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पलार नदी में कचरे को बेरोकटोक डाले जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने वेल्लोर जिला पर्यावरण निगरानी समिति बनाम तमिलनाडु राज्य टाइट वाली एक प्रमुख याचिका पर यह फैसला सुना दिया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : Jan 30, 2025, 3:59 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु में पलार नदी में स्थानीय टेनरियों (Tanneries) से अनुपचारित वेस्ट के निर्वहन के कारण होने वाले गंभीर प्रदूषण को कम करने के लिए निर्देश जारी किए. इसमें पीड़ित परिवारों और व्यक्तियों को मुआवजा देना भी शामिल है. कोर्ट ने कहा कि इससे जल निकायों, भूजल और कृषि भूमि को अपरिवर्तनीय क्षति हुई है.

यह निर्णय जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने सुनाया. पीठ ने टेनरियों द्वारा पलार नदी और आसपास के क्षेत्रों में अनियंत्रित रूप से या आंशिक रूप से उपचारित अपशिष्टों को डंप करने पर अपनी पीड़ा व्यक्त की.पीठ ने कहा कि इस कृत्य ने जल निकाय को तबाह कर दिया है, जो किसानों और निवासियों के लिए जीवन और आजीविका का स्रोत है.

पीठ ने कहा, "जल निकायों, भूजल और कृषि भूमि को अपरिवर्तनीय क्षति हुई है और यह भी स्पष्ट है कि निर्वहन न तो अधिकृत था और न ही नियंत्रण बोर्डों द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार था." सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह इकोलॉजिकल डेमेज का आकलन करने और उसे दूर करने के लिए हाई कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक पैनल गठित करे.

किसानों को नुकसान
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी प्रभावित परिवारों और व्यक्तियों को अगर पहले से भुगतान नहीं किया गया है, तो उन्हें मुआवजा दे. कोर्ट ने कहा कि यह प्रक्रिया आज से छह सप्ताह में पूरी होनी चाहिए. इस पर्यावरणीय गिरावट ने स्थानीय किसानों को गरीब बना दिया है और स्थानीय निवासियों और चमड़े के कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को मानवीय पीड़ा पहुंचाई है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीवन को खतरा है."

केंद्र के साथ विचार विमर्श करे राज्य सरकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाने वाले जस्टिस महादेवन ने सरकार से प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों से 'पोल्यूटर पेज' सिद्धांत के तहत लागत वसूलने को भी कहा. अदालत ने वेल्लोर जिला पर्यावरण निगरानी समिति बनाम तमिलनाडु राज्य टाइट वाली एक प्रमुख याचिका पर यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार के साथ इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करे और चार सप्ताह के भीतर रिटायर हाई कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित करे.

पीठ ने कहा कि समिति में राज्य और केंद्रीय विभागों के सचिवों के अलावा पर्यावरण विशेषज्ञ, प्रभावित समुदायों के प्रतिनिधि और वेल्लोर में स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बनाए रखने और बनाने के लिए ऑडिट करने के लिए उपयुक्त समझे जाने वाले अन्य व्यक्ति भी शामिल होने चाहिए. समिति कार्यों को अंजाम देगी और तब तक इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी जब तक कि नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती.

यह भी पढ़ें- घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए कानून बने, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए निर्देश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु में पलार नदी में स्थानीय टेनरियों (Tanneries) से अनुपचारित वेस्ट के निर्वहन के कारण होने वाले गंभीर प्रदूषण को कम करने के लिए निर्देश जारी किए. इसमें पीड़ित परिवारों और व्यक्तियों को मुआवजा देना भी शामिल है. कोर्ट ने कहा कि इससे जल निकायों, भूजल और कृषि भूमि को अपरिवर्तनीय क्षति हुई है.

यह निर्णय जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने सुनाया. पीठ ने टेनरियों द्वारा पलार नदी और आसपास के क्षेत्रों में अनियंत्रित रूप से या आंशिक रूप से उपचारित अपशिष्टों को डंप करने पर अपनी पीड़ा व्यक्त की.पीठ ने कहा कि इस कृत्य ने जल निकाय को तबाह कर दिया है, जो किसानों और निवासियों के लिए जीवन और आजीविका का स्रोत है.

पीठ ने कहा, "जल निकायों, भूजल और कृषि भूमि को अपरिवर्तनीय क्षति हुई है और यह भी स्पष्ट है कि निर्वहन न तो अधिकृत था और न ही नियंत्रण बोर्डों द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार था." सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह इकोलॉजिकल डेमेज का आकलन करने और उसे दूर करने के लिए हाई कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक पैनल गठित करे.

किसानों को नुकसान
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी प्रभावित परिवारों और व्यक्तियों को अगर पहले से भुगतान नहीं किया गया है, तो उन्हें मुआवजा दे. कोर्ट ने कहा कि यह प्रक्रिया आज से छह सप्ताह में पूरी होनी चाहिए. इस पर्यावरणीय गिरावट ने स्थानीय किसानों को गरीब बना दिया है और स्थानीय निवासियों और चमड़े के कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को मानवीय पीड़ा पहुंचाई है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीवन को खतरा है."

केंद्र के साथ विचार विमर्श करे राज्य सरकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाने वाले जस्टिस महादेवन ने सरकार से प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों से 'पोल्यूटर पेज' सिद्धांत के तहत लागत वसूलने को भी कहा. अदालत ने वेल्लोर जिला पर्यावरण निगरानी समिति बनाम तमिलनाडु राज्य टाइट वाली एक प्रमुख याचिका पर यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार के साथ इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करे और चार सप्ताह के भीतर रिटायर हाई कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित करे.

पीठ ने कहा कि समिति में राज्य और केंद्रीय विभागों के सचिवों के अलावा पर्यावरण विशेषज्ञ, प्रभावित समुदायों के प्रतिनिधि और वेल्लोर में स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बनाए रखने और बनाने के लिए ऑडिट करने के लिए उपयुक्त समझे जाने वाले अन्य व्यक्ति भी शामिल होने चाहिए. समिति कार्यों को अंजाम देगी और तब तक इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी जब तक कि नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती.

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