हमीरपुर: जिला हमीरपुर के भोटा में राधा स्वामी सत्संग चैरिटेबल अस्पताल के गेट पर इन दिनों 1 दिसंबर से अस्पताल के बंद होने का नोटिस लगा है. इसको लेकर स्थानीय लोगों में रोष है. स्थानीय लोग प्रदेश की सुखविंदर सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस अस्पताल को बंद होने से बचाया जाए. अस्पताल में लोगों का निशुल्क में इलाज होता है. ऐसे में लोगों को चिंता है कि अस्पताल बंद होने के बाद उन्हें निशुल्क इलाज नहीं मिल पाएगा.
बीते रोज सोमवार 25 नवंबर को स्थानीय लोगों ने भोटा अस्पताल में इसको लेकर प्रदर्शन किया था और सुखविंदर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी. वहीं, पंचायत प्रतिनिधियों का एक प्रतिनिधिमंडल डीसी हमीरपुर अमरजीत सिंह से मिला था. डीसी से मुलाकात कर प्रतिनिधिमंडल ने डेरा ब्यास प्रबंधन की मांग को प्रदेश सरकार द्वारा मानने की बात कही थी जिससे इस अस्पताल को बंद होने से बचाया जा सके.
बुधवार को लोग दोबारा करेंगे प्रदर्शन
वहीं, अब दोबारा लोग बुधवार को अस्पताल के बाहर प्रदर्शन करेंगे. इस प्रदर्शन में जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, पंचायत प्रधान, पंचायत उप प्रधान और अन्य संगठनों के लोग शामिल होंगे. स्थानीय लोग पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर भोटा राधा स्वामी सत्संग चैरिटेबल अस्पताल के बाहर चक्का जाम कर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. साल 1999 से यह अस्पताल गरीब लोगों को निशुल्क इलाज दे रहा है. लोगों की प्रदेश सरकार से मांग है कि इस अस्पताल को किसी भी तरह बंद होने से बचाया जाए.
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ये है मामला
डेरा ब्यास प्रबंधन चाहता है कि वर्तमान में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के तहत चल रहे चैरिटेबल ट्रस्ट के भोटा अस्पताल को ब्यास डेरा की ही सिस्टर कंसर्न अथवा ऑर्गेनाइजेशन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर किया जाए. इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी होती है साथ ही लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव करना पड़ेगा. लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के लिए पहले ऑर्डिनेंस का ड्राफ्ट तैयार होगा. उसे विधि विभाग की राय के लिए भेजा जाएगा फिर इससे जुड़ा बिल विधानसभा में लाया जाएगा. विधानसभा में पास होने के बाद उसे राष्ट्रपति भवन की मंजूरी मिलना जरूरी है. राज्य सरकार ने ड्राफ्ट विधि विभाग को भेजा है. विधि विभाग ने इस पर आपत्तियां लगाई हैं. उन आपत्तियों के पीछे लैंड सीलिंग एक्ट के प्रावधान हैं.
उल्लेखनीय है कि डेरा ब्यास प्रबंधन की तरफ से राज्य सरकार को अवगत करवाया गया था कि यदि यह अस्पताल व संबंधित जमीन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर ना हो पाई तो प्रबंधन को मजबूरी में अस्पताल बंद करना पड़ेगा. इसका औपचारिक नोटिस भी सरकार को दिया गया था.