शिमला: साइबर ठगी एक संगठित अपराध है. साइबर ठगों के निशाने पर हर वो शख्स है जो किसी भी डिजिटल माध्यम से जुड़ा है. फिर चाहे वो सोशल मीडिया हो या इंटरनेट बैंकिंग. शुरुआत में कहा जाता था कि साइबर ठगों के निशाने पर आपका बैंक अकाउंट होता है ताकि वो आपकी मेहनत की कमाई पर सेंधमारी कर सकें लेकिन बदलते वक्त के साथ साइबर ठगों ने अपने पैंतरे भी बदले हैं.
अब बैंक अकाउंट ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर मौजूद आपका फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, वाट्सएप और आपका मेल आइडी भी साइबर ठगों के लिए आपको ठगने का एक हथियार है. इन माध्यमों के जरिये साइबर ठग आपको चूना लगाने का हर पैंतरा अपनाते हैं. आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको मुश्किल में डाल सकती है.
सोशल मीडिया पर यारी, पड़ सकती है भारी
आज शायद ही कोई शख्स हो जो इंटरनेट का इस्तेमाल करता हो और उसका सोशल मीडिया पर अकाउंट ना हो. आज फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम और ट्विटर से लेकर वाट्सएप तक आपका अकाउंट होगा.
साइबर ठग सोशल मीडिया के जरिये आपसे दोस्ती करते हैं और धीर-धीरे आपकी बैंक से जुड़ी जानकारी हासिल करते हैं. कई बार आपको तोहफे और डिस्काउंट का लालच देकर तो कई बार नौकरी और कारोबार में हिस्सेदार बनाने को लेकर आपसे ठगी की जाती है.
सोशल मीडिया एकाउंट से पैसों की मांग
कई बार फेसबुक या अन्य सोशळ मीडिया अकाउंट को हम सिक्योर या लॉक नहीं करते. ऐसे में आजकल फेसबुक अकाउंट हैक करने की बात आम हो चली है. साइबर ठग आपके सोशल मीडिया पेज का डुप्लीकेट तैयार करते हैं और आपके साथियों से आपके नाम पर आर्थिक मदद मांगते हैं और कई बार वो इन ठगों के झांसे में आ जाते हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि दोस्त पैसे मांग रहा है.
इसी तरह आपके वाट्स एप को भी साइबर ठग निशाना बना सकते हैं. आपको एक छोटा सा लिंक भेजा जाता है जिसे क्लिक करते ही आपका एकाउंट बंद हो जाता है और उसे साइबर ठग ऑपरेट करते हैं जिसके बाद आपके वाट्सएप से आपके दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसों की मदद मांगी जाती है.
कारोबारियों से ठगी
साइबर ठगों के निशाने पर कारोबारी भी होते हैं. किसी भी कारोबार से जुड़े लोगों से संपर्क किया जाता है उनकी बैंक डिटेल लेकर उनके साथ साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है.
जैसे हिमाचल में इन दिनों पर्यटन का सीज़न चल रहा है ऐसे में साइबर ठग होटल या टैक्सी बुक करने को लेकर पर्यटन कारोबारियों को फोन करते हैं और फिर एडवांस पैसे देने की बात कहकर बैंक डिटेल मांगते हैं. इस दौरान कई बार ठग बैंक खातों से जुड़ी वो जानकारी भी ले लेते हैं जो किसी के साथ शेयर नहीं करनी चाहिए. कई बार कारोबारियों के बैंक खातों को रिमोटली एक्सेस करके भी ठगी को अंजाम दिया जाता है.
विदेशी और बाहरी बनकर करते हैं ठगी
साइबर ठगी के लिए फोन कॉल से लेकर सोशल मीडिया तक का सहारा लिया जाता है. साइबर ठग कई बार अपने शिकार को विदेशी या बाहरी बनकर फोन करते हैं. जैसे हिमाचल के लोगों को टारगेट करते वक्त झांसा देते हैं कि हमें हिमाचल प्रदेश में पर्यटन या उससे जुड़ा कारोबार करना है. ठग बताते हैं कि वो देश के किसी दूसरे हिस्से या फिर दुनिया के किसी दूसरे देश में रहते हैं लेकिन वो हिमाचल में इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं.
ठग अपने शिकार को पैसों का लालच, कारोबार में शेयर या प्रॉफिट देने की बात कहते हैं. कई बार पार्टनर बनने या कंपनी के साथ जुड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन फीस मांगी जाती है. साइबर ठग लालच और भरोसे को हथियार बनाकर ऐसे मामलों में ठगी करते हैं.
इस तरह के कई मामलों में बेरोजगार युवक या घरेलू महिलाएं ठगों का आसान शिकार होती है. ठगों की तरफ से उन्हें घर बैठे पैसे कमाने की स्कीम बताई जाती है. उनसे रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर रुपये वसूले जाते हैं. कई बार बैंक से जुड़ी जरूरी जानकारियां लेकर भी ठगी को अंजाम दिया जाता है.
आधार और पैन कार्ड से ठगी
आधार कार्ड और पैन कार्ड हर सेवा को पाने के लिए जरूरी है. फिर चाहे बैंक खाता खुलवाना हो या इनकम टैक्स भरना हो. आधार कार्ड और पैन कार्ड अब साइबर ठगी का भी हथियार बन गए हैं. पैन कार्ड और आधार नंबर का इस्तेमाल ठग गैरकानूनी तरीके से करते हैं. इनके जरिये मोबाइल सिम से लेकर बैंक अकाउंट तक खुलवा दिए जाते हैं और फिर इनका इस्तेमाल लोगों को ठगने के लिए किया जाता है.
फोन पर बैंक डिटेल लेकर ठगी
ये सबसे आम तरीका है जिसे साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. डेबिट कार्ड से लेकर क्रेडिट कार्ड और बैंक खाते से जुड़ी आपकी शिकायत को लेकर ठग आपको फोन करते हैं और आपकी समस्या का समाधान करने के नाम पर आपके बैंक खाते से जुड़ी जरूरी डिटेल जैसे ओटीपी, सीवीवी नंबर, एटीएम पिन आदि ले लेते हैं और आपके खाते से पैसे निकाल लेते हैं.
कई बार फोन के जरिये आपकी पेंशन, सब्सिडी या अन्य किसी स्कीम के तहत आने वाले पैसे में समस्या बताकर आपसे बैंक खाते से जुड़ी जानकारी ली जाती है औऱ आपकी मेहनत की कमाई को ठग उड़ा लेते हैं.
नौकरी, गाड़ी, डिस्काउंट, ऑफर और लॉटरी
साइबर ठग नौकरी से लेकर गाड़ी बेचने के नाम पर ठगी करते हैं. बेरोजगारों से नौकरी का झांसा देकर पैसे ठगे जाते हैं तो महंगी गाड़ी को सस्ते में बेचने के नाम पर भी ठगी होती है. किसी महंगी चीज़ में डिस्काउंट या ऑफर को भी साइबर ठग अपना हथियार बनाते हैं.
करोड़ों की लॉटरी से लेकर केबीसी के नाम पर भी आपको निशाना बनाया जा सकता है. करोड़ों की लॉटरी, इनाम, गहने या गाड़ी के बदले आपसे इनकम टैक्स या किसी फीस के नाम पर पैसों की मांग की जाती है और कई बार लालच में आकर लोग ठगों के झांसे में आ जाते हैं.