शिमला: राज्य सरकार महिलाओं को 1500 रुपए देने की गारंटी को लेकर फिल्टर लगाएगी. इसमें सामाजिक पेंशन के दायरे में आने वाली महिलाओं, कर्मचारियों, पेंशनर्स और सामाजिक सुरक्षा पेंशन लेने वाली अन्य लाभार्थी महिलाओं को बाहर किया जाएगा. यही नहीं, एक परिवार में केवल एक महिला को ही 1500 रुपए देने की भी बात की गई है. शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल की अध्यक्षता कैबिनेट सब कमेटी की बैठक हुई. शिमला में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक मेंं कृषि मंत्री चंद्र कुमार, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह बतौर सदस्य मौजूद रहे. सरकार ने महिलाओं को 1500 रुपये देने की योजना का रोडमैप तैयार करने के लिए सब कमेटी का गठन किया था, जिसकी पहली बैठक शिमला में हुई.
कितनी महिलाओं को मिलेगा लाभ- कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 18 से 59 साल की महिलाओं को 1500 रुपये देने का वादा किया था. कैबिनेट सब कमेटी ने इसके लिए साल 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों को आधार माना है. जिसके हिसाब से प्रदेश में 18 साल से 59 साल की 22,40,492 महिलाएं हैं, जिनमें से 8 लाख 21 हजार महिलाएं ऐसी हैं जो किसी ना किसी रूप में पेंशन देती हैं या फिर आयकर दाता हैं. इन महिलाओं को 1500 रुपये की योजना का लाभ नहीं मिलेगा. इनमें सामाजिक पेंशन के दायरे में आने वाली महिलाओं के अलावा, कर्मचारी, पेंशनर्स, आश्रित व अन्य पेंशन लेने वाली महिलाएं शामिल हैं. इस तरह 22,40,492 में से 8,21,000 महिलाओं को हटाने पर करीब 14 लाख का आंकड़ा बचता है. इन 14 लाख महिलाओं को ही इस योजना के लिए पात्र माना जाएगा.
1500 से कम पेंशन लेने वालों पर भी सहमति- सब कमेटी ने 1500 से कम पेंशन पाने वाली महिलाओं को भी इस योजना के दायरे में लाने पर सहमति जताई है. गौरतलब है कि कई महिलाओं को फिलहाल पेंशन के रूप में 1500 रुपए से कम की राशि दी जा रही है, उनको भी बराबर पेंशन देने पर विचार किया गया है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अगले माह सब कमेटी की एक और बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें वित्त विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे.
इस योजना का रोडमैप तैयार करने के बाद कैबिनेट सबकमेटी की रिपोर्ट कैबिनेट में रखी जाएगी. बता दें कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल की जनता को 10 गारंटियां दी थी, जिसमें महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह रुपए देने की गारंटी भी शामिल थी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले ही कह चुके हैं कि इस वादे को पूरा किया जाएगा. ऐसे यह देखना अहम होगा कि 75 हजार करोड़ के कर्ज में डूबे हिमाचल में सरकार इस वादे को पूरा करने के लिए क्या रास्ता अपनाती है.
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