शिमला: दिग्गज कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के देहावसान के बाद हिमाचल में राजनीतिक समीकरण कई मायनों में बदल जाएंगे. न केवल कांग्रेस, बल्कि भाजपा को भी अपनी आगामी रणनीति बदली हुई परिस्थितियों के हिसाब से तय करनी पड़ेगी.
हिमाचल में अब चार सीटों पर उपचुनाव होंगे. इनमें से एक लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीटें हैं. मंडी लोकसभा सीट और अर्की सीट पर कांग्रेस कोई भी फैसला लेने से पहले वीरभद्र सिंह के परिवार से मश्विरा करेगी.
अर्की सीट से वीरभद्र सिंह विधानसभा का चुनाव जीते थे और विधायक बने थे. पहले वे शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़े थे. शिमला ग्रामीण पर अब वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह विधायक हैं.
इसी तरह मंडी लोकसभा सीट पर विगत में वीरभद्र सिंह व प्रतिभा सिंह चुनाव लड़ चुके हैं और जीत भी चुके हैं. हालांकि 2014 के चुनाव में प्रतिभा सिंह भाजपा के रामस्वरूप शर्मा से चुनाव हार गई थीं.
फिलहाल, वीरभद्र सिंह के देहावसान के बाद परिस्थितियां बदली हैं. कांग्रेस ये विचार कर रही है कि मंडी लोकसभा सीट से किसी प्रत्याशी का नाम फाइनल करने से पहले वीरभद्र सिंह के परिवार से उनकी राय पूछी जाए.
कांग्रेस इस सीट पर चुनाव मैदान में उतरने के लिए प्रतिभा सिंह से आग्रह कर सकती है. ये अलग बात है कि प्रतिभा सिंह इस प्रस्ताव पर क्या रिएक्ट करेंगी, लेकिन कांग्रेस के पास ये विकल्प जरूर है.
इस समय कांग्रेस को मंडी सीट पर सहानुभूति लहर का लाभ भी मिलेगा. फिर मंडी लोकसभा सीट की बुनावट ऐसी है कि इसका काफी हिस्सा रामपुर, किन्नौर, आनी आदि में भी है और यहां वीरभद्र सिंह के परिवार का निजी रसूख है.
इसके अलावा अर्की सीट पर भी टिकट फाइनल करने से पहले परिवार की राय ली जाएगी. कारण ये है कि अर्की सीट से वीरभद्र सिंह चुनाव लड़े थे. उनकी इस सीट का राजनीतिक वारिस कौन होगा, इसके लिए वीरभद्र सिंह के परिवार की सहमति ली जाएगी.
यहां बता दें कि वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) जब 2012 में सीएम बने थे और उनका कार्यकाल समाप्ति की तरफ था तो उन्होंने शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से आए एक प्रतिनिधिमंडल से इच्छा जताई थी कि वे यहां से विक्रमादित्य सिंह को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं. उस समय वीरभद्र सिंह समर्थकों ने जोश के साथ अपने नेता की इच्छा का स्वागत किया.
फिर अगले चुनाव में वीरभद्र सिंह ने शिमला ग्रामीण सीट से विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) को आगे किया. विक्रमादित्य सिंह चुनाव जीत गए. अर्की सीट पर वीरभद्र सिंह चुनाव प्रचार के लिए गए ही नहीं.
वीरभद्र सिंह के बारे में ये मशहूर था कि वे प्रदेश में किसी भी सीट से चुनाव जीत सकते हैं. खैर, ये इतिहास की बातें हो गई हैं. मौजूदा स्थितियां ये हैं कि वीरभद्र सिंह अब कांग्रेस का मार्गदर्शन करने के लिए इस संसार में नहीं हैं.
उनकी सीट अर्की से कौन आगे बढ़ेगा, इसका फैसला जल्द हो जाएगा. अर्की सीट से उपचुनाव के लिए कांग्रेस वीरभद्र सिंह के परिवार की सहमति लेगी. इसी तरह मंडी सीट पर भी पहले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिजनों से राय ली जाएगी.
यदि प्रतिभा सिंह चुनाव मैदान में उतरने से इनकार करती हैं तो कांग्रेस के पास कौल सिंह ठाकुर के रूप में भी विकल्प है. हालांकि पिछले चुनाव में आश्रय शर्मा को टिकट मिला था. वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) परिवार के सदस्य इस समय दिवंगत आत्मा के निमित्त तय क्रियाओं में जुटे हैं.
अस्थियों के प्रवाहित होने और अन्य आवश्यक कर्मकांड से निवृत होने के बाद ही इस मसले पर कोई फैसला होगा. जहां तक बात फतेहपुर विधानसभा सीट और जुब्बल विधानसभा सीट की है तो कांग्रेस की स्थितियां यहां स्पष्ट हैं.
जुब्बल से रोहित ठाकुर और फतेहपुर से भवानी पठानिया के मैदान में उतरने के पूरे आसार हैं. भवानी पठानिया पूर्व विधायक दिवंगत सुजान सिंह पठानिया के बेटे हैं. रोहित ठाकुर विगत में भी जुब्बल से चुनाव जीत चुके हैं.
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