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'पंचायत स्तर पर सेब के लिए कोल्ड स्टोर का निर्माण करवाए सरकार, रेल का भी हो विस्तार' - हिमाचल के बागवान

हिमाचल में सेब के दाम काफी गिर रहे हैं जिसकी वजह से बागवान परेशान हैं. उन्हें सेबों को सही कीमत नहीं मिल पा रही है. वहीं, सेब के गिरते दामों को लेकर जब वरिष्ठ नागरिकों से बात की तो उन्होंने कहा कि आजकल सेब के दाम गिर रहे हैं, इसके लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार है.

हिमाचल के सेब
हिमाचल के सेब
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Published : Aug 31, 2021, 1:06 PM IST

शिमला: सेब के गिरते दामों को लेकर इन दिनों हिमाचल के कहीं धरने प्रदर्शन हो रहे हैं, तो कहीं सम्मेलन किए जा रहे हैं. कई राष्ट्रीय नेता भी सेब की गिरती कीमतों को लेकर हिमाचल का रुख कर चुके हैं. वहीं, ईटीवी भारत की टीम ने सेब के गिरते दामों को लेकर जब वरिष्ठ नागरिकों से बात की तो उन्होंने कहा कि आजकल सेब के दाम गिर रहे हैं, ये प्रदेश सरकार की वजह से है.

वरिष्ठ नागरिकों ने कहा कि इस सेब सीजन (Apple Season) से हमें कुछ भी प्राप्त नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो हमारे सेब खरीदे और हमें उचित दाम दिलवाए. पहले हमें सेब के अच्छे दाम मिलते थे. फल मंडियों में सेब को चेक किया जाता था. सेब की पेटी का दाम पहले 1600 बताते हैं और रीचेक में इसका दाम घटा कर 1000 रुपए हो जाता है. बहुत से ऐसे ग्रोवर हैं जिन्हें पैसा भी समय से नहीं मिल पा रहा है. हमारे बागवान दिल्ली, चंडीगढ़ जाकर सेब बेच रहे हैं, वहां पर पैसा तो मिल जाता है, लेकिन उचित दाम नहीं मिल पाता.

वीडियो.

अन्य वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि बागवानों को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है ताकि बड़े व्यापारियों को लाभ पहुंचाया जा सके. इसको रोकने के लिए प्रदेश सरकार को चाहिए था कि गांव और पंचायत स्तर पर कोल्ड स्टोर का निर्माण किया जाए ताकि किसानों और बागवानों की आय भी बढ़े और लोगों को रोजगार भी मिले.

वरिष्ठ नागरिकों ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि बागवानों को सेब के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. सेब से प्रदेश की आर्थिकी को भी बढ़ावा मिलता है. प्रदेश में 50,000 मीट्रिक टन की स्टोरज क्षमता है. अगर प्रदेश सरकार समय रहते, इसकी स्टोरेज क्षमता को बढ़ाती तो आज बागवानों को ये दिन नहीं देखने पड़ते. उनका कहना है जो ये बड़ी स्टोरेज दी गयी है, बागवानों को वहां तक अपना सेब पहुंचाने के लिये ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं है. उन्होंने कहा कि शिमला से रामपुर तक ट्रेन चलाई जानी चाहिए क्योंकि ट्रकों से सेब खराब होते हैं. पंचायत स्तर पर सेब के लिये छोटी फैक्ट्री लगाई जानी चाहिए ताकि सेब का जूस, जेम सब यहीं पर तैयार किया जा सके. उन्होंने कहा कि जूस जेम जल्दी खराब भी नहीं होता और इससे हमारे बागवानों का सेब भी खराब नहीं होगा और उन्हें उचित दाम भी मिलेंगे. हिमाचल के निचले क्षेत्र में नींबू, आंवला, गलगल, कीन्नू, माल्टा जैसी कई चीजें होती हैं. इनके लिए छोटे स्तर पर फैक्ट्री लगाई जा सकती है, लेकिन प्रदेश सरकार इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है.

ये भी पढ़ें- राज्यपाल, मुख्यमंत्री और भाजपा नेताओं ने प्रदेशवासियों को दी जन्माष्टमी की शुभकामनाएं

शिमला: सेब के गिरते दामों को लेकर इन दिनों हिमाचल के कहीं धरने प्रदर्शन हो रहे हैं, तो कहीं सम्मेलन किए जा रहे हैं. कई राष्ट्रीय नेता भी सेब की गिरती कीमतों को लेकर हिमाचल का रुख कर चुके हैं. वहीं, ईटीवी भारत की टीम ने सेब के गिरते दामों को लेकर जब वरिष्ठ नागरिकों से बात की तो उन्होंने कहा कि आजकल सेब के दाम गिर रहे हैं, ये प्रदेश सरकार की वजह से है.

वरिष्ठ नागरिकों ने कहा कि इस सेब सीजन (Apple Season) से हमें कुछ भी प्राप्त नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो हमारे सेब खरीदे और हमें उचित दाम दिलवाए. पहले हमें सेब के अच्छे दाम मिलते थे. फल मंडियों में सेब को चेक किया जाता था. सेब की पेटी का दाम पहले 1600 बताते हैं और रीचेक में इसका दाम घटा कर 1000 रुपए हो जाता है. बहुत से ऐसे ग्रोवर हैं जिन्हें पैसा भी समय से नहीं मिल पा रहा है. हमारे बागवान दिल्ली, चंडीगढ़ जाकर सेब बेच रहे हैं, वहां पर पैसा तो मिल जाता है, लेकिन उचित दाम नहीं मिल पाता.

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अन्य वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि बागवानों को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है ताकि बड़े व्यापारियों को लाभ पहुंचाया जा सके. इसको रोकने के लिए प्रदेश सरकार को चाहिए था कि गांव और पंचायत स्तर पर कोल्ड स्टोर का निर्माण किया जाए ताकि किसानों और बागवानों की आय भी बढ़े और लोगों को रोजगार भी मिले.

वरिष्ठ नागरिकों ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि बागवानों को सेब के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. सेब से प्रदेश की आर्थिकी को भी बढ़ावा मिलता है. प्रदेश में 50,000 मीट्रिक टन की स्टोरज क्षमता है. अगर प्रदेश सरकार समय रहते, इसकी स्टोरेज क्षमता को बढ़ाती तो आज बागवानों को ये दिन नहीं देखने पड़ते. उनका कहना है जो ये बड़ी स्टोरेज दी गयी है, बागवानों को वहां तक अपना सेब पहुंचाने के लिये ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं है. उन्होंने कहा कि शिमला से रामपुर तक ट्रेन चलाई जानी चाहिए क्योंकि ट्रकों से सेब खराब होते हैं. पंचायत स्तर पर सेब के लिये छोटी फैक्ट्री लगाई जानी चाहिए ताकि सेब का जूस, जेम सब यहीं पर तैयार किया जा सके. उन्होंने कहा कि जूस जेम जल्दी खराब भी नहीं होता और इससे हमारे बागवानों का सेब भी खराब नहीं होगा और उन्हें उचित दाम भी मिलेंगे. हिमाचल के निचले क्षेत्र में नींबू, आंवला, गलगल, कीन्नू, माल्टा जैसी कई चीजें होती हैं. इनके लिए छोटे स्तर पर फैक्ट्री लगाई जा सकती है, लेकिन प्रदेश सरकार इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है.

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