शिमला: देश में देवी रूप कहे जाने और पूजी जानी वाली महिलाएं आज खुद को कहीं भी सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. सदियों से महिलाओं पर सती प्रथा और बाल विवाह जैसी सामजिक कुरितियों के नाम पर होने वाले अत्याचारों कि जगह आज दुष्कर्म, छेड़छाड़ और महिला क्रूरता जैसे अपराधों ने ले ली है.
आज 21वीं सदी में भी महिलाएं अपने घर, स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में सुरक्षित नहीं हैं. वहीं, पिछले कुछ सालों में देश के साथ-साथ शांत राज्य माने जाने वाले हिमाचल प्रदेश में भी महिला अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.
हालांकि कई राज्यों के मुकाबले हिमाचल प्रदेश में महिला सुरक्षा की स्थिति बेहतर है. पहाड़ी इलाकों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के आंकड़े दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा नहीं हैं, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि प्रदेश पुलिस रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल राज्य में भी महिला अपराध के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
महिला अपराध के मामलों में बढ़ोतरी को मानते हुए गुड़िया हेल्पलाइन की अध्यक्षा रूपा शर्मा ने कहा कि गुड़िया हेल्पलाइन के माध्यम से 2018 के बाद 3500 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से कुछ मामले कोर्ट में चल रहे हैं और कुछ मामले सुलझा लिए गए हैं.
रूपा शर्मा कहना है कि मामले बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि महिलाएं अब अपने लिए खड़ी हो रही हैं. महिलाएं अपने खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर पुलिस के पास जा रही हैं और थानों में मामले दर्ज हो रहे हैं. इससे पहले महिलाएं अपराधों की रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाती थी.
पिछले 5 सालों की तुलना की जाए तो महिला अपराध के सबसे अधिक मामलें 2019 में सामने आए हैं. जहां साल 2018 में 1617 केस दर्ज हुए थे, वहीं, 2019 में ये संख्या 1638 है.
पिछले 5 सालों में हिमाचल पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज मामले
- साल कुल मामले
- 2019 1638
- 2018 1617
- 2017 1260
- 2016 1216
- 2015 1314
शांत पहाड़ी राज्य कहे जाने वाले हिमाचल में पिछले 5 सालों में महिला अपराध में छेड़छाड़ के मामले सबसे अधिक दर्ज किए गए हैं. वर्ष 2019 में हिमाचल प्रदेश पुलिस के रिकॉर्ड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 1034 मामले दर्ज हुए हैं. इसमें महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 338, दहेज प्रताड़ना के 4, महिला क्रूरता के 218 और छेड़छाड़ के 474 मामले सामने आए हैं.
- साल दुष्कर्म दहेज प्रताड़ना महिला क्रूरता छेड़छाड़
- 2019 338 4 218 474
- 2018 345 4 185 515
- 2017 249 3 191 403
- 2016 244 3 214 405
- 2015 244 2 226 433
महिला अपराधों पर नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के नेता मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में कानून-व्यवस्था का हाल-बेहाल है. महिलाओं की स्थिती बद से बदतर होती जा रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी के सरकाघाट में बुजुर्ग महिला से देव आस्था के नाम पर क्रूरता, मंडी में ही विवाहित महिला से मारपीट और अन्य मामले प्रदेश में महिलाओं की स्थिती की दास्तान को बयां करते हैं.
गुड़िया हेल्पलाइन की अध्यक्षा रूपा शर्मा का कहना है कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर रोक के लिए सबसे अहम जिम्मेदारी पुलिस की बनती है. पुलिस को चाहिए कि वह अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने के लिए जागरूकता शिविर लगाने की बहुत अवाश्यकता है.
जिलावार महिला अपराधों पर एक नजर डाली जाए तो प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृहजिला मंडी पहले नंबर पर आता है. वहीं, लाहौल स्पीति में महिला अपराध सबसे कम है. साल 2019 में लाहौल स्पीति में मात्र दो मामले सामने आए.
2019 में जिलेवार दर्ज मामले
- जिले दुष्कर्म, दहेज प्रताड़ना, महिला क्रूरता, छेड़छाड़
- बिलासपुर 19, 1, 20, 32, 72
- चंबा 18, 0, 7, 30, 55
- हमीरपुर 18, 1, 18, 36, 73
- कांगड़ा 39, 2, 30, 89, 160
- किन्नौर 12, 0, 3, 5, 20
- कुल्लू 30, 0, 8, 24, 62
- लाहौल स्पीति 0, 0, 1, 1, 2
- मंडी 50, 0, 46, 91, 187
- शिमला 62, 0, 14, 68, 144
- सिरमौर 40, 0, 27, 54, 121,
- सोलन 32, 0, 10, 24, 66
- ऊना 18, 0, 34, 20, 72
- कुल 338, 4, 218, 474, 1034
हिमाचल में महिलाओं की स्थिति को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा, इसे लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं और आने वाले समय में महिलाओं के लिए और भी बेहतर कदम उठाए जाएंगे.
अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पिछले पांच सालों में ये बात निकल कर सामने आती है कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़े हैं. हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अब महिलाओं में जागरुकता भी बढ़ी है.
महिलाएं अपने खिलाफ होने वाले अपराधों के खिलाफ ना सिर्फ खड़ी हो रही हैं, बल्कि पुलिस में भी इसकी रिपोर्ट दे रही हैं. सरकार ने महिला अपराधों को रोकने के लिए प्रदेशभर में महिला थानों की स्थापना तो कर रखी है वहीं, गुड़िया हेल्पलाइन जैसे कदम भी उठाए हैं. अब उम्मीद यही की जा सकती है कि आने वाले समय में शांत कहे जाने वाली देवभूमि हिमाचल में महिला अपराधों में कमी आए.