शिमला: हिमाचल बिजली बोर्ड में पूर्व जयराम सरकार ने 32 दफ्तर खोल कर रिकार्ड बना दिया है. रिकार्ड भी ऐसा कि पिछले 40 साल में बिजली बोर्ड में डिवीजन लेवल से ऊपर के मात्र 6 बड़े दफ्तर खोले गए, लेकिन जयराम सरकार ने अपने आखिरी छह माह में ही बिजली बोर्ड में 32 दफ्तर खोल दिए, जिनमें 8 दफ्तर डिवीजन लेवल से ऊपर के हैं. वहीं, सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने सत्ता में आते ही पूर्व जयराम सरकार के आखिरी 9 माह के कार्यकाल में किए फैसले को रिव्यू करने का फैसला किया है, जिसके दायरे में बिजली बोर्ड के 32 दफ्तर भी आ गए हैं. इन दफ्तरों को सुक्खू सरकार ने बंद करवा दिया है. मगर हिमाचल में दफ्तरों को बंद करने को लेकर अब सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने हैं. (Electricity offices closed in himachal)
बिजली बोर्ड में अभी 12 सर्कल, 50 डिवीजन और 248 सब डिवीजन हैं. इनमें से अधिकतर बिजली बोर्ड के गठन के समय के ही खोले गए हैं. बिजली बोर्ड 1971 में आस्तिव में आया था और डिवीजन, सर्कल दफ्तर इस दौरान ही अधिकतर खोले गए. बताया जा रहा है कि बीते चालीस सालों में बिजली बोर्ड ने एक इलेक्ट्रिकल सर्कल और 5 डिवीजन खोले हैं. इनमें एक डिवीजन पूर्व वीरभद्र सिंह की सरकार के समय में फतेहपुर में खोला गया था. हालांकि 11 सब डिवीजन 40 सालों में जरुर खोले गए हैं. अगर सब डिवीजन, डिवीजन और सर्कल दफ्तरों को गिना जाए तो कुल मिलाकर देखा जाए तो 17 दफ्तर बिजली बोर्ड में 40 सालों में खोले गए, लेकिन जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी 6 माह में 32 खोल डाले. (CM Sukhu closed offices in himachal)
बिना काम के खोल डाले बिजली के दफ्तर: जयराम सरकार ने करीब 900 दफ्तर अपने कार्यकाल के आखिरी समय में खोले हैं. इनमें बिजली बोर्ड के 32 दफ्तर भी शामिल हैं. इन दफ्तरों में 3 ऑप्रेशन सर्कल, 5 डिवीजन और 17 सब डिवीजन शामिल हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार और बिजली बोर्ड के कर्मचारियों का कहना है कि इन दफ्तरों की कोई जरूरत नहीं थी. दरअसल ये दफ्तर बिना काम के हैं. ऑपरेशन सर्कल में धर्मपुर, नूरपुर और भवारना शामिल हैं. 12 इलेक्ट्रिक डिवीजन (ईडी) जो खोले गए और अब बंद किए गए हैं उनमें शिलाई, सराहां, संगढ़ाह, सुजानपुर, थुनाग, नागनी में दावी-मरहू मुंडी, भाबानगर, तिस्सा, हरोली, बाथाहर, बंजार, थानाकलां, भोरंज शामिल हैं.
17 सब डिवीजन जयराम सरकार ने इन जगहों पर खोले: बिजली बोर्ड में जयराम सरकार 17 सब डिवीजन खोले हैं. इनमें से शिलाई ईडी के अधीन कोफ्टा, पांवटा साहिब के तहत संतोषगढ़, राजगढ़ ईडी के तहत चंदोल, सोलन ईडी के चायल, संगड़ाह ईडी के तहत संगड़ाह और हरिपुरधार, शिमला ईडी के तहत शोघी, सुजानपुर ईडी के तहत जंगलबेरी और छबुट्टा, थुनाग ईडी के तहत थुनाग और बागाचनोगी, तिस्सा ईडी के तहत नकरोड, रामपुर ईडी के तहत निरथ, भोरंज ईडी के लदरौर, ईडी घुमारवीं के तहत जेजवीन शामिल हैं.
दफ्तरों के लिए करीब 200 करोड़ रुपए की जरूरत होती: बिजली बोर्ड के जिन दफ्तरों को जयराम सरकार ने खोला है उनको पूरी तरह से ऑपरेशन करने के लिए करीब 200 करोड़ रुपए की जरूरत होनी थी. यह तब है जबकि बिजली बोर्ड करीब 1758 करोड़ के घाटे में है. करीब 8200 स्टाफ की कमी बोर्ड झेल रहा है. बिजली बोर्ड के पास अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन देने के लिए पैसों की कमी है. बिजली बोर्ड के वर्तमान में करीब 13000 कर्मचारी हैं जिन्हें हर माह करीब 90 करोड़ वेतन के तौर पर देने पड़ रहे हैं. इसी तरह 29 हजार पेंशनर हैं, जिन पर हर माह करीब 95 करोड़ रुपए बोर्ड को पेंशन पर खर्च करना पड़ रहा है. कुल मिलाकर देखें तो पेंशनर और कर्मचारियों के वेतन पर हर माह करीब 185 करोड़ चुकाने पड़ रहे हैं.
भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने: हिमाचल में पूर्व जयराम सरकार के दफ्तर बंद करने को लेकर इन दिनों बवाल मचा हुआ है. सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने जब से कार्यभार संभाला है तब से प्रदेश में खोले गए पूर्व सरकार के समय के दफ्तरों को बंद किया जा रहा है. जयराम सरकार के आखिरी साल में 1 अप्रैल के बाद खोले गए दफ्तर बंद किए जा रहे हैं. इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने आ गया है. (Denotified the offices in Himachal)
सरकार के फैसले का कर्मचारी कर रहे स्वागत: बिजली बोर्ड के कर्मचारी दफ्तरों को डी नोटिफाई करने के सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के फैसले का स्वागत कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एम्प्लाइज यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने कहा पिछली सरकार ने अपने छह माह के कार्यकाल में ही 32 दफ्तर खोल डाले जो कि अपने आप में रिकार्ड है. चुनाव से पहले बिजली बोर्ड में राजनीतिक दृष्टिकोण से खोले गए इन कार्यालयों की कोई जरूरत ही नहीं थी. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के अभाव के चलते इन कार्यालयों के खोलने से उपभोक्ताओं को दी जा रही सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही थी. उन्होंने कहा कि आज जहां बिजली बोर्ड बड़े वित्तीय संकट से गुजर रहा है, वहीं बिजली बोर्ड कर्मचारियों की भारी कमी से भी जूझ रहा है. करीब 8200 पद बोर्ड में खाली चल रहे हैं. ऐसे में इन कार्यालयों को बंद न किया होता तो इससे बोर्ड की वित्तीय स्थिति और बिगड़ती. (Hpsebl Employee UNION)
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