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पानी की टंकी में मिला था 7 साल के बच्चे का शव, हिमाचल हाई कोर्ट ने बरकरार रखी सीतामढ़ी बिहार के रहने वाले हत्यारे की सजा - Himachal High Court News

हिमाचल हाई कोर्ट ने 7 साल के बच्चे की हत्या मामले में बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले हत्यारे की सजा को बरकरार रखा है. जानें क्या है पूरा मामला... (Himachal High Court News).

Himachal High Court News
हिमाचल हाई कोर्ट (फाइल फोटो).
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 10:03 PM IST

शिमला: हमीरपुर जिले में सात साल के बच्चे का शव पानी की टंकी में मिला था. बच्चे की हत्या के दोषी को लोअर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले हत्यारे की सजा को बरकरार रखा है. हत्यारे ने हाई कोर्ट में लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की थी. हाई कोर्ट ने उसकी अपील को खारिज करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर सही फैसला लिया है. एडिशनल सेशन जज हमीरपुर की अदालत ने हत्यारे को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

ट्रायल कोर्ट ने पाया कि नागेंद्र राम उर्फ मुकेश ने ही सात साल के बच्चे की हत्या की है. एडिशनल सेशन कोर्ट ने दोषी को उम्र कैद के साथ ही 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा भी सुनाई थी. नागेंद्र राम ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी. मामले की सुनवाई में हाई कोर्ट ने केस रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि वारदात के दिन बच्चे को नागेंद्र के साथ देखा गया था. यह बच्चा उसकी साली का बेटा था. यानी नागेंद्र के साढू भाई का बेटा.

मामले के अनुसार साल 2016 में बच्चा हमीरपुर के सेरी नादौन प्राइमरी स्कूल में दूसरी कक्षा का छात्र था. वर्ष 2016 के अक्टूबर माह की 18 तारीख को बच्चा स्कूल गया, लेकिन वापिस नहीं लौटा. बच्चे के पिता ने अपने स्तर पर उसकी तलाश की परंतु कोई अता-पता नहीं चला. प्राइमरी स्कूल के बाहर दुकान चलाने वाली महिला ने बताया कि उसने स्कूल में छुट्टी के बाद बच्चे को नागेंद्र के साथ लेबर चौक की तरफ जाते देखा था. बच्चे के पिता ने नागेंद्र से पूछताछ की, जिस पर दोषी ने उस दिन बच्चे से मिलने की बात से इंकार कर दिया. बच्चे के पिता ने उसी दिन शाम को गुमशुदगी की लिखित शिकायत दर्ज करवाई. फिर पिता ने 19 अक्टूबर को भी बच्चे की तलाश जारी रखी.

जांच पड़ताल करने के बाद मामले में बनाए दो गवाहों ने बताया कि उन्होंने एक स्कूल बैग लावारिस हालत में पानी के टैंक पर देखा था. बच्चे के पिता ने बैग को अपने गुमशुदा बेटे का बताया. उसने अपने बच्चे की चप्पल पानी के टैंक में तैरती हुई देखी. पुलिस को सूचित करने पर टैंक को खाली करवाया गया. टैंक खाली होने पर उसमें से बच्चे का शव बरामद हुआ.

पुलिस ने 23 अक्टूबर को मामले में एफआईआर दर्ज की. पुलिस जांच में दोषी नागेंद्र की बच्चे की हत्या में संलिप्तता पाई गई. दोषी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया. अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए 31 गवाहों द्वारा दिए बयानों के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने नागेंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. उसने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन उच्च न्यायालय ने अपील को खारिज करते हुए लोअर कोर्ट की सुनाई सजा को बरकरार रखा है.

ये भी पढ़ें- HP Cabinet Decisions: पुलिस भर्ती में महिला आरक्षण अब 30 फीसदी, कांस्टेबल के 1226 पद भरने को कैबिनेट की मंजूरी

शिमला: हमीरपुर जिले में सात साल के बच्चे का शव पानी की टंकी में मिला था. बच्चे की हत्या के दोषी को लोअर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले हत्यारे की सजा को बरकरार रखा है. हत्यारे ने हाई कोर्ट में लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की थी. हाई कोर्ट ने उसकी अपील को खारिज करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर सही फैसला लिया है. एडिशनल सेशन जज हमीरपुर की अदालत ने हत्यारे को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

ट्रायल कोर्ट ने पाया कि नागेंद्र राम उर्फ मुकेश ने ही सात साल के बच्चे की हत्या की है. एडिशनल सेशन कोर्ट ने दोषी को उम्र कैद के साथ ही 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा भी सुनाई थी. नागेंद्र राम ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी. मामले की सुनवाई में हाई कोर्ट ने केस रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि वारदात के दिन बच्चे को नागेंद्र के साथ देखा गया था. यह बच्चा उसकी साली का बेटा था. यानी नागेंद्र के साढू भाई का बेटा.

मामले के अनुसार साल 2016 में बच्चा हमीरपुर के सेरी नादौन प्राइमरी स्कूल में दूसरी कक्षा का छात्र था. वर्ष 2016 के अक्टूबर माह की 18 तारीख को बच्चा स्कूल गया, लेकिन वापिस नहीं लौटा. बच्चे के पिता ने अपने स्तर पर उसकी तलाश की परंतु कोई अता-पता नहीं चला. प्राइमरी स्कूल के बाहर दुकान चलाने वाली महिला ने बताया कि उसने स्कूल में छुट्टी के बाद बच्चे को नागेंद्र के साथ लेबर चौक की तरफ जाते देखा था. बच्चे के पिता ने नागेंद्र से पूछताछ की, जिस पर दोषी ने उस दिन बच्चे से मिलने की बात से इंकार कर दिया. बच्चे के पिता ने उसी दिन शाम को गुमशुदगी की लिखित शिकायत दर्ज करवाई. फिर पिता ने 19 अक्टूबर को भी बच्चे की तलाश जारी रखी.

जांच पड़ताल करने के बाद मामले में बनाए दो गवाहों ने बताया कि उन्होंने एक स्कूल बैग लावारिस हालत में पानी के टैंक पर देखा था. बच्चे के पिता ने बैग को अपने गुमशुदा बेटे का बताया. उसने अपने बच्चे की चप्पल पानी के टैंक में तैरती हुई देखी. पुलिस को सूचित करने पर टैंक को खाली करवाया गया. टैंक खाली होने पर उसमें से बच्चे का शव बरामद हुआ.

पुलिस ने 23 अक्टूबर को मामले में एफआईआर दर्ज की. पुलिस जांच में दोषी नागेंद्र की बच्चे की हत्या में संलिप्तता पाई गई. दोषी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया. अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए 31 गवाहों द्वारा दिए बयानों के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने नागेंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. उसने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन उच्च न्यायालय ने अपील को खारिज करते हुए लोअर कोर्ट की सुनाई सजा को बरकरार रखा है.

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