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मरने के बाद भी 'अमर' हुए 91 वर्षीय अमर प्रकाश, मरने से पहले ही IGMC को कर दी थी देह दान

अमर प्रकाश ने मरने से पहले अपनी देह दान कर दी थी. 7 अगस्त 2010 काे उन्हाेंने आईजीएमसी की देहदान समिति काे अपना शरीर दान कर दिया था. अमर प्रकाश की मृत्यु शनिवार सुबह 3:45 बजे हुई और उन्हें काेई बीमारी नहीं थी. इसके बाद परिजनाें ने सुबह आईजीएमसी के एनॉटमी विभाग में संपर्क किया और शव दाेपहर 12 बजे आईजीएमसी में साैंप दिया. अमर प्रकाश रेलवे मेल सर्विसिज से सेवानिवृत्त थे.

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Published : Jul 3, 2021, 6:54 PM IST

Updated : Jul 3, 2021, 7:11 PM IST

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शिमला: टुटू के विजय नगर के 91 वर्षीय अमर प्रकाश का शरीर अब आईजीएमसी के प्रशिक्षु चिकित्सकाें के काम आएगा. अमर प्रकाश की मृत्यु के बाद उनकी देह शनिवार काे उनके परिजनाें ने आईजीएमसी के एनाटोमी विभाग काे साैंपा. उनके पुत्र अश्वनी कुमार और परिवार के अन्य सदस्य भी इस दाैरान माैजूद रहे.

एनॉटमी विभाग को सौंपा शव

अमर प्रकाश ने मरने से पहले अपनी देह दान कर दी थी. 7 अगस्त 2010 काे उन्हाेंने आईजीएमसी की देहदान समिति काे अपना शरीर दान कर दिया था. अमर प्रकाश की मृत्यु शनिवार सुबह 3:45 बजे हुई और उन्हें काेई बीमारी नहीं थी. इसके बाद परिजनाें ने सुबह आईजीएमसी के एनॉटमी विभाग में संपर्क किया और देह को दाेपहर 12 बजे आईजीएमसी में साैंप दिया. अमर प्रकाश रेलवे मेल सर्विसिज से सेवानिवृत्त थे.

सिरमौर से मिला था पहला शव

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डाॅक्टर जनकराज ने बताया कि अमर प्रकाश ने अपना शरीर 2010 में आईजीएमसी की देहदान समिति काे दान कर दिया था. इसके बाद उनके परिजनाें ने यह शव विभाग काे साैंपा. उन्हाेंने बताया कि देहदान समिति काे यह सातवां शरीर है. इसमें सबसे पहले सिरमौर के बलदेव वर्मा का शरीर विभाग काे मिला था.

लोगों से देहदान करने की अपील

डाॅक्टर जनकराज ने बताया कि आईजीएमसी शिमला की देह दान समिति को अब तक 398 से अधिक स्वयंसेवकों ने अपने शरीर का संकल्प लिया है. उन्हाेंने सभी लाेगाें से आग्रह किया है कि वह भी अपना शरीर दान के लिए आगे आएं. उन्हाेंने बताया कि मानव शरीर दान करने से मेडिकल रिसर्च में काफी मदद मिलती है और स्टूडेंट्स काे भी इससे कई जानकारियां दी जाती हैं.

ये भी पढ़ें: कल बिलासपुर आ रहे हैं नड्डा, बगावत की चिंगारी पर डालेंगे पानी...उपचुनाव पर भी चर्चा

शिमला: टुटू के विजय नगर के 91 वर्षीय अमर प्रकाश का शरीर अब आईजीएमसी के प्रशिक्षु चिकित्सकाें के काम आएगा. अमर प्रकाश की मृत्यु के बाद उनकी देह शनिवार काे उनके परिजनाें ने आईजीएमसी के एनाटोमी विभाग काे साैंपा. उनके पुत्र अश्वनी कुमार और परिवार के अन्य सदस्य भी इस दाैरान माैजूद रहे.

एनॉटमी विभाग को सौंपा शव

अमर प्रकाश ने मरने से पहले अपनी देह दान कर दी थी. 7 अगस्त 2010 काे उन्हाेंने आईजीएमसी की देहदान समिति काे अपना शरीर दान कर दिया था. अमर प्रकाश की मृत्यु शनिवार सुबह 3:45 बजे हुई और उन्हें काेई बीमारी नहीं थी. इसके बाद परिजनाें ने सुबह आईजीएमसी के एनॉटमी विभाग में संपर्क किया और देह को दाेपहर 12 बजे आईजीएमसी में साैंप दिया. अमर प्रकाश रेलवे मेल सर्विसिज से सेवानिवृत्त थे.

सिरमौर से मिला था पहला शव

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डाॅक्टर जनकराज ने बताया कि अमर प्रकाश ने अपना शरीर 2010 में आईजीएमसी की देहदान समिति काे दान कर दिया था. इसके बाद उनके परिजनाें ने यह शव विभाग काे साैंपा. उन्हाेंने बताया कि देहदान समिति काे यह सातवां शरीर है. इसमें सबसे पहले सिरमौर के बलदेव वर्मा का शरीर विभाग काे मिला था.

लोगों से देहदान करने की अपील

डाॅक्टर जनकराज ने बताया कि आईजीएमसी शिमला की देह दान समिति को अब तक 398 से अधिक स्वयंसेवकों ने अपने शरीर का संकल्प लिया है. उन्हाेंने सभी लाेगाें से आग्रह किया है कि वह भी अपना शरीर दान के लिए आगे आएं. उन्हाेंने बताया कि मानव शरीर दान करने से मेडिकल रिसर्च में काफी मदद मिलती है और स्टूडेंट्स काे भी इससे कई जानकारियां दी जाती हैं.

ये भी पढ़ें: कल बिलासपुर आ रहे हैं नड्डा, बगावत की चिंगारी पर डालेंगे पानी...उपचुनाव पर भी चर्चा

Last Updated : Jul 3, 2021, 7:11 PM IST
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