शिमलाः कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया. विश्व की बड़ी-बड़ी शक्तियां कोरोना महामारी के प्रकोप के सामने घुटने टेकती नजर आई. महामारी के शुरुआती दौर से ही दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन का इंतजार किया जा रहा था. अब जब देश में दो-दो कोरोना वैक्सीन आ गई हैं, तो लोगों में कोरोना वैक्सीन को लेकर डर नजर आ रहा है.
देशभर में चल रहा वैक्सीनेशन महा अभियान
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा हो लेकिन, महामारी के दौर के बाद में यह इस तरह का पहला टीकाकरण अभियान है. 16 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्चुअल संबोधन के बाद देशभर में वैक्सीनेशन महा अभियान शुरू हुआ. हिमाचल प्रदेश में भी इस अभियान की शुरुआत हुई. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश ने कोरोना से लड़ाई लड़ी है और अब इससे बचाव का समय आ गया है.
वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में शंका
फिलहाल देश के साथ हिमाचल प्रदेश में भी लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर डर है. या यूं कहें कि लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर कुछ शंकाएं हैं. हिमाचल प्रदेश में पहले दिन निर्धारित टीकाकरण लक्ष्य को 60 फीसदी ही पूरा किया जा सका. प्रदेश में कुल 2 हजार 499 कोरोना फ्रंटलाइन वर्कर को वैक्सीन लगाई जानी थी लेकिन, वैक्सीन लगाने के लिए सिर्फ 1 हजार 536 वर्कर ही आए.
सोलन में 31 फीसदी ने ही लगवाई वैक्सीन
टीकाकरण लक्ष्य की पूर्ति सबसे ज्यादा लाहौल स्पीति में 86.81 फीसदी हुई जबकि सबसे कम जिला सोलन में 31 फीसदी रही. इसी तरह बिलासपुर में 60.23 फीसदी, चंबा में 85.94 फीसदी, हमीरपुर में 49.23 फीसदी, कांगड़ा में 70.76 फीसदी, किन्नौर में 51.55 फीसदी, कुल्लू में 80 फीसदी, मंडी में 72.22 फीसदी, शिमला में 55.08 फीसदी, सिरमौर में 50 फीसदी और ऊना में 61.76 फीसदी लक्ष्य की पूर्ति हुई. कुल-मिलाकर प्रदेश में कोरोना वैक्सीनेशन 61.46 फीसदी रही.
कोरोना की शुरुआत में जमकर हुई कालाबाजारी
देश में जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी, उस समय लोग इस बीमारी के बारे में विषय में जागरूक नहीं थे. कुछ गैर जिम्मेदार नागरिकों ने आपदा में अवसर ढूंढते हुए इस दौरान जमकर कालाबाजारी के धंधे को भी खूब बढ़ाया. लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए सैनिटाइजर और मास्क दस गुना दाम तक पर भी खरीदे. यही नहीं, लॉकडाउन के समय लोगों ने घर पर अतिरिक्त राशन भी भर लिया ताकि किसी प्रकार की समस्या न हो. हालांकि जान बचाने के लिए यह आचरण स्वभाविक था. फिर भी इसे सही नहीं माना जा सकता.
मौजूदा स्थिति अपेक्षाओं से परे
देश में जब कोरोना वैक्सीन की लॉन्चिंग की बात चल रही थी, उस समय कहीं न कहीं इस स्थिति को लेकर भी एक भय था कि कोरोना वैक्सीन के आने पर लोगों में वैक्सीन के लिए अफरातफरी का माहौल पैदा होगा लेकिन, मौजूदा वक्त में यह सब अपेक्षाओं से परे है. क्योंकि लोग फिलहाल कोरोना वैक्सीन के पीछे नहीं बल्कि कोरोना वैक्सीन से भागते हुए नजर आ रहे हैं.
यह है वास्तविक स्थिति
कोरोना वैक्सीनेशन के मसले पर यदि वास्तविक स्थिति की बात की जाए तो सच्चाई यह है कि तकरीबन सभी लोग मानव प्रकृति के मुताबिक किसी दूसरे पर वैक्सीनेशन का असर होते हुए देखना चाह रहे हैं. यदि परिणाम सकारात्मक आए तो वह वैक्सीनेशन करवा लेंगे. यदि परिणाम सही नहीं रहते हैं तो वह वैक्सीनेशन नहीं करवाएंगे.
विश्वसनीयता लाने का हो रहा प्रयास
ऐसा भी नहीं है कि सभी लोग वैक्सीन से डर रहे हैं. देश समेत प्रदेश के अस्पतालों में बड़े अधिकारियों ने खुद कोरोना वैक्सीन लगवाकर शुरुआत की ताकि लोगों में वैक्सीन को लेकर विश्वसनीयता का भाव पैदा हो.
फिलहाल, कोरोना वैक्सीन का पहला चरण 25 जनवरी तक चलना है. इन दिनों में देखना यह होगा कि क्या कोरोना वैक्सीनेशन की प्रतिशतता बढ़ती है या नहीं. यदि लोग इसी तरह कोरोना वैक्सीन से दूर भागते रहे तो सरकार के सामने लोगों में विश्वसनीयता पैदा करना एक बड़ी चुनौती बन जाएगा.
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