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कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट में बदलाव के खिलाफ सीटू का धरना, प्रदेश सरकार पर लगाया पूंजीपति परस्त होने का आरोप

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Published : May 14, 2020, 8:21 PM IST

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार द्वारा फैक्टरी एक्ट, कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करने के फैसले की कड़ी निंदा की है.

CITU protest
सीटू का धरना

शिमला. सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों में प्रदेश सरकार द्वारा फैक्ट्री एक्ट,कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करने के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया.

इन देशव्यापी प्रदर्शनों के तहत स्वास्थ्य, आशा, आंगनबाड़ी, सफाई, सुरक्षा कर्मियों, वार्ड अटेंडेंट, एसटीपी, पंचायत, नगर निकाय, बैंक, बीमा, टेलीफोन, डाक, पुलिस, मीडिया व अन्य सरकारी व गैर सरकारी फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स की शारीरिक व सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी मांग की गई.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार द्वारा फैक्टरी एक्ट, कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करने के फैसले की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे मजदूरों के अधिकारों पर कठोर प्रहार करने वाला कदम बताया है. विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि वह पूंजीपतियों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए मजदूर विरोधी नीतियां बनाना बंद करे.

विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि मजदूर कोरोना महामारी व लॉकडाउन के दौर में सबसे ज्यादा प्रभावित व पीड़ित हैं. ऐसे समय में प्रदेश की बीजेपी सरकार ने उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन करके उनके जख्मों पर नमक छिड़क दिया है. ये मजदूर विरोधी कदम पूरी तरह से मानवता विरोधी हैं.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष ने प्रदेश सरकार पर पूंजीपति परस्त होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि यह सरकार पूरी तरह से मजदूरों के खिलाफ कार्य कर रही है. प्रदेश सरकार ने फैक्ट्रीज एक्ट 1948 की धारा 51, धारा 54, धारा 55 व धारा 56 में बदलाव करके साप्ताहिक व दैनिक काम के घंटों, विश्राम की अवधि व स्प्रैड आवर्ज में बदलाव कर दिया है. काम के घंटों को आठ से बढ़ाकर बारह घंटे करने के मजदूर विरोधी कदम ने इस सरकार की पोल खोल कर रख दी है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट की धारा 1, फैक्ट्री एक्ट की धारा 2(म), 65(3) व 85(1) में मजदूर विरोधी परिवर्तन कर दिए हैं. साथ ही धारा 106(ब) जोड़ा कर उद्योगपतियों को लूट की खुली छूट दे दी है. प्रदेश सरकार ने इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट की धारा 22(1),25(फ) व 25(क) में बदलाव की सिफारिश करके मजदूरों के अधिकारों को खत्म करने की साजिश रची है जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: प्रवासियों ने अपने निजी खर्चे से किया घर की ओर पलायन, बिहार सरकार को सुनाई खरी खोटी

शिमला. सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों में प्रदेश सरकार द्वारा फैक्ट्री एक्ट,कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करने के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया.

इन देशव्यापी प्रदर्शनों के तहत स्वास्थ्य, आशा, आंगनबाड़ी, सफाई, सुरक्षा कर्मियों, वार्ड अटेंडेंट, एसटीपी, पंचायत, नगर निकाय, बैंक, बीमा, टेलीफोन, डाक, पुलिस, मीडिया व अन्य सरकारी व गैर सरकारी फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स की शारीरिक व सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी मांग की गई.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार द्वारा फैक्टरी एक्ट, कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करने के फैसले की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे मजदूरों के अधिकारों पर कठोर प्रहार करने वाला कदम बताया है. विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि वह पूंजीपतियों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए मजदूर विरोधी नीतियां बनाना बंद करे.

विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि मजदूर कोरोना महामारी व लॉकडाउन के दौर में सबसे ज्यादा प्रभावित व पीड़ित हैं. ऐसे समय में प्रदेश की बीजेपी सरकार ने उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन करके उनके जख्मों पर नमक छिड़क दिया है. ये मजदूर विरोधी कदम पूरी तरह से मानवता विरोधी हैं.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष ने प्रदेश सरकार पर पूंजीपति परस्त होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि यह सरकार पूरी तरह से मजदूरों के खिलाफ कार्य कर रही है. प्रदेश सरकार ने फैक्ट्रीज एक्ट 1948 की धारा 51, धारा 54, धारा 55 व धारा 56 में बदलाव करके साप्ताहिक व दैनिक काम के घंटों, विश्राम की अवधि व स्प्रैड आवर्ज में बदलाव कर दिया है. काम के घंटों को आठ से बढ़ाकर बारह घंटे करने के मजदूर विरोधी कदम ने इस सरकार की पोल खोल कर रख दी है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट की धारा 1, फैक्ट्री एक्ट की धारा 2(म), 65(3) व 85(1) में मजदूर विरोधी परिवर्तन कर दिए हैं. साथ ही धारा 106(ब) जोड़ा कर उद्योगपतियों को लूट की खुली छूट दे दी है. प्रदेश सरकार ने इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट की धारा 22(1),25(फ) व 25(क) में बदलाव की सिफारिश करके मजदूरों के अधिकारों को खत्म करने की साजिश रची है जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा.

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