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कालीबाड़ी मंदिर में अष्टमी और नवमी पर लगा श्रद्धालुओं का तांता, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

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Published : Oct 24, 2020, 6:44 PM IST

शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर में माता रानी के दर्शनों के लिए काफी संख्या में भक्त पहुंचे. वहीं, आज वह सोशल डिस्टेंसिंग नजर नहीं आई. श्रद्धालु माता रानी के दर्शनों के लिए एक साथ ही कतार में खड़े नजर आए. श्रद्धालु इस तरह से कतारों में खड़े थे कि उनके बीच 2 मीटर की दूरी नहीं बन पा रही थी, लेकिन लोगों की आस्था ही इतनी थी कि उन्हें कोरोना भी डर नहीं रहा. मंदिरों में इस बार जहां दुर्गा अष्टमी ओर कंजक पूजन नहीं हो पाया तो लोगों ने घरों ने ही कंजक पूजन किया और माता रानी को भोग लगाया.

Crowd of devotees on Ashtami and Navami in Kalibari temple
फोटो.

शिमला: राजधानी शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर में माता रानी के दर्शनों के लिए काफी संख्या में भक्त पहुंचे. मंदिर में इतने दिनों से जो व्यवस्था भक्तों के लिए की गई थी वह आज कहीं ना कहीं बिगड़ती हुई नजर आई. पहले जहां भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए माता रानी के दर्शन करवाए जा रहे थे.

वहीं, आज वह सोशल डिस्टेंसिंग नजर नहीं आई. श्रद्धालु माता रानी के दर्शनों के लिए एक साथ ही कतार में खड़े नजर आए. श्रद्धालु इस तरह से कतारों में खड़े थे कि उनके बीच 2 मीटर की दूरी नहीं बन पा रही थी, लेकिन लोगों की आस्था ही इतनी थी कि उन्हें कोरोना भी डर नहीं रहा. मंदिरों में इस बार जहां दुर्गा अष्टमी ओर कंजक पूजन नहीं हो पाया तो लोगों ने घरों ने ही कंजक पूजन किया और माता रानी को भोग लगाया.

वीडियो.

इस बार सुबह जहां अष्ठमी थी तो उसी के साथ नवमी की भी तिथि थी जिसके चलते कुछ लोगों ने आज ही कंजक पूजन किया और छोटी कन्याओं को हलवा पूरी का भोग लगाकर माता रानी को प्रसन्न किया गया. मंदिर में इस दौरान संधि पूजन भी किया गया.

हर बार जहां भव्य तरीके से यह पूजा मंदिर में होती थी और इसमें 108 कमल के फूल माता रानी को चढ़ाए जाते है ओर इस पूजा में श्रद्धालु काफी संख्या में भाग लेते थे वहीं, इस बार मंदिर के अंदर ही यह पूजा की गयी और श्रद्धालु इसमें भाग नहीं ले पाए. हर बार यह पूजा मंदिर में बनाए जाने वाले मां दुर्गा के पंडाल में होती थी, लेकिन इस बार मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना नहीं की गई है तो यह पूजा भी पंडाल में नहीं हो पाई.

Crowd of devotees on Ashtami and Navami in Kalibari temple
फोटो.

मंदिर में लोगों को दर्शनों के लिए ज्यादा समय तक खड़े नहीं होने दिए गया. मात्र आधा मिनट के ही दर्शन लोगों को करवाये गए. कुछ लोग ऐसे थे जो आज अष्टमी पर माता रानी को भोग लगाना चाहते थे, लेकिन उन्हें भोग और प्रसाद मंदिर में नहीं चढ़ाने दिया गया जिससे लोग कुछ निराश नजर आए.

उनका कहना था कि वह चाहते थे कि अगर मंदिर के अंदर जा कर माता रानी के दर्शन नहीं कर सकते हैं तो भोग तो माता रानी को लगा सकें, लेकिन वह प्रसाद भी माता रानी को नहीं चढ़ा पाए.

शिमला: राजधानी शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर में माता रानी के दर्शनों के लिए काफी संख्या में भक्त पहुंचे. मंदिर में इतने दिनों से जो व्यवस्था भक्तों के लिए की गई थी वह आज कहीं ना कहीं बिगड़ती हुई नजर आई. पहले जहां भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए माता रानी के दर्शन करवाए जा रहे थे.

वहीं, आज वह सोशल डिस्टेंसिंग नजर नहीं आई. श्रद्धालु माता रानी के दर्शनों के लिए एक साथ ही कतार में खड़े नजर आए. श्रद्धालु इस तरह से कतारों में खड़े थे कि उनके बीच 2 मीटर की दूरी नहीं बन पा रही थी, लेकिन लोगों की आस्था ही इतनी थी कि उन्हें कोरोना भी डर नहीं रहा. मंदिरों में इस बार जहां दुर्गा अष्टमी ओर कंजक पूजन नहीं हो पाया तो लोगों ने घरों ने ही कंजक पूजन किया और माता रानी को भोग लगाया.

वीडियो.

इस बार सुबह जहां अष्ठमी थी तो उसी के साथ नवमी की भी तिथि थी जिसके चलते कुछ लोगों ने आज ही कंजक पूजन किया और छोटी कन्याओं को हलवा पूरी का भोग लगाकर माता रानी को प्रसन्न किया गया. मंदिर में इस दौरान संधि पूजन भी किया गया.

हर बार जहां भव्य तरीके से यह पूजा मंदिर में होती थी और इसमें 108 कमल के फूल माता रानी को चढ़ाए जाते है ओर इस पूजा में श्रद्धालु काफी संख्या में भाग लेते थे वहीं, इस बार मंदिर के अंदर ही यह पूजा की गयी और श्रद्धालु इसमें भाग नहीं ले पाए. हर बार यह पूजा मंदिर में बनाए जाने वाले मां दुर्गा के पंडाल में होती थी, लेकिन इस बार मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना नहीं की गई है तो यह पूजा भी पंडाल में नहीं हो पाई.

Crowd of devotees on Ashtami and Navami in Kalibari temple
फोटो.

मंदिर में लोगों को दर्शनों के लिए ज्यादा समय तक खड़े नहीं होने दिए गया. मात्र आधा मिनट के ही दर्शन लोगों को करवाये गए. कुछ लोग ऐसे थे जो आज अष्टमी पर माता रानी को भोग लगाना चाहते थे, लेकिन उन्हें भोग और प्रसाद मंदिर में नहीं चढ़ाने दिया गया जिससे लोग कुछ निराश नजर आए.

उनका कहना था कि वह चाहते थे कि अगर मंदिर के अंदर जा कर माता रानी के दर्शन नहीं कर सकते हैं तो भोग तो माता रानी को लगा सकें, लेकिन वह प्रसाद भी माता रानी को नहीं चढ़ा पाए.

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