शिमला: हिमाचल में होने वाले उपचुनाव पर इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने बड़ा फैसला लिया है. आयोग ने प्रदेश में फेस्टिवल सीजन के बाद फतेहपुर विधानसभा सीट और मंडी लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव कराने का फैसला लिया है. दरअसल, राज्य के मुख्य सचिव ने चुनाव आयोग के सामने उपचुनाव को और टालने के लिए आपदा और फेस्टिवल सीजन की दलील दी थी.
प्रदेश में चुनाव करवाने या न करवाने को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह से एक रिपोर्ट मांगी थी. जिसमें मुख्य सचिव की ओर से चुनाव आयोग से प्रदेश में उपचुनाव को टालने की बात कही थी. जिसके बाद चुनाव आयोग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है.
जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने कहा कि हिमाचल के जनजातीय जिलों में भारी बारिश के कारण चट्टाने खिसकने जैसे हादसे हो रहे हैं. इसके अलावा निचले क्षेत्रों में नदी नालों में बाढ़ जैसी स्थिति हो जाती है. प्रदेश सरकार ने कोरोना की स्थिति को लेकर भी चिंता व्यक्त की है और आशंका जताई है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आ सकती है.
हिमाचल प्रदेश में तीन विधानसभा सीटों जुब्बल कोटखाई, फतेहपुर और अर्की में उपचुनाव होने थे. फतेहपुर विधानसभा सीट कांग्रेस नेता सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद खाली हुई थी. जुब्बल कोटखाई सीट भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद खाली हुई थी. अर्की सीट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी. इसके अलावा प्रदेश में मंडी लोकसभा सीट पर भी चुनाव होना तय है मंडी लोकसभा सीट सांसद राम स्वरूप शर्मा के निधन के बाद खाली हुई है. ऐसे में कुल मिलाकर हिमाचल प्रदेश में चार स्थानों पर उपचुनाव होने थे.
चुनाव आयोग के इस निर्णय के बाद अब भाजपा विपक्ष के निशाने पर आग गई है, विपक्षी दलों ने जयराम सरकार पर चुनावों से भागने का आरोप लगाया है. विपक्ष का कहना है कि प्रदेश के ट्राइबल एरिया में तो जयराम सरकार ने पंचायती राज चुनावों के लिए तिथियां घोषित कर दी हैं. लेकिन, विधानसभा चुनाव और लोकसभा उपचुनाव के लिए प्रदेश सरकार इलेक्शन कमीशन के समक्ष बहाने लगा रही है.