शिमलाः प्रदेश की मुख्य आर्थिकी सेब का सीजन इन दिनों जोरों पर है. सरकारें बागवानों की मेहनत को सही मोल दिलवाने के वायदे और दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. साल भर जी तोड़ मेहनत के बाद तैयार सेब सड़कों पर सड़ रहा है और सरकार और प्रशासन सुध लेने को तैयार नहीं है.
स्थानीय लोगों की सेब की खरीद के लिए एचपीएमसी का डिपू कुमारसैन की करेवथी पंचायत में खोला गया है और एचपीएमसी की नाकामी से यहां पर बागवानों का सेब खुले में सड़ रहा है, आवारा पशु सेब को खा रहे हैं और सड़क में पड़े सेबों के ऊपर से गाड़ियां चल रही हैं, लेकिन एचपीएमसी के कानों में जूं तक नही रेंग रही. बागवानों का कहना है कि कई दिनों से सेब को ले जाने के लिए एचपीएमसी की कोई गाड़ी नहीं आ रही है और एचपीएमसी के ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं.
एचपीएमसी ने यहां डिपू तो खोल दिया, लेकिन सेबरखने के लिए कोई स्टोर नहीं है जो बागवानों पर भारी पड़ रहा है. लोगों का आरोप है कि एचपीएमसी नियमित रूप से डिपू से सेब नहीं उठा रहा. जिसके चलते यहां तीन-चार तीन के बाद पर्ची कटती है, कई बार तो 10 दिनों के बाद भी नंबर आता है और तब कई बोरी सेब सड़ जाता है. सेब सड़ जाने के बादइसकी भरपाई भी किसानों से ही की जाती है. वहीं एचपीएमसी के कर्मचारी खुद सेब को चेक करने नहीं पहुंच रहे, जबकि ट्रांसपोर्टर और चौधरी सेब उठाने में मनमानी कर रहे हैं.
इन सभी अनियमितताओं पर विभाग का कोई कंट्रोल नहीं है. लोगों का कहना है कि एचपीएमसी कई सालों तक सेब की पेमेंट भी नहीं करती और कई बार सालों बाद सेब के पैसे के बदले बागवानों को इसके बदले एचपीएमसी का सामान दे देती है.
बता दें कि सरकार की ओर से एचपीएमसी ने बागवानों से सेब खरीदने का जिम्मा लिया है, लेकिन एचपीएमसी की लापरवाही क चलते बागवान मुख्यमंत्री और बागवानी मंत्री से मांग कर रहे हैं कि बागवानों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाए. साथ ही लोगों ने एचपीएमसी के कर्मचारियों के ढुलमुल रवैये पर रोक लगवाने की मांग की है.