शिमला: पूरे देश में आज कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है. भक्त अपने भगवान के स्वागत के लिए तैयार हैं. 11 अगस्त की रात को भगवान का प्रकटोत्सव मनाया जाएगा, लेकिन कोविड की वजह से इस साल श्रद्धालु मंदिरों में भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे.
जन्माष्टमी पर इस साल कोई बड़े आयोजन नहीं होंगे, लेकिन लोगों में इस पर्व को लेकर उत्साह में कोई कमी नहीं है.लोग अपने घरों पर ही जन्माष्टमी मनाएंगे. शिमला के स्थानीय लोग लड्डू गोपाल के श्रृंगार और विशेष पूजा अर्चना के सामन की खरीददारी के लिए बाजारों का रुख रहे हैं.
कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी?
कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानि कि आठवें दिन मनाई जाती है. इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा. वहीं रोहिणी नक्षत्र को अधिक महत्व देने वाले लोग 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे.
राजधानी शिमला में भी कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बड़े आयोजन नहीं किए जा रहे हैं. शिमला के प्रसिद्ध राधाकृष्ण मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाता था, वहां पर भी इस बार कोई आयोजन नहीं किया जा रहा है, लेकिन सनातनधर्म सभा की ओर से मंदिर परिसर को इस दिन के लिए खास तरीके से सजाया जा रहा है. फूलों और रंगबिरंगी लाइट्स से मंदिर परिसर को सजाया जा रहा है. इस साल मंदिर में बंद कपाटों के पीछे ही भगवान कृष्ण का श्रृंगार ओर विशेष पूजा अर्चना की जाएगी.
सनातनधर्म सभा के अध्यक्ष ने बताया अजय सूद ने कहा कि इस बार 131वां जन्माष्टमी वार्षिकमहोत्सव राधा कृष्ण मंदिर में मनाया जा रहा है. मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है,लेकिन मंदिर के कपाट बंद रहेंगे और सरकार के निर्देशों का पालन किया जाएगा.
जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
- जन्माष्टमी की तिथि: 11 अगस्त और 12 अगस्त.
- अष्टमी तिथि की शुरुआत: 11 अगस्त सुबह 09: 06 मिनट से
- अष्टमी तिथि समाप्त: 12 अगस्त को सुबह 05: 22 मिनट तक.
- रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत: 13 अगस्त की सुबह 03:27 मिनट से.
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 14 अगस्त को सुबह 05 :22 मिनट तक.
शिमला के राधा कृष्ण मंदिर में 131वां जन्माष्टमी वार्षिकमहोत्सव मनाया जा रहा है. मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है, लेकिन मंदिर के कपाट बंद रहेंगे और सरकार के निर्देशों का पालन किया जाएगा. लोगों को कान्हा जी के दर्शन हो सके इसके लिए मंदिर के गर्भ गृह में रखी गई राधाकृष्ण की मूर्ति का चित्र बाहर मंदिर के दरवाजे पर लगाया गया है ताकि ठाकुर जी के दर्शन लोग कर सके.
कहीं ना कहीं कोरोना वायरस के चलते इस साल कान्हा के भक्त अपने भगवान से दूर हो गए हैं. मंदिर बंद होने से लोगों में काफी निराशा भी देखने को मिल रही है, लेकिन भगवान कृष्ण मंदिरों के साथ-साथ अपने भक्तों के दिल में भी बसते हैं. शायद इस लिए भक्तों में निराशा से कही ज्यादा भगवान के प्रकटोत्सव का आंनद देखने को मिल रहा है.