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कैग की रिपोर्ट में खुलासा, हिमाचल सरकार ने जमा नहीं करवाए 4752 करोड़ के उपयोगिता प्रमाण पत्र - हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र

कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हिमाचल सरकार ने पिछले 2 वित्तीय वर्ष में 4752 करोड़ रुपये के कार्यों के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं करवाए. हिमाचल विधानसभा सत्र के आखिरी दिन कैग रिपोर्ट सदन में रखी गई. (CAG report on Himachal Govt) (CAG report in Himachal Assembly)

कैग रिपोर्ट ने हिमाचल सरकार पर उठाए सवाल
कैग रिपोर्ट ने हिमाचल सरकार पर उठाए सवाल
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Published : Jan 6, 2023, 2:06 PM IST

शिमला: शुक्रवार को हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन कैग रिपोर्ट भी सदन मे रखी गई. इस रिपोर्ट में कई बातें सामने आई हैं लेकिन सबसे अहम बात सरकार सिस्टम की सुस्ती को लेकर सामने आई है. जिसने एक बार फिर हिमाचल सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. (CAG report on Himachal Govt) (HP govt did not submit utilisation certificates) (CAG report in Himachal Assembly)

दो साल के उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं करवाए जमा- CAG यानि Comptroller and Auditor General of India की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी सिस्टम की सुस्ती इस कदर है कि वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के उपयोगिता प्रमाण जमा ही नहीं करवाए गए. ये भी सुनिश्चित नहीं है कि ग्रांट-इन-एड के तौर पर विभिन्न विभागों, संस्थाओं को जारी रकम की उपयोगिता यानी यूटिलाइजेशन हुई है या नहीं. धर्मशाला के तपोवन में हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र हो रहा है. सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को सदन के पटल पर कैग की रिपोर्ट रखी गई. (CAG report on Utilisation certificates) (CAG report in Himachal Assembly winter session)

कुल 3619 उपयोगिता प्रमाण पत्र- रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में विभिन्न विकास कार्यों के लिए जारी रकम के यूसी यानी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा नहीं करवाए गए. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021-22 में कुल 1823 उपयोगिता प्रमाण पत्र तय नियमों के हिसाब से जमा ही नहीं किए गए. ये उपयोगिता प्रमाण पत्र कुल 2392.99 करोड़ रुपए के कार्यों के थे. यही नहीं, इससे पूर्व के वित्तीय वर्ष यानी 2020-21 के भी 1796 यूसी जमा नहीं किए गए हैं. ये 1796 यूसी 2359.15 करोड़ रुपए के कार्यों के थे. इन्हें 31 मार्च 2022 तक जमा करवाया जाना जरूरी था. इस तरह वर्ष 2020-21 व 2021-22 यानी दोनों वित्तीय सालों के कुल 3619 यूसी जमा होने बाकी हैं.

क्या होता है उपयोगिता या यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट- दरअसल राज्य सरकारों को विभिन्न विकास कार्यों के लिए अलग-अलग एजेंसियों से ग्रांट-इन-एड जारी की जाती है. जैसे केंद्र सरकार, नाबार्ड, विश्व बैंक, एशियन डेवलेपमेंट बैंक आदि संस्थाएं राज्यों को विकास कार्यों के लिए बजट मुहैय्या करवाती है. राज्य सरकार इस रकम को विकास कार्यों पर खर्च करती हैं और उस रकम को कहां, किस कार्य पर कितना खर्च किया गया इसकी जानकारी दी जाती है. आसान शब्दों में कहें तो राज्य सरकार की ओर से विकास कार्यों के लिए जारी रकम के यूटिलाइजेशन यानी इस्तेमाल की जानकारी के तौर पर एक सर्टिफिकेट दिया जाता है. जिसे उपयोगिता या यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट कहते हैं.

4752 करोड़ खर्च हुए या नहीं ?- कैग की रिपोर्ट में टिप्पणी दर्ज की गई है कि ये भी सुनिश्चित नहीं है कि उक्त रकम खर्च हुई है या नहीं. दोनों वित्तीय वर्षों के कुल 3619 यूसी 4752 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों से संबंधित हैं. इस तरह 31 मार्च 2022 तक 4752 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा होने थे, जो विभिन्न निकायों व एजेंसियों ने जमा नहीं करवाए. ये रकम ग्रांट-इन-एड के तौर पर मिली थी. ये सुनिश्चित नहीं है कि उक्त रकम का प्रयोग अथवा उपयोग हुआ है या नहीं. शुक्रवार को हिमाचल विधानसभा में कैग रिपोर्ट रखी गई. उल्लेखनीय है कि हर साल कैग की रिपोर्ट में यूसी जमा नहीं करवाने को लेकर नियंत्रक व लेखा महापरीक्षक की रिपोर्ट में सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज की जाती रही है, लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिलता.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के राजस्व घाटे में बढ़ोतरी पर कैग ने जताई चिंता, सीएम ने सदन में पेश की रिपोर्ट

शिमला: शुक्रवार को हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन कैग रिपोर्ट भी सदन मे रखी गई. इस रिपोर्ट में कई बातें सामने आई हैं लेकिन सबसे अहम बात सरकार सिस्टम की सुस्ती को लेकर सामने आई है. जिसने एक बार फिर हिमाचल सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. (CAG report on Himachal Govt) (HP govt did not submit utilisation certificates) (CAG report in Himachal Assembly)

दो साल के उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं करवाए जमा- CAG यानि Comptroller and Auditor General of India की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी सिस्टम की सुस्ती इस कदर है कि वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के उपयोगिता प्रमाण जमा ही नहीं करवाए गए. ये भी सुनिश्चित नहीं है कि ग्रांट-इन-एड के तौर पर विभिन्न विभागों, संस्थाओं को जारी रकम की उपयोगिता यानी यूटिलाइजेशन हुई है या नहीं. धर्मशाला के तपोवन में हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र हो रहा है. सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को सदन के पटल पर कैग की रिपोर्ट रखी गई. (CAG report on Utilisation certificates) (CAG report in Himachal Assembly winter session)

कुल 3619 उपयोगिता प्रमाण पत्र- रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में विभिन्न विकास कार्यों के लिए जारी रकम के यूसी यानी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा नहीं करवाए गए. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021-22 में कुल 1823 उपयोगिता प्रमाण पत्र तय नियमों के हिसाब से जमा ही नहीं किए गए. ये उपयोगिता प्रमाण पत्र कुल 2392.99 करोड़ रुपए के कार्यों के थे. यही नहीं, इससे पूर्व के वित्तीय वर्ष यानी 2020-21 के भी 1796 यूसी जमा नहीं किए गए हैं. ये 1796 यूसी 2359.15 करोड़ रुपए के कार्यों के थे. इन्हें 31 मार्च 2022 तक जमा करवाया जाना जरूरी था. इस तरह वर्ष 2020-21 व 2021-22 यानी दोनों वित्तीय सालों के कुल 3619 यूसी जमा होने बाकी हैं.

क्या होता है उपयोगिता या यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट- दरअसल राज्य सरकारों को विभिन्न विकास कार्यों के लिए अलग-अलग एजेंसियों से ग्रांट-इन-एड जारी की जाती है. जैसे केंद्र सरकार, नाबार्ड, विश्व बैंक, एशियन डेवलेपमेंट बैंक आदि संस्थाएं राज्यों को विकास कार्यों के लिए बजट मुहैय्या करवाती है. राज्य सरकार इस रकम को विकास कार्यों पर खर्च करती हैं और उस रकम को कहां, किस कार्य पर कितना खर्च किया गया इसकी जानकारी दी जाती है. आसान शब्दों में कहें तो राज्य सरकार की ओर से विकास कार्यों के लिए जारी रकम के यूटिलाइजेशन यानी इस्तेमाल की जानकारी के तौर पर एक सर्टिफिकेट दिया जाता है. जिसे उपयोगिता या यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट कहते हैं.

4752 करोड़ खर्च हुए या नहीं ?- कैग की रिपोर्ट में टिप्पणी दर्ज की गई है कि ये भी सुनिश्चित नहीं है कि उक्त रकम खर्च हुई है या नहीं. दोनों वित्तीय वर्षों के कुल 3619 यूसी 4752 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों से संबंधित हैं. इस तरह 31 मार्च 2022 तक 4752 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा होने थे, जो विभिन्न निकायों व एजेंसियों ने जमा नहीं करवाए. ये रकम ग्रांट-इन-एड के तौर पर मिली थी. ये सुनिश्चित नहीं है कि उक्त रकम का प्रयोग अथवा उपयोग हुआ है या नहीं. शुक्रवार को हिमाचल विधानसभा में कैग रिपोर्ट रखी गई. उल्लेखनीय है कि हर साल कैग की रिपोर्ट में यूसी जमा नहीं करवाने को लेकर नियंत्रक व लेखा महापरीक्षक की रिपोर्ट में सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज की जाती रही है, लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिलता.

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