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सीपीएम लोकल कमेटी रामपुर का सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन, सत्ता पक्ष के सामने रखी कई मांगे - कोविड के मरीज

सीपीएम लोकल कमेटी रामपुर ने केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर केंद्र की मोदी व प्रदेश की जयराम सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को रामपुर व निरमंड में विरोध प्रदर्शन किया. सीपीएम का कहना है कि सरकार लोगों को रोजगार देने में असफल रही है. कोरोना से देश के लाखों लोग बेरोजगार हो गए है और सरकार श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी व पूंजीपति के पक्ष के संशोधन करने में लगी हुई है.

सीपीएम रामपुर
सीपीएम रामपुर
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Published : Aug 26, 2020, 6:04 PM IST

रामपुर: सीपीएम लोकल कमेटी रामपुर ने केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर केंद्र की मोदी व प्रदेश की जयराम सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को रामपुर व निरमंड में विरोध प्रदर्शन किया. धरने को संबोधित करते हुए सीपीएम लोकल कमेटी सचिव देवकी नंद, जिला कमेटी सदस्य बिहारी सेवगी व कुलदीप ने कहा कि दुनिया में फैली कोरोना वायरस महामारी की आपदा को रोकने का एकमात्र उपाय लॉकडाउन था.

सार्वजनिक परिसंपत्तियों की लगाई गई बोली

सीपीएम नेताओं ने कहा कि देश व दुनिया में सरकारों को अपने स्वास्थ्य प्रणाली को दुरुस्त करना चाहिए था, लेकिन बीजेपी सरकार ने लोगों के लिए लॉकडाउन करके देश की सार्वजनिक परिसंपत्तियों की बोली लगाई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस आपदा की घड़ी को को एक अवसर की तरह प्रयोग किया. उन्होंने कहा कि इस दौरान देश मे करोड़ों लोगो की नौकरी खत्म हुई और छोटे रोजगार में लगे लोगों का रोजगार खत्म हो गया है.

वीडियो रिपोर्ट.

हजारों मजदूर हुए बेरोजगार

सीपीएम नेताओं ने कहा कि देश में किसानों-बागवानों का हाल बेहाल हो गया है. देश में हजारों प्रवासी मजदूरों को अपने काम छोड़कर वापस अपने गांव व शहरों को लौटना पड़ा. उन्होंने कहा कि भारत में केरल में सबसे ज्यादा कोविड के मरीज आए थे, लेकिन राज्य सरकार ने कोविड को रोकने के लिए समय पर कारगर कदम उठाए व सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा को मजबूत किया. इसकी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सराहना की और दुनिया के लिए इसे एक मॉडल के तौर पर देखा गया.

कोरोना काल को किया इस्तेमाल

सीपीएम नेताओं ने कहा कि केंद्र व प्रदेश बीजेपी सरकार ने श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन करके कोरोना काल को एक अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया है. इसके तहत श्रम कानूनों में परिवर्तन, काम के घंटो में बढ़ोतरी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर कर सब्सिडी खत्म, कृषि में प्रयोग कीटनाशकों पर सब्सिडी को खत्म और एपीएल को सस्ते राशन से वंचित करके राशन कार्ड खत्म करने की ओर कदम बढ़ाया गया, जिसका असर देश की गरीब जनता पर पड़ रहा है.

रोजगार देने में असफल रही सरकार

सीपीएम ने कहा कि प्रदेश में बस के किराए को पिछले 2 से 2.5 सालों में 40 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है. साथ ही न्यूनतम किराए में करीब 350 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए उसे 2 रुपये से 7 रुपये तक किया गया. बिजली बिल में बढ़ोतरी की गई है जबकि बिलों का आबंटन 6 से 8 महीने में एक बार किया जा रहा है. सीपीएम का कहना है कि सरकार लोगों को रोजगार देने में असफल रही है. कोरोना से देश के लाखों लोग बेरोजगार हो गए है और सरकार श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी व पूंजीपति के पक्ष में संशोधन करने में लगी हुई है.

वहीं, सीपीएम ने सरकार के सामने कुछ मांगें रखी हैं, इनमें यह मांगे शामिल हैं

  • श्रम कानूनों में किए गए संशोधन को वापिस लिया जाए.
  • बेरोजगार नोजवानों के रोजगार की व्यवस्था की जाए.
  • देश के बीमा, बैंक, बीएसएनएल, कोयला, परिवहन, एयरपोर्ट जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को बेचना बंद किया जाए.
  • कोरोना काल की आपदा में आयकर के दायरे से बाहर जीवन यापन कर रहे लोगों के खाते में सरकार की तरफ से 6 महीने तक नकद 7500 रुपये डाले जाएं. साथ ही 6 महीने तक 10 किलो राशन प्रतिव्यक्ति मुफ्त दिया जाए.
  • सभी को सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करते हुए 35 किलो राशन 2 रुपये प्रतिकिलो की दर से उपलब्ध करवाया जाएं. साथ ही 14 अन्य आवश्यक वस्तुओं को भी उचित दाम पर मुहैया करावाया जाए.
  • बिजली के बिलों में की गई बढ़ोतरी को वापस लेने के साथ-साथ बिलों को मासिक तौर पर सभी को किया जाए.
  • ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में खाली पड़े पदों को भरा जाएं व सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया जाए.
  • रामपुर बस डिपो के तहत आने वाले सभी बंद लोकल रूटों को बहाल करने के साथ-साथ बसों के किराए में कई बढ़ोतरी को वापिस लिया जाए.
  • किसान-बागवानों हेतु कीटनाशकों व फफूंदीनाशक पर अनुदान दिया जाए.
  • सेब की फसल को स्कैब के रोग की रोकथाम हेतु विशेष टीम बनाकर नुकसान का अकालन किया जाएं और उसका मुआवजा दिया जाए.
  • मनरेगा में 200 दिन का काम और 600 रुपये दिहाड़ी उपलब्ध करवाई जाए.
  • शहरी क्षेत्रों में भी मनरेगा की तर्ज पर रोजगार का प्रबंध होना चाहिए.
  • रामपुर के ठंडे इलाकों में सर्दियों में बर्फ हटाने का काम मनरेगा के तहत किया जाना चाहिए.
  • सेवाओं व भर्ती कमीशन आधारित ठेका प्रथा को खत्म किया जाए.

पढ़ें: हमीरपुर में सड़कों पर उतरे वामपंथी संगठन

रामपुर: सीपीएम लोकल कमेटी रामपुर ने केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर केंद्र की मोदी व प्रदेश की जयराम सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को रामपुर व निरमंड में विरोध प्रदर्शन किया. धरने को संबोधित करते हुए सीपीएम लोकल कमेटी सचिव देवकी नंद, जिला कमेटी सदस्य बिहारी सेवगी व कुलदीप ने कहा कि दुनिया में फैली कोरोना वायरस महामारी की आपदा को रोकने का एकमात्र उपाय लॉकडाउन था.

सार्वजनिक परिसंपत्तियों की लगाई गई बोली

सीपीएम नेताओं ने कहा कि देश व दुनिया में सरकारों को अपने स्वास्थ्य प्रणाली को दुरुस्त करना चाहिए था, लेकिन बीजेपी सरकार ने लोगों के लिए लॉकडाउन करके देश की सार्वजनिक परिसंपत्तियों की बोली लगाई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस आपदा की घड़ी को को एक अवसर की तरह प्रयोग किया. उन्होंने कहा कि इस दौरान देश मे करोड़ों लोगो की नौकरी खत्म हुई और छोटे रोजगार में लगे लोगों का रोजगार खत्म हो गया है.

वीडियो रिपोर्ट.

हजारों मजदूर हुए बेरोजगार

सीपीएम नेताओं ने कहा कि देश में किसानों-बागवानों का हाल बेहाल हो गया है. देश में हजारों प्रवासी मजदूरों को अपने काम छोड़कर वापस अपने गांव व शहरों को लौटना पड़ा. उन्होंने कहा कि भारत में केरल में सबसे ज्यादा कोविड के मरीज आए थे, लेकिन राज्य सरकार ने कोविड को रोकने के लिए समय पर कारगर कदम उठाए व सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा को मजबूत किया. इसकी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सराहना की और दुनिया के लिए इसे एक मॉडल के तौर पर देखा गया.

कोरोना काल को किया इस्तेमाल

सीपीएम नेताओं ने कहा कि केंद्र व प्रदेश बीजेपी सरकार ने श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन करके कोरोना काल को एक अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया है. इसके तहत श्रम कानूनों में परिवर्तन, काम के घंटो में बढ़ोतरी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर कर सब्सिडी खत्म, कृषि में प्रयोग कीटनाशकों पर सब्सिडी को खत्म और एपीएल को सस्ते राशन से वंचित करके राशन कार्ड खत्म करने की ओर कदम बढ़ाया गया, जिसका असर देश की गरीब जनता पर पड़ रहा है.

रोजगार देने में असफल रही सरकार

सीपीएम ने कहा कि प्रदेश में बस के किराए को पिछले 2 से 2.5 सालों में 40 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है. साथ ही न्यूनतम किराए में करीब 350 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए उसे 2 रुपये से 7 रुपये तक किया गया. बिजली बिल में बढ़ोतरी की गई है जबकि बिलों का आबंटन 6 से 8 महीने में एक बार किया जा रहा है. सीपीएम का कहना है कि सरकार लोगों को रोजगार देने में असफल रही है. कोरोना से देश के लाखों लोग बेरोजगार हो गए है और सरकार श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी व पूंजीपति के पक्ष में संशोधन करने में लगी हुई है.

वहीं, सीपीएम ने सरकार के सामने कुछ मांगें रखी हैं, इनमें यह मांगे शामिल हैं

  • श्रम कानूनों में किए गए संशोधन को वापिस लिया जाए.
  • बेरोजगार नोजवानों के रोजगार की व्यवस्था की जाए.
  • देश के बीमा, बैंक, बीएसएनएल, कोयला, परिवहन, एयरपोर्ट जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को बेचना बंद किया जाए.
  • कोरोना काल की आपदा में आयकर के दायरे से बाहर जीवन यापन कर रहे लोगों के खाते में सरकार की तरफ से 6 महीने तक नकद 7500 रुपये डाले जाएं. साथ ही 6 महीने तक 10 किलो राशन प्रतिव्यक्ति मुफ्त दिया जाए.
  • सभी को सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करते हुए 35 किलो राशन 2 रुपये प्रतिकिलो की दर से उपलब्ध करवाया जाएं. साथ ही 14 अन्य आवश्यक वस्तुओं को भी उचित दाम पर मुहैया करावाया जाए.
  • बिजली के बिलों में की गई बढ़ोतरी को वापस लेने के साथ-साथ बिलों को मासिक तौर पर सभी को किया जाए.
  • ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में खाली पड़े पदों को भरा जाएं व सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया जाए.
  • रामपुर बस डिपो के तहत आने वाले सभी बंद लोकल रूटों को बहाल करने के साथ-साथ बसों के किराए में कई बढ़ोतरी को वापिस लिया जाए.
  • किसान-बागवानों हेतु कीटनाशकों व फफूंदीनाशक पर अनुदान दिया जाए.
  • सेब की फसल को स्कैब के रोग की रोकथाम हेतु विशेष टीम बनाकर नुकसान का अकालन किया जाएं और उसका मुआवजा दिया जाए.
  • मनरेगा में 200 दिन का काम और 600 रुपये दिहाड़ी उपलब्ध करवाई जाए.
  • शहरी क्षेत्रों में भी मनरेगा की तर्ज पर रोजगार का प्रबंध होना चाहिए.
  • रामपुर के ठंडे इलाकों में सर्दियों में बर्फ हटाने का काम मनरेगा के तहत किया जाना चाहिए.
  • सेवाओं व भर्ती कमीशन आधारित ठेका प्रथा को खत्म किया जाए.

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