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49 साल पहले शिमला में थी पाक की पूर्व पीएम बेनजीर, खूबसूरती देख धड़का था नौजवानों का दिल - डॉटर ऑफ ईस्ट

भारत-पाक के बीच शिमला समझौते से अलग एक चैप्टर बेनजीर भुट्टो का भी है. बेनजीर यानी जिसकी नजीर न हो यानी कोई उदाहरण न मिले. उस समय बेनजीर को देखने वालों का कहना है कि सचमुच बेनजीर भुट्टो वैसी ही थीं. शिमला समझौते के समय वे 19 बरस की थीं. बेनजीर भुट्टो निहायत खूबसूरत थीं. यही कारण है कि शिमला में उस समय उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती थी. शिमला समझौते के दौरान शिमला में बेनजीर की खूबसूरती के खूब चर्चे हुए.

benazir bhutto shimla visit during shimla agreement
फोटो.
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Published : Jul 2, 2021, 6:40 AM IST

शिमला: आजाद भारत के इतिहास में भारत-पाक शिमला समझौते का अहम स्थान है. 1971 में युद्ध हार जाने के बाद जब पाक के मुखिया जुल्फिकार अली भुट्टो को अहसास हुआ कि अब उन्हें देश में भारी विरोध का सामना करना होगा, तो उन्होंने भारतीय पीएम इंदिरा गांधी के पास बातचीत व समझौते का संदेश भेजा. भारत ने भी बात आगे बढ़ाई और वर्ष 1972 में 28 जून से 2 जुलाई के दरम्यान शिमला में शिखर वार्ता तय हुई.

समझौते के लिए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल अपने पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ शिमला पहुंचा. यात्रा में भुट्टो के साथ उनकी बेगम को आना था. लेकिन उनकी बीमारी की स्थिति में उनकी जगह भुट्टो अपनी बेटी बेनजीर को लाये. जो उस समय महज 19 साल की थीं.

इंदिरा गांधी ने जुल्फीकार के लिए खरीदे थे सिगार

शिखर वार्ता के दौरान इंदिरा गांधी के स्पष्ट निर्देश थे कि मेहमानों का पूरा ख्याल रखा जाए. यहां तक कि भुट्टो की पसंद का सिगार खरीदने खुद इंदिरा गांधी मालरोड की प्रतिष्ठित दुकान गेंदामल हेमराज तक गयी थीं. मालरोड की ही एक अन्य दुकान स्टाईलको से उन्होंने अंतिम दौर की बातचीत के लिए पर्दे खरीदे थे.

19 बरस की थी बेनजीर

भारत-पाक के बीच शिमला समझौते से अलग एक चैप्टर बेनजीर भुट्टो का भी है. बेनजीर यानी जिसकी नजीर न हो यानी कोई उदाहरण न मिले. उस समय बेनजीर को देखने वालों का कहना है कि सचमुच बेनजीर भुट्टो वैसी ही थीं. शिमला समझौते के समय वे 19 बरस की थीं. बेनजीर भुट्टो निहायत खूबसूरत थीं. यही कारण है कि शिमला में उस समय उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती थी. शिमला समझौते के दौरान शिमला में बेनजीर की खूबसूरती के खूब चर्चे हुए.

3 घंटे तक लोगों ने किया इंतजार

भारत-पाक युद्ध व दोनों देशों के रिश्तों की तल्खियों से बेपरवाह बेनजीर भुट्टो ने शिमला में उस समय के प्रवास का अलग तरीके से आनंद लिया. उन्होंने शिमला में कुछ खरीदारी भी की. बताया जाता है कि बेनजीर भुट्टो ने स्कैंडल पॉइंट पर मौजूद मशहूर पान की दुकान से पान भी खाया था. उस दौर के लोग व मीडिया कर्मी बताते हैं कि बेनजीर भुट्टो शहर के मशहूर रेस्तरां डेवीकोज में काफी पीने गई थीं.

शिमला के बुजुर्ग उस वक्त को याद करके कहते हैं कि लोग बेनजीर को एक नजर देखने के लिए दीवाने हुए जा रहे थे. जहां भी वे जातीं लोग उमड़ पड़ते. डेवीकोज रेस्तरां में जब बेनजीर काफी पीने के बहाने अंदर गयीं तो तीन घंटे तक लोग उनके बाहर निकलने का इंतजार करते रहे, ताकि एक नजर उन्हें देख सकें.

बेनजीर भुट्टो की आत्मकथा में जिक्र

बेनजीर भुट्टो ने इस किताब में जिक्र किया है कि हवाई जहाज में पिता ने उन्हें समझाया था कि शिमला में किसी के सामने मुस्कुराना नहीं है. यह भी कहा कि तुम्हें दुखी भी नहीं दिखना है, इससे गलत संदेश जाएगा. इस पर बेनजीर ने उनसे पूछा कि बताएं उन्हें कैसा दिखना है तो भुट्टो ने कहा था कि न खुश और न ही दुखी. इस समय शिमला में बेनजीर भुट्टो की आत्मकथा डॉटर ऑफ ईस्ट भी बिक्री के लिए मौजूद है. शिमला की दो मशहूर किताबों की दुकान में ये किताब उपलब्ध हैं.

ये भी पढ़ें: अटल टनल ने बढ़ाई हिमाचल की शान, पर्यटन कारोबार को लगाए चार चांद

शिमला: आजाद भारत के इतिहास में भारत-पाक शिमला समझौते का अहम स्थान है. 1971 में युद्ध हार जाने के बाद जब पाक के मुखिया जुल्फिकार अली भुट्टो को अहसास हुआ कि अब उन्हें देश में भारी विरोध का सामना करना होगा, तो उन्होंने भारतीय पीएम इंदिरा गांधी के पास बातचीत व समझौते का संदेश भेजा. भारत ने भी बात आगे बढ़ाई और वर्ष 1972 में 28 जून से 2 जुलाई के दरम्यान शिमला में शिखर वार्ता तय हुई.

समझौते के लिए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल अपने पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ शिमला पहुंचा. यात्रा में भुट्टो के साथ उनकी बेगम को आना था. लेकिन उनकी बीमारी की स्थिति में उनकी जगह भुट्टो अपनी बेटी बेनजीर को लाये. जो उस समय महज 19 साल की थीं.

इंदिरा गांधी ने जुल्फीकार के लिए खरीदे थे सिगार

शिखर वार्ता के दौरान इंदिरा गांधी के स्पष्ट निर्देश थे कि मेहमानों का पूरा ख्याल रखा जाए. यहां तक कि भुट्टो की पसंद का सिगार खरीदने खुद इंदिरा गांधी मालरोड की प्रतिष्ठित दुकान गेंदामल हेमराज तक गयी थीं. मालरोड की ही एक अन्य दुकान स्टाईलको से उन्होंने अंतिम दौर की बातचीत के लिए पर्दे खरीदे थे.

19 बरस की थी बेनजीर

भारत-पाक के बीच शिमला समझौते से अलग एक चैप्टर बेनजीर भुट्टो का भी है. बेनजीर यानी जिसकी नजीर न हो यानी कोई उदाहरण न मिले. उस समय बेनजीर को देखने वालों का कहना है कि सचमुच बेनजीर भुट्टो वैसी ही थीं. शिमला समझौते के समय वे 19 बरस की थीं. बेनजीर भुट्टो निहायत खूबसूरत थीं. यही कारण है कि शिमला में उस समय उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती थी. शिमला समझौते के दौरान शिमला में बेनजीर की खूबसूरती के खूब चर्चे हुए.

3 घंटे तक लोगों ने किया इंतजार

भारत-पाक युद्ध व दोनों देशों के रिश्तों की तल्खियों से बेपरवाह बेनजीर भुट्टो ने शिमला में उस समय के प्रवास का अलग तरीके से आनंद लिया. उन्होंने शिमला में कुछ खरीदारी भी की. बताया जाता है कि बेनजीर भुट्टो ने स्कैंडल पॉइंट पर मौजूद मशहूर पान की दुकान से पान भी खाया था. उस दौर के लोग व मीडिया कर्मी बताते हैं कि बेनजीर भुट्टो शहर के मशहूर रेस्तरां डेवीकोज में काफी पीने गई थीं.

शिमला के बुजुर्ग उस वक्त को याद करके कहते हैं कि लोग बेनजीर को एक नजर देखने के लिए दीवाने हुए जा रहे थे. जहां भी वे जातीं लोग उमड़ पड़ते. डेवीकोज रेस्तरां में जब बेनजीर काफी पीने के बहाने अंदर गयीं तो तीन घंटे तक लोग उनके बाहर निकलने का इंतजार करते रहे, ताकि एक नजर उन्हें देख सकें.

बेनजीर भुट्टो की आत्मकथा में जिक्र

बेनजीर भुट्टो ने इस किताब में जिक्र किया है कि हवाई जहाज में पिता ने उन्हें समझाया था कि शिमला में किसी के सामने मुस्कुराना नहीं है. यह भी कहा कि तुम्हें दुखी भी नहीं दिखना है, इससे गलत संदेश जाएगा. इस पर बेनजीर ने उनसे पूछा कि बताएं उन्हें कैसा दिखना है तो भुट्टो ने कहा था कि न खुश और न ही दुखी. इस समय शिमला में बेनजीर भुट्टो की आत्मकथा डॉटर ऑफ ईस्ट भी बिक्री के लिए मौजूद है. शिमला की दो मशहूर किताबों की दुकान में ये किताब उपलब्ध हैं.

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