शिमला: प्रदेश में साइबर ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. पुलिस लोगों को जब तक एक तरीके के अपराध के प्रति जागरूक करती है तब तक शातिर ठगी का नया तरीका ढूंढ लेते हैं. ताजा मामले में साइबर ठग आधार कार्ड व पेन कार्ड के माध्यम से ठगी को अंजाम दे रहे हैं. शातिर आधार या पैन कार्ड का वेरिफिकेशन करने का झांसा देते हैं. इसके साथ ही ठग एक लिंक भेजते हैं जैसे ही कोई व्यक्ति उस लिंक पर क्लिक करता है तो उसके बैंक खाते की जानकारी शातिर के पास चली जाती है. इस तरह से आजकल साइबर ठगी को अंजाम दिया जा रहा है. हिमाचल में हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें आधार पैन वेरिफिकेशन के नाम पर लिंक भेजकर ठगी की कोशिश की गई है.
साझा न करें आधार कार्ड या पैन कार्ड की जानकारी
साइबर विभाग शिमला ने एडवाइजरी जारी की है कि यदि कोई आधार कार्ड या पैन कार्ड वेरिफिकेशन के बारे में जानकारी मांगे तो उसके झांसे में ना आएं नहीं तो ठगी का शिकार हो सकते हैं. साइबर विभाग के एएसपी नरवीर राठौर ने बताया कि पर्सनल इंफॉर्मेशन के जरिए ऑनलाइन जेब कतरे डिएक्टिव फेसबुक अकाउंट को हैक व क्लोन करके ठगी कर रहे हैं.
साइबर सेल के पास दर्ज हुई 35 शिकायतें
तीन महीने में सायबर सेल के पास करीब 35 ऐसी शिकायतें आई हैं. इनमें करीब 18 शिकायतें समय पर मिलने के कारण साइबर सेल ने ठगी होने से पहले शिकायतकर्ताओं को बचा लिया. जानकारी सही समय पर मिलने की वजह से साइबर सेल ने खाता ब्लॉक करवा दिया. इससे पैसा ठगों तक नहीं पहुंच पाया. पुलिस के मुताबिक ठग ऐसे फेसबुक अकाउंट होल्डर को निशाना बनाते हैं, जिन्होंने एक बार आईडी बनाई और उसके बाद उसमें किसी भी तरह की प्रतिक्रिया न की हो.
पर्सनल इंफॉर्मेशन से हो रही ठगी
साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक फेसबुक आईडी क्रिएट करते समय ज्यादातर यूजर्स अपनी पर्सनल इंफॉर्मेशन शेयर कर देते हैं. निजी जानकारी में डेट ऑफ बर्थ, मोबाइल नंबर, परिवार के सदस्यों का नाम शेयर करते हैं. कुछ यूजर्स पर्सनल इंफॉर्मेशन को ही पासवर्ड बना लेते हैं. ठग निजी जानकारी के जरिए फेसबुक पेज का क्लोन बनाते हैं. कई बार ठग फेसबुक आईडी हैक कर लेते हैं, जिसके कारण ठगी करना बदमाशों के लिए आसान हो जाता है.
बीमारी और दुर्घटना का बहाना बनाकर मांगते हैं पैसे
बदमाश शिकायतकर्ताओं के फ्रेंड्स को बीमारी या सड़क हादसे का बहाना बनाकर खाते में पैसे जमा करवा लेते हैं. पैसे अगर यूपीआई के माध्यम से ट्रांसफर होते हैं तो वापस करवाना मुश्किल हो जाता है. अगर पैसे बैंक खातों में जमा होते हैं और समय पर साइबर सेल को सूचना मिल जाती है तो पैसा मिलने की संभावनाएं रहती हैं. ठगी करने के पहले बदमाश फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं. परिचित होने की वजह से व्यक्ति के करीबी दोबारा रिक्वेस्ट एक्ससेप्ट कर लेते हैं.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सावधानी से करें प्रयोग
व्हाट्सप्प, फेसबुक, ट्विटर या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग लगातार बढ़ रहा है. कुछ लोग ऐसे सोशल मीडिया साइट पर लगातार सक्रिय रहते हैं. इनके इस्तेमाल के दौरान सावधानी बरतने से ठगी से बचा जा सकता है.
टू वे ऑथेंटिकेशन चालू रखने से ठगी होने की संभावनाएं कम
ऑथेंटिकेशन चालू रखने से मेल और मैसेज पर जानकारी मिल जाती है. इसके साथ प्रोफाइल फोटो को भी लॉक करके रखना चाहिए. हमें हर वक्त जागरूक रहने की है जरूरत है. सोशल मीडिया के प्रचलन में आने के बाद से ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. हमें इसे लेकर अलर्ट रहने की जरूरत है. सोशल मीडिया का उपयोग पूरी सावधानी से करना चाहिए, जहां किसी पर संदेह हो, तत्काल इसकी सूचना साइबर सेल को देनी चाहिए. वहीं, किसी अंजान व्यक्ति से बातचीत करने से भी बचना चाहिए.