मंडीः पंचायत चुनाव में बीजेपी को कई बड़े झटके लगे हैं. पंचायत चुनाव में बंपर जीत का दावा कर रही बीजेपी के आत्मविश्वास को कई परिणामों ने सातवें आसमान से जमीन पर पटक दिया है. इसकी चोट बीजेपी को इस कदर लगी है कि ये जख्म ना दिखाई दे रहा है ना छिपाया जा रहा है.
बीजेपी पानी पानी हो रही है और कांग्रेस गदगद
बीजेपी पानी पानी हो रही है और कांग्रेस गदगद हो रही है. सबसे ज्यादा चोट बीजेपी को सीएम के विधानसभा क्षेत्र सिराज में लगी है. यहां जिला परिषद के चार वार्डों में से बीजेपी के सिर्फ 2 समर्थित उम्मीदवार ही जीत पाए हैं.
जिला परिषद के मझोठी वार्ड से भाजपा समर्थित रजनी ने जहां 5 हजार मतों से जीत हासिल की. वहीं, रोड वार्ड से सिराज भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्षा खिम दासी ने 7 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की. सिराज भाजपा के लिए सबसे ज्यादा झटका थाची वार्ड में लगा है. यहां लगातार दूसरी बार भाजपा समर्थित उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है.
भाकपा ने बड़े अंतर से जीता थाची वार्ड
थाची वार्ड से पूर्व जिला परिषद सदस्य व भाकपा नेता संतराम की धर्म पत्नी हिमा देवी ने 2577 मतों के अंतर से जीत दर्ज की. वहीं ब्रेउगी वार्ड से निर्दलीय मीरा चौहान ने भी भाजपा समर्थित रीता देवी को 144 मतों से हराया.
दिलचस्प बात यह रही कि भाजपा समर्थित रीता देवी को बालीचौकी विकास खण्ड के तहत आने वाली 4 पंचायतो में मात्र 532 मत मिले, जबकि मीरा चौहान को कुल 3337 मतों में 2659 मत मिले. इस वार्ड में 2 बार मतगणना की गई, लेकिन भाजपा प्रत्याशी फिर भी जीत के करीब नहीं पंहुच पाई. हालांकि मंडी जिला में बीजेपी समर्थित कई उम्मीदवारों में जीत हासिल की है. सिराज में लगी चोट बीजेपी को अखर रही होगी.
पूर्व मुख्यमंत्री से रिश्तेदारी होने के बाद नहीं जीत पाए पृथ्वी राज धूमल
वहीं, जिला परिषद के थौना वार्ड से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल चचेरे भाई और प्रदेश सरकार के कदावर नेता महेंद्र सिंह ठाकुर के समधी पृथ्वी राज धूमल को हार का सामना करना पड़ा है. नगर निकाय चुनाव में भी बीजेपी की जगह पर हालत खराब रही है. एक मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने अपने पार्षद को नगर परिषद की कुर्सी पर बिठा दिया है.
वहीं, एक मंत्री के शागिर्द पंचायत चुनाव से लेकर निकाय चुनाव हार गए हैं, लेकिन बीजेपी को सिराज में हुए इस उलटफेर की अधिक चोट लगी है. 2022 की राह को जितना बीजेपी आसान मान रही थी.
इन नतीजों से लग रहा है कि आने वाला चुनाव बीजेपी के लिए कतई आसान नहीं होगा. पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव से पहले का सेमिफाइनल माना जाता है, लेकिन सेमिफाइनल में बीजेपी के कई विकेट उखड़ गए हैं. अब बीजेपी को 2022 का फाइनल जीतना है तो इसके लिए एक बार फिर से नई फिल्ड सजानी होगी.
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