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टोल फ्री नंबर और मोबाइल सिम है साइबर ठगों का हथियार, पल भर में हो सकते हैं कंगाल - cyber crime

साइबर ठग भी इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं. साइबर ठगी के ऐसे कई मामले हैं जिनके सामने फिल्मी कहानी भी फीकी लगने लगेगी. ठग हर रोज ठगी के नए-नए हथकंडे अपनाते हैं. ऐसे में लोगों को सर्तक रहने की जरूरत होती है. इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए भी सतर्कता बरतें, खासकर जब ये आपके बैंक खाते से जुड़ा हुआ हो. क खाते से जुड़ी जानकारी ओटीपी, सीवीवी, डेबिट कार्ड की डिटेल किसी को भी ना दें.

cyber crime in Himachal
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Published : Nov 24, 2020, 10:00 PM IST

शिमला: साइबर क्राइम का जाल देश और दुनिया में लगातार फैलता जा रहा है और इस जाल में रोजाना कई लोग फंसते हैं. साइबर ठग भी इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं. साइबर ठगी के ऐसे कई मामले हैं जिनके सामने फिल्मी कहानी भी फीकी लगने लगेगी.

ये मामले उन लोगों के लिए सावधानी की घंटी होते हैं जो अपने बैंक खाते या उससे जुड़ी जानकारियों को लेकर सतर्क नहीं रहते. ऐसी ही साइबर ठगी का एक मामला शिमला साइबर पुलिस ने सुलझाया था.

क्या था मामला ?

मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का है जहां भवन कुमार नाम के एक शख्स ने 22 अगस्त 2019 को पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी कि वो साइबर ठगी का शिकार हुए हैं. साइबर ठगों ने उनके दो बैंक खातों से 25 लाख रुपये निकाल लिए.

पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और मामले को साइबर पुलिस को सौंपा था. साइबर पुलिस ने 66सी, 66डी, आईटी एक्ट, 419, 420, 120बी आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी.

cyber crime in Himachal
ये था पूरा मामला.

ऐसे हुई ठगी

भवन कुमार के मुताबिक वो एटीएम से 10 हजार रुपये निकालने गए थे लेकिन पूरी प्रक्रिया के बाद भी एटीएम से पैसे नहीं निकले. जबकि बैंक की तरफ से 10 हजार रुपये एटीएम से निकालने का मैसेज उनके मोबाइल पर आ गया. जिसके बाद उन्होंने इंटरनेट से बैंक का टोल फ्री नंबर लेकर इसकी शिकायत कर दी

अगले दिन एक अज्ञात नंबर से भवन कुमार को फोन आया और ठग ने खुद को बैंक अधिकारी बताकर उनसे बैंक खाते, डेबिट कार्ड और बैंक खाते से लिंक मोबाइल नंबर की जानकारी ले ली. जिसके कुछ दिन बाद भवन को पता चला कि उनके दो बैंक खातों से करीब 25 लाख रुपये गायब हो चुके हैं.

cyber crime in Himachal
ठगों ने कैसे की ठगी.

ठगों ने सिम स्वैपिंग को बनाया हथियार

सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग के जरिये आसानी से साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा सकता है. दरअसल साइबर ठग आपके सिम का डुप्लीकेट तैयार कर लेता है. सिम स्वैप का मतलब वह सिम एक्सचेंज कर लेता है आपके फोन नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन करवा लिया जाता है और आपका सिम बंद हो जाता है.

जिसके बाद बैंक से जुड़े तमाम मैसेज, ओटीपी या अन्य जानकारी उस नए सिम पर पहुंचती है. सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है लेकिन शुरुआत में उसे लगता है कि नेटवर्क की दिक्कत है जो ठीक हो जाएगी लेकिन जब तक उसे समझ आता है बहुत देर हो चुकी होती है.

भवन कुमार के मामले में भी ऐसा ही हुआ. शुरुआती छानबीन में पता चला कि पीड़ित के एयरटेल नंबर को फर्जी केवाईसी पर वोडाफोन में पोर्ट कर दिया गया, जिसकी लोकेशन पश्चिम बंगाल थी. दरअसल, भवन ने इंटरनेट से जिस टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करवाने के लिए फोन किया था, उसपर एक शख्स ने भवन को दूसरा टोल फ्री नंबर देकर उसपर एक मैसेज करने को कहा.

भवन के मैसेज करने के बाद उसके नंबर पर एक कोड आया. अगले दिन उसी टोल फ्री नंबर से भवन को फोन आता है और वो कोड मांग लिया जाता है. इसके बाद साइबर ठगों ने पीड़ित के दो बैंक खातों से 25 लाख रुपये की अलग-अलग ई-वॉलेट्स पर ट्रांसफर कर दी और बाद में इस पैसे को एक बैंक के 20 से 25 अलग-अलग खातों में डाल दिया.

पुलिस ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार

इस पूरे मामले की जांच साइबर सेल ने शुरू की तो जांच की शुरुआत में ही कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. साइबर ठगों ने मोबाइल नंबर पोर्ट करने से लेकर डिजिटल वॉलेट और बैंक खातों का इस्तेमाल किया. जिसके चलते जांच मुश्किल हो गई. साइबर सेल की जांच पश्चिम बंगाल और बिहार तक पहुंची और दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया. ये दोनों आरोपी साइबर क्राइम को अंजाम देते थे जिसके लिए इन दोनों ने इंटरनेट पर कुछ टोल फ्री नंबर डाले हुए थे.

पुलिस ने ऐसे सुलझाई गुत्थी

साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह राठौर बताते हैं कि शुरुआती जांच में पीड़ित के नंबर को पोर्ट करने का खुलासा हुआ. जिसकी लोकेशन पश्चिम बंगाल की थी. साइबर सेल ने एक टीम पहले पश्चिम बंगाल गई. जहां नंबर के एड्रेस का पीछा करते करते पुरुलिया जिले तक पहुंचे.

जांच के दौरान ही पता चला कि पीड़ित के खाते से निकाला गया पैसा पुरुलिया जिले और इसके आसपास के रहने वाले लोगों के खातों में डाली गई थी और ये सभी खाते फिनो पेमेंट बैंक के थे. 22 फरवरी 2020 को पुलिस ने वोडाफोन का स्टोर चलाने वाले विशाल कुमार नाम के शख्स को गिरफ्तार किया.

वीडियो.

विशाल वोडाफोन के सिम बेचने के साथ-साथ फिनो पेमेंट बैंक का एजेंट भी था और बैंक में खाते भी खुलवाता था. पुलिस को विशाल के पास से करीब 250 लोगों के आधार कार्ड की फोटोकॉपी मिली. पूछताछ में पता चला कि विशाल ने ही भवन कुमार का नंबर पोर्ट कर प्रद्युम्न नाम के शख्स को उपलब्ध करवाया था. जिसके बाद उस नंबर पर फिनो पेमेंट बैंक का अकाउंट खोला गया. विशाल ने इस बैंक में 20 जाली अकाउंट प्रद्युमन को खोलकर दिए थे.

अब पुलिस करण पंडित उर्फ प्रद्युम्न पंडित की तलाश में थी. उसके मोबाइल लोकेशन की ट्रेसिंग शुरू की गई. एक बार वो कोलकाता रेलवे स्टेशन पर ट्रेस हुआ लेकिन जब तक पुलिस पहुंची प्रद्युम्न बिहार की ट्रेन पकड़ चुका था. कुछ देर बाद मोबाइल स्विच्ड ऑफ हो गया और फिर बिहार के बेगूसराय जिले में लोकेट हुआ.

24 फरवरी को साइबर टीम ने लोकल पुलिस की मदद से प्रद्युम्न पंडित को भी उसके घर से दबोच लिया. आरोपी के पास से भारी मात्रा में सिम कार्ड और फिनो पेमेंट बैंक के अकाउंट और एक लैपटॉप बरामद हुआ. दोनों आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.

जानकार बनिये, सतर्क रहिये

आरबीआई कहता है कि जानकार बनिये, सतर्क रहिये. बैंक खाते से जुड़ी जानकारी ओटीपी, सीवीवी, डेबिट कार्ड की डिटेल किसी को भी ना दें. भवन कुमार के इस मामले को जानने के बाद और भी सावधान रहने की जरूरत है. इंटरनेट से किसी भी टोल फ्री नंबर पर फोन करने से बचने के साथ-साथ किसी को भी बैंक से लिंक्ड मोबाइल नंबर की जानकारी किसी को भी ना दें.

शिमला: साइबर क्राइम का जाल देश और दुनिया में लगातार फैलता जा रहा है और इस जाल में रोजाना कई लोग फंसते हैं. साइबर ठग भी इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं. साइबर ठगी के ऐसे कई मामले हैं जिनके सामने फिल्मी कहानी भी फीकी लगने लगेगी.

ये मामले उन लोगों के लिए सावधानी की घंटी होते हैं जो अपने बैंक खाते या उससे जुड़ी जानकारियों को लेकर सतर्क नहीं रहते. ऐसी ही साइबर ठगी का एक मामला शिमला साइबर पुलिस ने सुलझाया था.

क्या था मामला ?

मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का है जहां भवन कुमार नाम के एक शख्स ने 22 अगस्त 2019 को पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी कि वो साइबर ठगी का शिकार हुए हैं. साइबर ठगों ने उनके दो बैंक खातों से 25 लाख रुपये निकाल लिए.

पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और मामले को साइबर पुलिस को सौंपा था. साइबर पुलिस ने 66सी, 66डी, आईटी एक्ट, 419, 420, 120बी आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी.

cyber crime in Himachal
ये था पूरा मामला.

ऐसे हुई ठगी

भवन कुमार के मुताबिक वो एटीएम से 10 हजार रुपये निकालने गए थे लेकिन पूरी प्रक्रिया के बाद भी एटीएम से पैसे नहीं निकले. जबकि बैंक की तरफ से 10 हजार रुपये एटीएम से निकालने का मैसेज उनके मोबाइल पर आ गया. जिसके बाद उन्होंने इंटरनेट से बैंक का टोल फ्री नंबर लेकर इसकी शिकायत कर दी

अगले दिन एक अज्ञात नंबर से भवन कुमार को फोन आया और ठग ने खुद को बैंक अधिकारी बताकर उनसे बैंक खाते, डेबिट कार्ड और बैंक खाते से लिंक मोबाइल नंबर की जानकारी ले ली. जिसके कुछ दिन बाद भवन को पता चला कि उनके दो बैंक खातों से करीब 25 लाख रुपये गायब हो चुके हैं.

cyber crime in Himachal
ठगों ने कैसे की ठगी.

ठगों ने सिम स्वैपिंग को बनाया हथियार

सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग के जरिये आसानी से साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा सकता है. दरअसल साइबर ठग आपके सिम का डुप्लीकेट तैयार कर लेता है. सिम स्वैप का मतलब वह सिम एक्सचेंज कर लेता है आपके फोन नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन करवा लिया जाता है और आपका सिम बंद हो जाता है.

जिसके बाद बैंक से जुड़े तमाम मैसेज, ओटीपी या अन्य जानकारी उस नए सिम पर पहुंचती है. सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है लेकिन शुरुआत में उसे लगता है कि नेटवर्क की दिक्कत है जो ठीक हो जाएगी लेकिन जब तक उसे समझ आता है बहुत देर हो चुकी होती है.

भवन कुमार के मामले में भी ऐसा ही हुआ. शुरुआती छानबीन में पता चला कि पीड़ित के एयरटेल नंबर को फर्जी केवाईसी पर वोडाफोन में पोर्ट कर दिया गया, जिसकी लोकेशन पश्चिम बंगाल थी. दरअसल, भवन ने इंटरनेट से जिस टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करवाने के लिए फोन किया था, उसपर एक शख्स ने भवन को दूसरा टोल फ्री नंबर देकर उसपर एक मैसेज करने को कहा.

भवन के मैसेज करने के बाद उसके नंबर पर एक कोड आया. अगले दिन उसी टोल फ्री नंबर से भवन को फोन आता है और वो कोड मांग लिया जाता है. इसके बाद साइबर ठगों ने पीड़ित के दो बैंक खातों से 25 लाख रुपये की अलग-अलग ई-वॉलेट्स पर ट्रांसफर कर दी और बाद में इस पैसे को एक बैंक के 20 से 25 अलग-अलग खातों में डाल दिया.

पुलिस ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार

इस पूरे मामले की जांच साइबर सेल ने शुरू की तो जांच की शुरुआत में ही कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. साइबर ठगों ने मोबाइल नंबर पोर्ट करने से लेकर डिजिटल वॉलेट और बैंक खातों का इस्तेमाल किया. जिसके चलते जांच मुश्किल हो गई. साइबर सेल की जांच पश्चिम बंगाल और बिहार तक पहुंची और दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया. ये दोनों आरोपी साइबर क्राइम को अंजाम देते थे जिसके लिए इन दोनों ने इंटरनेट पर कुछ टोल फ्री नंबर डाले हुए थे.

पुलिस ने ऐसे सुलझाई गुत्थी

साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह राठौर बताते हैं कि शुरुआती जांच में पीड़ित के नंबर को पोर्ट करने का खुलासा हुआ. जिसकी लोकेशन पश्चिम बंगाल की थी. साइबर सेल ने एक टीम पहले पश्चिम बंगाल गई. जहां नंबर के एड्रेस का पीछा करते करते पुरुलिया जिले तक पहुंचे.

जांच के दौरान ही पता चला कि पीड़ित के खाते से निकाला गया पैसा पुरुलिया जिले और इसके आसपास के रहने वाले लोगों के खातों में डाली गई थी और ये सभी खाते फिनो पेमेंट बैंक के थे. 22 फरवरी 2020 को पुलिस ने वोडाफोन का स्टोर चलाने वाले विशाल कुमार नाम के शख्स को गिरफ्तार किया.

वीडियो.

विशाल वोडाफोन के सिम बेचने के साथ-साथ फिनो पेमेंट बैंक का एजेंट भी था और बैंक में खाते भी खुलवाता था. पुलिस को विशाल के पास से करीब 250 लोगों के आधार कार्ड की फोटोकॉपी मिली. पूछताछ में पता चला कि विशाल ने ही भवन कुमार का नंबर पोर्ट कर प्रद्युम्न नाम के शख्स को उपलब्ध करवाया था. जिसके बाद उस नंबर पर फिनो पेमेंट बैंक का अकाउंट खोला गया. विशाल ने इस बैंक में 20 जाली अकाउंट प्रद्युमन को खोलकर दिए थे.

अब पुलिस करण पंडित उर्फ प्रद्युम्न पंडित की तलाश में थी. उसके मोबाइल लोकेशन की ट्रेसिंग शुरू की गई. एक बार वो कोलकाता रेलवे स्टेशन पर ट्रेस हुआ लेकिन जब तक पुलिस पहुंची प्रद्युम्न बिहार की ट्रेन पकड़ चुका था. कुछ देर बाद मोबाइल स्विच्ड ऑफ हो गया और फिर बिहार के बेगूसराय जिले में लोकेट हुआ.

24 फरवरी को साइबर टीम ने लोकल पुलिस की मदद से प्रद्युम्न पंडित को भी उसके घर से दबोच लिया. आरोपी के पास से भारी मात्रा में सिम कार्ड और फिनो पेमेंट बैंक के अकाउंट और एक लैपटॉप बरामद हुआ. दोनों आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.

जानकार बनिये, सतर्क रहिये

आरबीआई कहता है कि जानकार बनिये, सतर्क रहिये. बैंक खाते से जुड़ी जानकारी ओटीपी, सीवीवी, डेबिट कार्ड की डिटेल किसी को भी ना दें. भवन कुमार के इस मामले को जानने के बाद और भी सावधान रहने की जरूरत है. इंटरनेट से किसी भी टोल फ्री नंबर पर फोन करने से बचने के साथ-साथ किसी को भी बैंक से लिंक्ड मोबाइल नंबर की जानकारी किसी को भी ना दें.

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