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हिमाचल कांग्रेस का जो नेता प्रियंका फार्मूले में फिट, वही सीएम की हॉट सीट के लिए हिट

हिमाचल प्रदेश में 8 दिसंबर को तय हो जाएगा कि बीजेपी रिवाज बदलेगी या फिर कांग्रेस सत्ता में आएगी. हालांकि, 12 नवंबर को मतदान होने के बाद कांग्रेस आश्वस्त है कि हिमाचल में रिवाज जारी रहेगा यानी प्रदेश की कमान कांग्रेस के हाथ में आएगी. इसीलिए दिल्ली दौड़ लगाने वाले कांग्रेस नेताओं के संबंध में प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक पैमाना बनाया है.

Priyanka Gandhi Vadra
हिमाचल चुनाव
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Published : Dec 1, 2022, 3:10 PM IST

शिमला: मल्लिकार्जुन खड़गे जिस समय कांग्रेस के मुखिया बने, उस दौरान राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त थे और प्रियंका वाड्रा ने हिमाचल में प्रचार का जिम्मा अपने कांधों पर उठाया हुआ था. मतदान के बाद कांग्रेस आश्वस्त है कि हिमाचल में रिवाज जारी रहने वाला है. यानी पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन होकर रहेगा और बाजी कांग्रेस के हाथ ही आएगी. इस पक्के भरोसे के बाद अब कांग्रेस में सीएम की हॉट सीट के लिए हलचल है लेकिन इसमें सबसे अहम रोल प्रियंका वाड्रा का रहेगा. (Priyanka Gandhi Vadra) (himachal assembly elections 2022)

सीएम की पोस्ट के लिए कांग्रेस के कुछ तबकों में जो अधीरता देखी गई, उससे प्रियंका वाड्रा नाराज थीं. उन्होंने लॉबिंग के लिए दिल्ली की दौड़ लगाने वाले नेताओं को सख्त लहजे में संकेत दिया कि सीएम की कुर्सी उसी को मिलेगी, जो तय फार्मूले में फिट बैठेगा. बताया जा रहा है कि प्रियंका वाड्रा ने प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ व काबिल नेताओं का एक ओवरऑल बायोडाटा तैयार करवाया है. इसमें सीनियरिटी, एक्सेबिलिटी, पॉपुलैरिटी, लॉयलिटी एंड एक्सपीरियंस जैसे फैक्टर शामिल किए गए हैं. इसके अलावा पांच साल में विपक्ष में रहते हुए पार्टी के लिए किए गए कार्य और सक्रियता को भी पैमाना बनाया गया है.

दरअसल, इस बार हिमाचल में प्रचार के दौरान प्रियंका वाड्रा ने हिमाचल की जनता और यहां के राजनीतिक माहौल को नजदीक से परखा है. साथ ही राज्य के कांग्रेस नेताओं की कमिटमेंट और सिंसियरिटी को भी तौला है. चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस को मिले समर्थन के बाद प्रियंका वाड्रा को भी आस बंधी है कि पार्टी हिमाचल में सत्ता में वापिसी करेगी. प्रियंका वाड्रा इस बात को भी भली-भांति महसूस कर चुकी हैं कि हिमाचल में माइनस वीरभद्र सिंह बहुत कुछ खाली-खाली सा है.

वीरभद्र सिंह की लोकप्रियता और पैठ का अहसास भी अब तीव्रता से हुआ है. ऐसे में हाईकमान और प्रियंका वाड्रा ने हिमाचल की सत्ता में होली लॉज की अहमियत को भी समझा है. फिलहाल, यहां चर्चा सत्ता में आने पर सीएम चुनने के फार्मूले पर प्राथमिकता के आधार पर. प्रियंका वाड्रा चाहती है कि सत्ता में आने के बाद कोआ ऐसा संकेत नहीं जाना चाहिए, जिससे असंतोष की चिंगारी को भडक़ने का मौका मिले. इसके लिए ही प्रियंका वाड्रा ऐसा फार्मूला लागू करना चाहती है. पार्टी के प्रति समर्पण और निष्ठा एक जरूरी फैक्टर है.

कारण ये है कि कांग्रेस पार्टी में देश भर के अलग-अलग राज्यों से टूट के समाचार आते रहे हैं. ऐसे में पार्टी के प्रति निष्ठा को एक जरूरी फैक्टर बनाया गया है. इसके बाद अनुभव और पार्टी के सभी पक्षों के बीच स्वीकार्यता का पैमाना रहेगा. हिमाचल में कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही है. इस वजह से सरकार में विभिन्न विभाग चलाने का अनुभव कई नेताओं के पास है. कांग्रेस इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. पार्टी ने मंथन के बाद ही प्रियंका वाड्रा को स्टार प्रचारक की भूमिका में रखा था.

पढ़ें- CM Jairam meets Central Ministers : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और स्मृति ईरानी से मिले सीएम जयराम ठाकुर

प्रियंका वाड्रा की रैलियों में सभी कांग्रेस नेता एकजुट होकर खड़े थे, फिर चाहे वो मुकेश अग्निहोत्री हो, सुखविंद्र सिंह सुक्खा या फिर कौल सिंह ठाकुर. पूरे प्रचार के दौरान हिमाचल कांग्रेस के नेताओं ने प्रियंका वाड्रा को सिर-आंखों पर बिठाया और किसी तरह की गुटबाजी का कोई संकेत नहीं मिला. इस तरह कांग्रेस में सभी ने प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से प्रियंका वाड्रा को ही अथॉरिटी दे दी है. मल्लिकार्जुन खड़गे कहने के लिए तो कांग्रेस के मुखिया हैं, लेकिन पॉवर किन हाथों में है, ये सभी जानते हैं.

हिमाचल प्रभारी के रू में राजीव शुक्ला भी प्रियंका के फार्मूले को ही सर्वोपरि मानेंगे. कुल मिलाकर संक्षेप में कहें, तो सत्ता में आने पर कांग्रेस में सीएम पद के अलावा मंत्रियों की सूची पर भी अंतिम मुहर प्रियंका वाड्रा की ही लगेगी. खैर, प्रियंका वाड्रा के क्राइटेरिया में इस समय फिट होने वालों में प्रतिभा सिंह (परिस्थितियां विशेष में), कौल सिंह ठाकुर, मुकेश अग्निहोत्री, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर, धनीराम शांडिल (उम्र एक बाधा है), सुखविंद्र सिंह सुक्खू (अनुभव की कमी) शामिल हैं.

थोड़ी-बहुत कमियों के साथ कांग्रेस के ये वो चेहरे हैं, जो प्रियंका का फार्मूले पर फिट बैठ सकते हैं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का मानना है कि कांग्रेस सत्ता में आई तो अनुभव के मामले में कौल सिंह के सामने कोई नहीं टिकता, लेकिन उनके पास पर्याप्त संख्या में विधायकों की सहमति होनी जरूरी है. अलबत्ता इस सारे खेल में होली लॉज की भूमिका अहम हो जाएगी और प्रियंका वाड्रा भी उस भूमिका को तरजीह देगी. धनंजय शर्मा का कहना है कि प्रियंका वाड्रा का बात टालने की हिम्मत किसी में नहीं, लेकिन उन्हें होली लॉज से सलाह जरूर लेनी होगी. (CM will be decided by Priyanka Gandhi)

शिमला: मल्लिकार्जुन खड़गे जिस समय कांग्रेस के मुखिया बने, उस दौरान राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त थे और प्रियंका वाड्रा ने हिमाचल में प्रचार का जिम्मा अपने कांधों पर उठाया हुआ था. मतदान के बाद कांग्रेस आश्वस्त है कि हिमाचल में रिवाज जारी रहने वाला है. यानी पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन होकर रहेगा और बाजी कांग्रेस के हाथ ही आएगी. इस पक्के भरोसे के बाद अब कांग्रेस में सीएम की हॉट सीट के लिए हलचल है लेकिन इसमें सबसे अहम रोल प्रियंका वाड्रा का रहेगा. (Priyanka Gandhi Vadra) (himachal assembly elections 2022)

सीएम की पोस्ट के लिए कांग्रेस के कुछ तबकों में जो अधीरता देखी गई, उससे प्रियंका वाड्रा नाराज थीं. उन्होंने लॉबिंग के लिए दिल्ली की दौड़ लगाने वाले नेताओं को सख्त लहजे में संकेत दिया कि सीएम की कुर्सी उसी को मिलेगी, जो तय फार्मूले में फिट बैठेगा. बताया जा रहा है कि प्रियंका वाड्रा ने प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ व काबिल नेताओं का एक ओवरऑल बायोडाटा तैयार करवाया है. इसमें सीनियरिटी, एक्सेबिलिटी, पॉपुलैरिटी, लॉयलिटी एंड एक्सपीरियंस जैसे फैक्टर शामिल किए गए हैं. इसके अलावा पांच साल में विपक्ष में रहते हुए पार्टी के लिए किए गए कार्य और सक्रियता को भी पैमाना बनाया गया है.

दरअसल, इस बार हिमाचल में प्रचार के दौरान प्रियंका वाड्रा ने हिमाचल की जनता और यहां के राजनीतिक माहौल को नजदीक से परखा है. साथ ही राज्य के कांग्रेस नेताओं की कमिटमेंट और सिंसियरिटी को भी तौला है. चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस को मिले समर्थन के बाद प्रियंका वाड्रा को भी आस बंधी है कि पार्टी हिमाचल में सत्ता में वापिसी करेगी. प्रियंका वाड्रा इस बात को भी भली-भांति महसूस कर चुकी हैं कि हिमाचल में माइनस वीरभद्र सिंह बहुत कुछ खाली-खाली सा है.

वीरभद्र सिंह की लोकप्रियता और पैठ का अहसास भी अब तीव्रता से हुआ है. ऐसे में हाईकमान और प्रियंका वाड्रा ने हिमाचल की सत्ता में होली लॉज की अहमियत को भी समझा है. फिलहाल, यहां चर्चा सत्ता में आने पर सीएम चुनने के फार्मूले पर प्राथमिकता के आधार पर. प्रियंका वाड्रा चाहती है कि सत्ता में आने के बाद कोआ ऐसा संकेत नहीं जाना चाहिए, जिससे असंतोष की चिंगारी को भडक़ने का मौका मिले. इसके लिए ही प्रियंका वाड्रा ऐसा फार्मूला लागू करना चाहती है. पार्टी के प्रति समर्पण और निष्ठा एक जरूरी फैक्टर है.

कारण ये है कि कांग्रेस पार्टी में देश भर के अलग-अलग राज्यों से टूट के समाचार आते रहे हैं. ऐसे में पार्टी के प्रति निष्ठा को एक जरूरी फैक्टर बनाया गया है. इसके बाद अनुभव और पार्टी के सभी पक्षों के बीच स्वीकार्यता का पैमाना रहेगा. हिमाचल में कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही है. इस वजह से सरकार में विभिन्न विभाग चलाने का अनुभव कई नेताओं के पास है. कांग्रेस इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. पार्टी ने मंथन के बाद ही प्रियंका वाड्रा को स्टार प्रचारक की भूमिका में रखा था.

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प्रियंका वाड्रा की रैलियों में सभी कांग्रेस नेता एकजुट होकर खड़े थे, फिर चाहे वो मुकेश अग्निहोत्री हो, सुखविंद्र सिंह सुक्खा या फिर कौल सिंह ठाकुर. पूरे प्रचार के दौरान हिमाचल कांग्रेस के नेताओं ने प्रियंका वाड्रा को सिर-आंखों पर बिठाया और किसी तरह की गुटबाजी का कोई संकेत नहीं मिला. इस तरह कांग्रेस में सभी ने प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से प्रियंका वाड्रा को ही अथॉरिटी दे दी है. मल्लिकार्जुन खड़गे कहने के लिए तो कांग्रेस के मुखिया हैं, लेकिन पॉवर किन हाथों में है, ये सभी जानते हैं.

हिमाचल प्रभारी के रू में राजीव शुक्ला भी प्रियंका के फार्मूले को ही सर्वोपरि मानेंगे. कुल मिलाकर संक्षेप में कहें, तो सत्ता में आने पर कांग्रेस में सीएम पद के अलावा मंत्रियों की सूची पर भी अंतिम मुहर प्रियंका वाड्रा की ही लगेगी. खैर, प्रियंका वाड्रा के क्राइटेरिया में इस समय फिट होने वालों में प्रतिभा सिंह (परिस्थितियां विशेष में), कौल सिंह ठाकुर, मुकेश अग्निहोत्री, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर, धनीराम शांडिल (उम्र एक बाधा है), सुखविंद्र सिंह सुक्खू (अनुभव की कमी) शामिल हैं.

थोड़ी-बहुत कमियों के साथ कांग्रेस के ये वो चेहरे हैं, जो प्रियंका का फार्मूले पर फिट बैठ सकते हैं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का मानना है कि कांग्रेस सत्ता में आई तो अनुभव के मामले में कौल सिंह के सामने कोई नहीं टिकता, लेकिन उनके पास पर्याप्त संख्या में विधायकों की सहमति होनी जरूरी है. अलबत्ता इस सारे खेल में होली लॉज की भूमिका अहम हो जाएगी और प्रियंका वाड्रा भी उस भूमिका को तरजीह देगी. धनंजय शर्मा का कहना है कि प्रियंका वाड्रा का बात टालने की हिम्मत किसी में नहीं, लेकिन उन्हें होली लॉज से सलाह जरूर लेनी होगी. (CM will be decided by Priyanka Gandhi)

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