शिमला: स्वास्थ्य उपकरण खरीद मामले पर प्रदेश में सियासत गरमा गई है. पक्ष-विपक्ष में लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इसी कड़ी में जिला शिमला के ठियोग से सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा ने सरकार पर हमला बोला है. विधायक राकेश सिंघा ने मामले की जांच हिमाचल हाईकोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की है.
विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि विजिलेंस जांच केवल मात्र लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए करवाई जा रही है. न ही इसका कोई नतीजा निकलेगा और न ही दोषियों को सजा मिल पाएगी. राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर सीपीआईएम ने मामले की जांच हिमाचल हाईकोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद मामले पर प्रदेश सरकार गंभीर नहीं है. मामले की विजिलेंस जांच केवल आरोपियों को बचाने और जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए की जा रही है.
विधायक राकेश सिंह ने कहा कि विजिलेंस जांच से आज तक दोषियों को सजा नहीं मिल पाई है और न ही विजिलेंस अधिकतर मामलों को खत्म करने में सफल हो पाई है, इसलिए स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटाले की जांच हिमाचल हाई कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए. सीपीआईएम ने कहा कि कोविड-19 के काल में खरीदे गए उपकरणों पर श्वेत पत्र लाना चाहिए ताकि प्रदेश की जनता को सही स्थिति का ज्ञान मिल सकें.
विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने उपकरणों की खरीद के लिए जो कमेटी बनाई थी उसमें न तो विशेषज्ञ शामिल थे और न ही डॉक्टर. केवल आईएएस अधिकारियों की कमेटी ने ही अपने स्तर पर उपकरणों की खरीद की जिसमें ड्रग कंट्रोलर द्वारा तय मानकों की अनदेखी की गई है.
सीपीआई विधायक ने आरोप लगाते हुए कहा कि 21 मई से लेकर 25 मई तक विजिलेंस आरोपी के खिलाफ किसी भी प्रकार का साक्ष्य जुटाने में असमर्थ रही, जिस वजह से आरोपी को कोर्ट से जमानत मिल गई. उनका कहना था कि अगर विजिलेंस सही तरीके से काम करती तो गिरफ्तार अधिकारी को जमानत मिल पाना मुश्किल था और अन्य आरोपियों को भी पकड़ा जा सकता था.