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बाल सत्र में बच्चों के रखे सुझावों पर सीएम सुक्खू ने कहा, सरकार इन पर गंभीरता से करेगी विचार - मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू न्यूज

हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में पहली बार बाल विधायकों के चयन लंबी प्रक्रिया के बाद 68 चयनित बाल विधायकों का बाल सत्र आयोजित किया गया. इस बाल सत्र के दौरान बच्चों ने प्रदेश के विभिन्न विषयों पर मुद्दे उठाए और सुझाव रखे. सत्र का शुभारम्भ राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने किया.

Bal Satra In Himachal
हिमाचल विधानसभा में बाल सत्र
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Published : Jun 12, 2023, 8:57 PM IST

हिमाचल विधानसभा में बाल सत्र पर बोले सीएम सुक्खू.

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा शिमला में ऐतिहासिक काउंसिल चेंबर में विधानसभा का बाल सत्र आयोजित किया गया. जिसमें चयनित मुख्यमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्रियों तथा विधायकों के रुप में बच्चों ने भाग लिया. सत्र का शुभारम्भ करते हुए राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि गवर्नेंस में युवाओं की भागीदारी बढ़ाना अति आवश्यक है. देश के विकास में युवाओं को अधिक से अधिक भागीदार बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि युवाओं की नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए उनका सर्वांगीण विकास आवश्यक है और बाल सत्र के माध्यम से युवा पीढ़ी को एक नया मंच प्राप्त हुआ है.

बाल सत्र में बच्चों के उठाए मुद्दों पर विचार करेगी सरकार: बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल सत्र में बच्चों के उठाए मुद्दों और सुझावों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन विषयों पर गंभीरता से विचार करेगी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बतौर मुख्य अतिथि बाल सत्र की कार्यवाही देखी. बच्चों को प्रेरित करते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जीवन में सफलता के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है और जब तक सफलता नहीं मिलती तब तक निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चों के सवाल नए हिमाचल की नींव रखते हैं और उनके सवाल-जवाब देखकर इस बात का विश्वास और दृढ़ हुआ कि हिमाचल प्रदेश का भविष्य सुरक्षित है.

6000 अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ दी स्टेट के रूप में अपनाया: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बाल सत्र के दौरान स्कूलों में योगाभ्यास के लिए विशेष सत्र आयोजित करने के सुझाव पर विचार करने का आश्वासन दिया. साथ ही कहा कि बाल सत्र के दौरान आए अन्य सुझावों पर राज्य सरकार गंभीरता से विचार करेगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विशेष बच्चों पर भी ध्यान दे रही है और सरकार ने प्रदेश के 6000 अनाथ बच्चों को 'चिल्ड्रन ऑफ दी स्टेट' के रूप में अपनाया है. उन्होंने कहा कि सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली हिमाचल के तीन अनाथ बच्चों को एडमिशन देने के लिए तैयार हो गया है.

मुख्यमंत्री ने अपने छात्र जीवन के अनुभव किए साझा : मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने छात्र जीवन के दौरान 17 वर्ष की आयु में कक्षा प्रतिनिधि (क्लास रिप्रजेंटेटिव) का चुनाव लड़ा और आज उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की जनता की सेवा करने का मौका मिल रहा है. उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए राजनीति में काफी अवसर हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने हिमाचल को ‘ग्रीन एनर्जी स्टेट’ बनाने की परिकल्पना को साकार करने के लिए बजट में कई प्रावधान किए हैं. उन्होंने कहा कि एचआरटीसी की डीजल बसों को चरणबद्ध तरीके से ई-बसों में बदला किया जा रहा है.

ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जा रहे राजीव गांधी बोर्डिंग स्कूल: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में राजीव गांधी मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल खोले जा रहे हैं, जिसके लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. इन स्कूलों में खेल के मैदान के साथ-साथ आधुनिक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र देश की बुनियाद है और आने वाले समय में ये बच्चे अपनी पसंद की सरकार चुनेंगे. उन्होंने कहा कि परिवर्तन के लिए नई सोच और कड़े संघर्ष की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने संविधान में संशोधन कर महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण का प्रावधान किया. इसके साथ-साथ उन्होंने देश में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) युग की शुरूआत की और आज देश के आईटी प्रोफेशनल दुनिया भर में भारत का नाम ऊंचा कर रहे हैं. वर्तमान सरकार ने प्रदेश के तकनीकी संस्थानों में नए पाठ्यक्रम शुरू किए हैं.

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक काउंसिल चेंबर में विधानसभा का बाल सत्र आयोजित किया गया है, जिसके लिए बाल विधायकों का चयन लंबी प्रक्रिया के बाद किया गया और इस प्रक्रिया में देशभर के 50 हजार से अधिक बच्चों ने भाग लिया. उन्होंने कहा कि चयनित अधिकांश बच्चे सरकारी स्कूलों से चुने गए हैं. उन्होंने बाल सत्र के लिए चयनित मुख्यमंत्री जाह्नवी और कैबिनेट के अन्य मंत्रियों तथा विधायकों को बधाई दी. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नीति निर्धारण में समाज के सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है. आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं और विधानसभा सदन व संसद के माध्यम से कानून आने वाले कल के दृष्टिगत ही बनाए जाते हैं, इसलिए इस प्रकार के बाल सत्र अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें: Robotic surgery In Shimla: रोबोटिक सर्जरी की दिशा में बड़ा कदम, टांडा मेडिकल कॉलेज में दो रोबोटिक कैथ लैब को मिली मंजूरी

हिमाचल विधानसभा में बाल सत्र पर बोले सीएम सुक्खू.

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा शिमला में ऐतिहासिक काउंसिल चेंबर में विधानसभा का बाल सत्र आयोजित किया गया. जिसमें चयनित मुख्यमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्रियों तथा विधायकों के रुप में बच्चों ने भाग लिया. सत्र का शुभारम्भ करते हुए राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि गवर्नेंस में युवाओं की भागीदारी बढ़ाना अति आवश्यक है. देश के विकास में युवाओं को अधिक से अधिक भागीदार बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि युवाओं की नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए उनका सर्वांगीण विकास आवश्यक है और बाल सत्र के माध्यम से युवा पीढ़ी को एक नया मंच प्राप्त हुआ है.

बाल सत्र में बच्चों के उठाए मुद्दों पर विचार करेगी सरकार: बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल सत्र में बच्चों के उठाए मुद्दों और सुझावों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन विषयों पर गंभीरता से विचार करेगी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बतौर मुख्य अतिथि बाल सत्र की कार्यवाही देखी. बच्चों को प्रेरित करते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जीवन में सफलता के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है और जब तक सफलता नहीं मिलती तब तक निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चों के सवाल नए हिमाचल की नींव रखते हैं और उनके सवाल-जवाब देखकर इस बात का विश्वास और दृढ़ हुआ कि हिमाचल प्रदेश का भविष्य सुरक्षित है.

6000 अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ दी स्टेट के रूप में अपनाया: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बाल सत्र के दौरान स्कूलों में योगाभ्यास के लिए विशेष सत्र आयोजित करने के सुझाव पर विचार करने का आश्वासन दिया. साथ ही कहा कि बाल सत्र के दौरान आए अन्य सुझावों पर राज्य सरकार गंभीरता से विचार करेगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विशेष बच्चों पर भी ध्यान दे रही है और सरकार ने प्रदेश के 6000 अनाथ बच्चों को 'चिल्ड्रन ऑफ दी स्टेट' के रूप में अपनाया है. उन्होंने कहा कि सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली हिमाचल के तीन अनाथ बच्चों को एडमिशन देने के लिए तैयार हो गया है.

मुख्यमंत्री ने अपने छात्र जीवन के अनुभव किए साझा : मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने छात्र जीवन के दौरान 17 वर्ष की आयु में कक्षा प्रतिनिधि (क्लास रिप्रजेंटेटिव) का चुनाव लड़ा और आज उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की जनता की सेवा करने का मौका मिल रहा है. उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए राजनीति में काफी अवसर हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने हिमाचल को ‘ग्रीन एनर्जी स्टेट’ बनाने की परिकल्पना को साकार करने के लिए बजट में कई प्रावधान किए हैं. उन्होंने कहा कि एचआरटीसी की डीजल बसों को चरणबद्ध तरीके से ई-बसों में बदला किया जा रहा है.

ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जा रहे राजीव गांधी बोर्डिंग स्कूल: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में राजीव गांधी मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल खोले जा रहे हैं, जिसके लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. इन स्कूलों में खेल के मैदान के साथ-साथ आधुनिक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र देश की बुनियाद है और आने वाले समय में ये बच्चे अपनी पसंद की सरकार चुनेंगे. उन्होंने कहा कि परिवर्तन के लिए नई सोच और कड़े संघर्ष की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने संविधान में संशोधन कर महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण का प्रावधान किया. इसके साथ-साथ उन्होंने देश में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) युग की शुरूआत की और आज देश के आईटी प्रोफेशनल दुनिया भर में भारत का नाम ऊंचा कर रहे हैं. वर्तमान सरकार ने प्रदेश के तकनीकी संस्थानों में नए पाठ्यक्रम शुरू किए हैं.

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक काउंसिल चेंबर में विधानसभा का बाल सत्र आयोजित किया गया है, जिसके लिए बाल विधायकों का चयन लंबी प्रक्रिया के बाद किया गया और इस प्रक्रिया में देशभर के 50 हजार से अधिक बच्चों ने भाग लिया. उन्होंने कहा कि चयनित अधिकांश बच्चे सरकारी स्कूलों से चुने गए हैं. उन्होंने बाल सत्र के लिए चयनित मुख्यमंत्री जाह्नवी और कैबिनेट के अन्य मंत्रियों तथा विधायकों को बधाई दी. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नीति निर्धारण में समाज के सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है. आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं और विधानसभा सदन व संसद के माध्यम से कानून आने वाले कल के दृष्टिगत ही बनाए जाते हैं, इसलिए इस प्रकार के बाल सत्र अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं.

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