शिमला: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से गौतम अडानी के खिलाफ राजनीति भी गर्मा गई है. जिसको लेकर कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अडानी समूह की कंपनियों को बैंकों और एलआईसी के हजारों करोड़ रुपए लोन बांटने और निवेश करने को लेकर कांग्रेस काफी उग्र हो गई है. जिसको लेकर कांग्रेस ने आज हिमाचल में प्रदर्शन किया. सभी जिलों के मुख्यालयों में एलआईसी और एसबीआई के बाहर धरने प्रदर्शन किए गए.
इसी कड़ी में शिमला में कांग्रेस ने एसबीआई के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने इस पूरे मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति या भारत के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच करवाने की मांग की. अडानी समूह पर स्टॉक मार्केट में हेराफेरी के गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप लगाए गए हैं कि अडानी समूह की कंपनियों ने एलआईसी और बैंकों का पैसा लगाया गया है और एलआईसी की राशि व बैंकों से हजारों करोड़ रुपए का लोन अडानी समूह की कंपनियों को दिया गया.
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कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने अपने मित्र अडानी को लाभ पहुंचाने के लिए देश के लोगों की गाढ़ी कमाई को उनकी कंपनियों में निवेश करवाया और हजारों करोड़ के लोन दिए. कांग्रेस शहरी अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी ने कहा कि अडानी समूह में एलआईसी का करीब 36,500 करोड़ को निवेश सरकार के प्रेशर में किया गया है. यही नहीं देश के बैंकों से भी करीब 80 हजार करोड़ का लोन अडानी समूह की कंपनियों को बांटा गया है.
उन्होंने कहा कि अकेले एसबीआई ने 21000 करोड़ का लोन अडानी समूह की कंपनियो को दिया. अडानी के खातों में घोटाले के सामने आने के बाद कांग्रेस को देश के उन लोगों की चिंता है, जिन्होंने अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई इन वित्तीय संस्थानों में लगा रखी है. सीएम के प्रिंसिपल मीडिया एडवाइजर नरेश चौहान ने इस मौके पर कहा कि सरकार ने आम आदमी की गाढ़ी कमाई को अडानी समूह की कंपनियों में लगाया है.
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यही नहीं बैंकों से भी हजारों करोड़ के लोन उनकी कंपनियों को बांटे गए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अडानी समूह को देश की संपत्तियां बेच रही है और उनको माला माल करने में जुटी है. इससे अडानी रातों-रात दुनिया के दूसरे अमीर शख्स बन गए. 2013 में अडानी का दुनिया के अमीरों में 609वां स्थान था और हिडनबर्ग की रिपोर्ट आने से पहले वे दुनिया के दूसरे अमीर शख्स थे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में या संयुक्त संसदीय समिति से कराए जाने की मांग कर रही है.
उन्होंने कहा कि लेकिन केंद्र सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि एक ओर छोटे-छोटे मामलों की जांच सरकार ईडी या सीबीआई से करवा रही है, लेकिन इतने बड़े मामले की जांच करवाने से वह पीछे हट रही है. उन्होंने कहा कि सरकार का अडानी को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने में कोई हाथ नहीं है, तो वह इस मामले की जांच करवाने से क्यों कतरा रही है.
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