ट जाने की चेतावनी

यही नहीं केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप दृष्टिबाधित और लिखने में असमर्थ अन्य विद्यार्थियों को कंप्यूटर के माध्यम से या ब्रेल में परीक्षा देने की सुविधा भी उपलब्ध कराएं. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और शिक्षा विभाग दिव्यांगों के प्रति अपना दायित्व निभाने में नाकाम साबित हुए हैं. उनका कहना था कि अगर सरकार इस मामले में कुछ नहीं करती है तो वह कोर्ट जाएंगे.

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