शिमला: विधानसभा में गुरूवार को भाजपा के दो विधायक अपने ही मंत्रियों के जवाब से असंतुष्ट नजर आए. वरिष्ठ भाजपा विधायक रमेश ध्वाला व सुखराम चौधरी प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब से नाराज नजर आए.
रमेश ध्वाला ने आयुर्वेद विभाग में रिक्तियों से जुड़ा सवाल किया था. रमेश ध्वाला ने कहा कि आयुर्वेद विभाग में कितने चतुर्थ श्रेणी के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं और क्या सात साल का कार्यकाल पूरा कर चुके ऐसे कर्मियों को नियमित किया जाएगा. रमेश ध्वाला ने कहा कि 2001 से 2003 के बीच नियुक्त हुए 190 कर्मी कब तक नियमित होंगे. इस पर आयुर्वेद मंत्री विपिन परमार ने जवाब दिया कि चतुर्थ श्रेणी के सभी पद भरे हुए हैं और नए पद सृजित करने को सरकार प्रयास कर रही है.
इसी जवाब पर रमेश ध्वाला ने स्वास्थ्य मंत्री को घेर लिया. ध्वाला ने कहा कि उनके पास सूचना के अधिकार के तहत जानकारी है कि आयुर्वेद विभाग में 184 पद खाली हैं, लेकिन मंत्री बोल रहे हैं कि पद खाली नहीं हैं. इसी बात को लेकर स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार और धवाला के बीच हल्की बहस हो गई.
वहीं, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने अपने सवाल में यमुना नदी में फैंके जा रहे कचरे सहित कूड़ा निस्तारण की सही व्यवस्था न होने का सवाल उठाया. सुखराम चौधरी का कहना था कि नगर परिषद पांवटा का कचरा एक जगह इकट्ठा कर उसमें आग लगा दी जाती है. सवाल के जवाब में शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने नगर परिषद में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था का ब्यौरा दिया.
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विधायक सुखराम का कहना था कि यमुना नदी पवित्र नदी है और इससे जनता की आस्था जुड़ी है, लेकिन बड़ी मात्रा में कचरा नदी में डाल दिया जाता है. सुखराम ने कहा कि न तो कचरे से कोई खाद तैयार हुई और न ही कूड़े को ठिकाने लगाने की व्यवस्था की गई. इसके जवाब में मंत्री सरवीण चौधरी ने कहा कि पांवटा के साथ एक पंचायत में कूड़ा संयंत्र स्थापित किया जाएगा. सूखे कचरे की छंटाई के लिए 23 लाख रुपए दिए गए हैं. मंत्री ने कहा कि अभी प्रदेश की जनता में ये जागरुकता नहीं है कि सूखा व गीला कचरा अलग होना चाहिए.