शिमलाः सीटू राज्य कमेटी ने हिमाचल प्रदेश सरकार के बजट को मजदूर व कर्मचारी विरोधी करार दिया है. सीटू राज्य कमेटी का कहना है कि इस बजट से इस समुदाय को केवल निराशा ही हाथ लगी है. इस बजट ने सरकार की गरीब व मध्यम वर्ग विरोधी नीतियों का पर्दाफाश कर दिया है.
निराशाजनक है बजट
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने बजट को मजदूरों, कर्मचारियों व मध्यम वर्ग के लिए घोर निराशा का बजट बताया है. उन्होंने कहा है कि मजदूरों के दैनिक वेतन में केवल पच्चीस रुपये, कोरोना योद्धा के रूप में कार्य कर रही आंगनबाड़ी कर्मियों के वेतन में केवल पांच सौ व तीन सौ रुपये, आशा कर्मियों के वेतन में केवल साढ़े सात सौ रुपये, मिड-डे मील कर्मियों के बजट में तीन सौ रुपये, चौकीदारों के वेतन में केवल तीन सौ रुपये, एसएमसी व आउटसोर्स आईटी शिक्षकों के वेतन में केवल पांच सौ रुपये, वाटर गार्ड के वेतन में केवल तीन सौ रुपये और सिलाई अध्यापिकाओं के वेतन में केवल पांच सौ रुपये की बढ़ोतरी मजदूरों व कर्मचारियों के साथ मजाक है.
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एनपीएस कर्मियों को केवल सहानुभूति
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने इस बजट में एक बार फिर एनपीएस कर्मियों को केवल सहानुभूति मिली है. उन्हें एक रुपये की भी आर्थिक मदद नहीं मिली है. आउटसोर्स कर्मियों को भी बजट में निराशा ही हाथ लगी है. पर्यटन व ट्रांसपोर्ट सेक्टर की भी बजट में अनदेखी है. इस बजट में मनरेगा, निर्माण, हाइडल व औद्योगिक मजदूरों की पूरी तरह अनदेखी की गई है.
विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार पर वर्ष 2003 के बाद नियुक्त कर्मियों व कॉन्ट्रेक्ट कर्मियों से धोखा करने का आरोप लगाया है. इस सरकार ने इन कर्मियों को बजट में सहानुभूति के सिवाय कुछ भी नहीं दिया है. बजट में सरकार का मजदूर व कर्मचारी विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है.
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