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विधानसभा सत्र: सदन में भड़की ध्वाला की 'ज्वाला', सुखराम ने भी छीना अपनी ही सरकार का 'चैन'

वरिष्ठ भाजपा विधायक रमेश ध्वाला व सुखराम चौधरी प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब से नाराज नजर आए. वहीं विधायक सुखराम चौधरी और शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी भी एक दुसरे से खासे नाराज नजर आए.

विधानसभा सत्र: सदन में भड़की ध्वाला की 'ज्वाला', सुखराम ने भी छीना अपनी ही सरकार का 'चैन'
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Published : Aug 29, 2019, 9:16 PM IST

शिमला: विधानसभा में गुरूवार को भाजपा के दो विधायक अपने ही मंत्रियों के जवाब से असंतुष्ट नजर आए. वरिष्ठ भाजपा विधायक रमेश ध्वाला व सुखराम चौधरी प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब से नाराज नजर आए.

रमेश ध्वाला ने आयुर्वेद विभाग में रिक्तियों से जुड़ा सवाल किया था. रमेश ध्वाला ने कहा कि आयुर्वेद विभाग में कितने चतुर्थ श्रेणी के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं और क्या सात साल का कार्यकाल पूरा कर चुके ऐसे कर्मियों को नियमित किया जाएगा. रमेश ध्वाला ने कहा कि 2001 से 2003 के बीच नियुक्त हुए 190 कर्मी कब तक नियमित होंगे. इस पर आयुर्वेद मंत्री विपिन परमार ने जवाब दिया कि चतुर्थ श्रेणी के सभी पद भरे हुए हैं और नए पद सृजित करने को सरकार प्रयास कर रही है.

इसी जवाब पर रमेश ध्वाला ने स्वास्थ्य मंत्री को घेर लिया. ध्वाला ने कहा कि उनके पास सूचना के अधिकार के तहत जानकारी है कि आयुर्वेद विभाग में 184 पद खाली हैं, लेकिन मंत्री बोल रहे हैं कि पद खाली नहीं हैं. इसी बात को लेकर स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार और धवाला के बीच हल्की बहस हो गई.

वहीं, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने अपने सवाल में यमुना नदी में फैंके जा रहे कचरे सहित कूड़ा निस्तारण की सही व्यवस्था न होने का सवाल उठाया. सुखराम चौधरी का कहना था कि नगर परिषद पांवटा का कचरा एक जगह इकट्ठा कर उसमें आग लगा दी जाती है. सवाल के जवाब में शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने नगर परिषद में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था का ब्यौरा दिया.

ये भी पढ़ें: पीजीटी का बदला पदनाम, अब लेक्चरर स्कूल न्यू नाम से जाने जाएंगे पोस्ट ग्रेजुएट टीचर

विधायक सुखराम का कहना था कि यमुना नदी पवित्र नदी है और इससे जनता की आस्था जुड़ी है, लेकिन बड़ी मात्रा में कचरा नदी में डाल दिया जाता है. सुखराम ने कहा कि न तो कचरे से कोई खाद तैयार हुई और न ही कूड़े को ठिकाने लगाने की व्यवस्था की गई. इसके जवाब में मंत्री सरवीण चौधरी ने कहा कि पांवटा के साथ एक पंचायत में कूड़ा संयंत्र स्थापित किया जाएगा. सूखे कचरे की छंटाई के लिए 23 लाख रुपए दिए गए हैं. मंत्री ने कहा कि अभी प्रदेश की जनता में ये जागरुकता नहीं है कि सूखा व गीला कचरा अलग होना चाहिए.

शिमला: विधानसभा में गुरूवार को भाजपा के दो विधायक अपने ही मंत्रियों के जवाब से असंतुष्ट नजर आए. वरिष्ठ भाजपा विधायक रमेश ध्वाला व सुखराम चौधरी प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब से नाराज नजर आए.

रमेश ध्वाला ने आयुर्वेद विभाग में रिक्तियों से जुड़ा सवाल किया था. रमेश ध्वाला ने कहा कि आयुर्वेद विभाग में कितने चतुर्थ श्रेणी के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं और क्या सात साल का कार्यकाल पूरा कर चुके ऐसे कर्मियों को नियमित किया जाएगा. रमेश ध्वाला ने कहा कि 2001 से 2003 के बीच नियुक्त हुए 190 कर्मी कब तक नियमित होंगे. इस पर आयुर्वेद मंत्री विपिन परमार ने जवाब दिया कि चतुर्थ श्रेणी के सभी पद भरे हुए हैं और नए पद सृजित करने को सरकार प्रयास कर रही है.

इसी जवाब पर रमेश ध्वाला ने स्वास्थ्य मंत्री को घेर लिया. ध्वाला ने कहा कि उनके पास सूचना के अधिकार के तहत जानकारी है कि आयुर्वेद विभाग में 184 पद खाली हैं, लेकिन मंत्री बोल रहे हैं कि पद खाली नहीं हैं. इसी बात को लेकर स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार और धवाला के बीच हल्की बहस हो गई.

वहीं, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने अपने सवाल में यमुना नदी में फैंके जा रहे कचरे सहित कूड़ा निस्तारण की सही व्यवस्था न होने का सवाल उठाया. सुखराम चौधरी का कहना था कि नगर परिषद पांवटा का कचरा एक जगह इकट्ठा कर उसमें आग लगा दी जाती है. सवाल के जवाब में शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने नगर परिषद में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था का ब्यौरा दिया.

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विधायक सुखराम का कहना था कि यमुना नदी पवित्र नदी है और इससे जनता की आस्था जुड़ी है, लेकिन बड़ी मात्रा में कचरा नदी में डाल दिया जाता है. सुखराम ने कहा कि न तो कचरे से कोई खाद तैयार हुई और न ही कूड़े को ठिकाने लगाने की व्यवस्था की गई. इसके जवाब में मंत्री सरवीण चौधरी ने कहा कि पांवटा के साथ एक पंचायत में कूड़ा संयंत्र स्थापित किया जाएगा. सूखे कचरे की छंटाई के लिए 23 लाख रुपए दिए गए हैं. मंत्री ने कहा कि अभी प्रदेश की जनता में ये जागरुकता नहीं है कि सूखा व गीला कचरा अलग होना चाहिए.

अपनी ही सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए ध्वाला और सुखराम, आयुर्वेद व यमुना में कचरा डालने से जुड़े थे सवाल
शिमला। सत्ता पक्ष के विधायक सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों व विकास योजनाओं की सराहना ही करते हैं, लेकिन विधानसभा में गुरूवार को भाजपा के दो विधायक अपने ही मंत्रियों के जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आए। वरिष्ठ भाजपा विधायक रमेश ध्वाला व सुखराम चौधरी प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब से नाखुश प्रतीत हुए। रमेश ध्वाला ने आयुर्वेद विभाग में रिक्तियों से जुड़ा सवाल किया था और सुखराम चौधरी के सवाल में यमुना में कचरा फैंकने से हो रहे प्रदूषण की चिंता थी। स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार व शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी अपने ही सदस्यों के सवालों से घिरते दिखे। रमेश ध्वाला ने सवाल किया था कि आयुर्वेद विभाग में कितने चतुर्थ श्रेणी के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं और क्या सात साल का कार्यकाल पूरा कर चुके ऐसे कर्मियों को नियमित किया जाएगा। ध्वाला की चिंता थी कि कई कर्मचारी कई सालों से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन नियमित नहीं किए गए।
17-18 साल से कार्यरत 190 कर्मी कब तक नियमित होंगे? ये 2001 से 2003 के
बीच नियुक्त हुए थे। उक्त कर्मचारी पहले तो 12 साल तक अंशकालीन कर्मी कहलाए और अब 7 साल दैनिक वेतन भोगी के तौर पर पूरे कर चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विभाग के पास कोई वैकेंसी नहीं है। ऐसे में इन कर्मियों को नियमित नहीं किया जा सकता। बस, इसी जवाब पर रमेश ध्वाला ने स्वास्थ्य मंत्री को घेर लिया। ध्वाला ने कहा कि उनके पास सूचना के अधिकार के तहत जानकारी है कि आयुर्वेद विभाग में 184 पद खाली हैं। उन्होंने जिलावार ब्यौरा भी दिया। ध्वाला मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखे। स्वास्थ्य मंत्री के जवाब में जो जानकारी सामने आई, उसके अनुसार 190 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी कार्यरत हैं।
वहीं, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने अपने सवाल में यमुना नदी में फैंके जा रहे कचरे सहित कूड़ा निस्तारण की सही व्यवस्था न होने का सवाल उठाया। सुखराम चौधरी का कहना था कि नगर परिषद पांवटा का कचरा एक जगह इकट्ठा कर उसमें आग लगा दी जाती है। जवाब में शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने नगर परिषद में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था का ब्यौरा दिया। विधायक सुखराम का कहना था कि यमुना नदी पवित्र नदी है और इससे जनता की आस्था जुड़ी है। बड़ी मात्रा में कचरा नदी में डाल दिया जाता है। न तो कचरे से कोई खाद तैयार हुई और न ही कूड़े को ठिकाने लगाने की व्यवस्था जवाब में मंत्री सरवीण चौधरी ने कहा कि पांवटा के साथ एक पंचायत में कूड़ा संयंत्र स्थापित किया जाएगा। सूखे कचरे की छंटाई के लिए 23 लाख रुपए दिए गए हैं। मंत्री ने कहा कि अभी प्रदेश की जनता में ये जागरुकता नहीं है कि सूखा व गीला कचरा अलग होना चाहिए। 
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