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रामपुर: सेब के बगीचों में नमी की कमी, बारिश न होने के चलते सूखने लगे पौधे

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Published : Apr 5, 2021, 4:24 PM IST

प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में लंबे समय से मौसम की अनिश्चितता बनी हुई है. बागवानों की परेशानी सूखे ने काफी बढ़ा दी है. इन दिनों सेब के पेड़ों पर फूल आ रहे हैं और फलों की सेटिंग का समय भी है. बागवानों शिकायत कर रहे हैं कि सेब के नए पेड़ सूखने लगे हैं. जिन बगीचों में सुबह से धूप आती है, वहां सेब के पेड़ों पर सूखे से ज्यादा नुकसान हो रहा है. ऐसे इलाकों में बड़े पेड़ों पर भी सूखे की मार पड़ रही है.

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फोटो.

रामपुर: हिमाचल प्रदेश में सूखे से सेब के बगीचों पर भारी मार पड़ने लगी है. राज्य के जिन इलाकों में अधिक समय तक बगीचों में धूप रहती है, वहां सेब के नए पेड़ सूखने लगे हैं. कई जगह पुराने पेड़ भी सूखे की चपेट में आने से बागवानों की परेशानी बढ़ गई है.

प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में लंबे समय से मौसम की अनिश्चितता बनी हुई है. बागवानों की परेशानी सूखे ने काफी बढ़ा दी है. इन दिनों सेब के पेड़ों पर फूल आ रहे हैं और फलों की सेटिंग का समय भी है. बागवानों शिकायत कर रहे हैं कि सेब के नए पेड़ सूखने लगे हैं. जिन बगीचों में सुबह से धूप आती है, वहां सेब के पेड़ों पर सूखे से ज्यादा नुकसान हो रहा है. ऐसे इलाकों में बड़े पेड़ों पर भी सूखे की मार पड़ रही है.

वीडियो.

ऐसे बचाएं सेब के पौधों को

राज्य के सब्जी एवं फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के बागवान शिकायत कर रहे हैं कि सेब के पेड़ों पर सूखे की मार लंबे समय से पड़ रही है. अब पुराने पेड़ों को भी नुकसान हो रहा है. बागवानी विशेषज्ञ डॉ. जेसी वर्मा ने कहा कि बगीचों में फलदार पेड़ों को बचाने के लिए तौलियों में छेड़छाड़ न करें. तौलियों में उगी घाट काटकर तौलियों में भी बिछाकर मल्चिंग कर लें. ऐसा करने से बगीचे में नमी बनाकर रखी जा सकेगी और साथ ही पेड़ों को बचाया जा सकता है.

मौसम की मार से पीला पड़ गया लाल प्लम

मौसम की मार से प्लम की फसल पड़ रही है. रामपुर उपमंडल में इस वर्ष प्लम की बंपर फसल होने की उम्मीद थी, लेकिन पर्याप्त बर्फबारी और बारिश नहीं होने से सूखे की स्थिति पैदा हो गई है. इससे प्लम की फसल को शुरूआती दौर में ही नुकसान पहुंच रहा है.

हर वर्ष क्षेत्र के बागवान सूखा और आंधी-तूफान की मार झेल रहे हैं. फ्लावरिंग के दौरान मौसम साफ बने रहने से प्लम की फसल की सेटिंग खूब हुई और बागवानों को बंपर फसल की उम्मीद जगी थी, लेकिन सूखे के कारण नमी न होने से अब फसल प्रभावित हो रही है. सूखे की चलते प्लम का आकार बढ़ते ही दाने पीले पड़ रहे हैं. नतीजतन फल पेड़ों से गिर रहा है. इससे सूखे की मार से प्लम की फसल चौपट होने की कगार पर पहुंच गई है.

प्लम बागवानों की आर्थिकी का मुख्य साधन है

रामपुर उपमंडल के कई क्षेत्रों में सेब के साथ-साथ प्लम बागवानों की आर्थिकी का मुख्य साधन है. इन इलाकों में बागवान प्लम की विभिन्न किस्में तैयार करने में जुटे हैं. बागवानों को हर वर्ष मौसम की मार झेलनी पड़ रही है. इससे कभी सूखे के कारण फसल चौपट हो जाती है, तो कभी अंधड़ की चपेट में बागवानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.

क्षेत्र के प्रगतिशील बागवान सरस्वती ठाकुर, राधा कृष्ण, सुरेंद्र, योगराज, आनंद नेगी, विजय, रविंद्र, हर्ष, अनिल कुमार, रणवीर, चंद्र शेखर, भूपेंद्र चौहान, देवेंद्र कायथ और शेर सिंह ने कहा कि सूखे की मार के कारण प्लम की फसल बर्बाद हो रही है. तेज धूप और नमी नहीं होने से प्लम के दाने पीले पड़कर गिर रहे हैं. इस वर्ष भी बागवानों को मौसम की मार से खासा आर्थिक नुकसान झेलना होगा.

ये भी पढ़ें- निगम का संग्राम: वोटिंग से पहले पालमपुर से ग्राउंड रिपोर्ट, किसमें कितना है 'दम'

रामपुर: हिमाचल प्रदेश में सूखे से सेब के बगीचों पर भारी मार पड़ने लगी है. राज्य के जिन इलाकों में अधिक समय तक बगीचों में धूप रहती है, वहां सेब के नए पेड़ सूखने लगे हैं. कई जगह पुराने पेड़ भी सूखे की चपेट में आने से बागवानों की परेशानी बढ़ गई है.

प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में लंबे समय से मौसम की अनिश्चितता बनी हुई है. बागवानों की परेशानी सूखे ने काफी बढ़ा दी है. इन दिनों सेब के पेड़ों पर फूल आ रहे हैं और फलों की सेटिंग का समय भी है. बागवानों शिकायत कर रहे हैं कि सेब के नए पेड़ सूखने लगे हैं. जिन बगीचों में सुबह से धूप आती है, वहां सेब के पेड़ों पर सूखे से ज्यादा नुकसान हो रहा है. ऐसे इलाकों में बड़े पेड़ों पर भी सूखे की मार पड़ रही है.

वीडियो.

ऐसे बचाएं सेब के पौधों को

राज्य के सब्जी एवं फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के बागवान शिकायत कर रहे हैं कि सेब के पेड़ों पर सूखे की मार लंबे समय से पड़ रही है. अब पुराने पेड़ों को भी नुकसान हो रहा है. बागवानी विशेषज्ञ डॉ. जेसी वर्मा ने कहा कि बगीचों में फलदार पेड़ों को बचाने के लिए तौलियों में छेड़छाड़ न करें. तौलियों में उगी घाट काटकर तौलियों में भी बिछाकर मल्चिंग कर लें. ऐसा करने से बगीचे में नमी बनाकर रखी जा सकेगी और साथ ही पेड़ों को बचाया जा सकता है.

मौसम की मार से पीला पड़ गया लाल प्लम

मौसम की मार से प्लम की फसल पड़ रही है. रामपुर उपमंडल में इस वर्ष प्लम की बंपर फसल होने की उम्मीद थी, लेकिन पर्याप्त बर्फबारी और बारिश नहीं होने से सूखे की स्थिति पैदा हो गई है. इससे प्लम की फसल को शुरूआती दौर में ही नुकसान पहुंच रहा है.

हर वर्ष क्षेत्र के बागवान सूखा और आंधी-तूफान की मार झेल रहे हैं. फ्लावरिंग के दौरान मौसम साफ बने रहने से प्लम की फसल की सेटिंग खूब हुई और बागवानों को बंपर फसल की उम्मीद जगी थी, लेकिन सूखे के कारण नमी न होने से अब फसल प्रभावित हो रही है. सूखे की चलते प्लम का आकार बढ़ते ही दाने पीले पड़ रहे हैं. नतीजतन फल पेड़ों से गिर रहा है. इससे सूखे की मार से प्लम की फसल चौपट होने की कगार पर पहुंच गई है.

प्लम बागवानों की आर्थिकी का मुख्य साधन है

रामपुर उपमंडल के कई क्षेत्रों में सेब के साथ-साथ प्लम बागवानों की आर्थिकी का मुख्य साधन है. इन इलाकों में बागवान प्लम की विभिन्न किस्में तैयार करने में जुटे हैं. बागवानों को हर वर्ष मौसम की मार झेलनी पड़ रही है. इससे कभी सूखे के कारण फसल चौपट हो जाती है, तो कभी अंधड़ की चपेट में बागवानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.

क्षेत्र के प्रगतिशील बागवान सरस्वती ठाकुर, राधा कृष्ण, सुरेंद्र, योगराज, आनंद नेगी, विजय, रविंद्र, हर्ष, अनिल कुमार, रणवीर, चंद्र शेखर, भूपेंद्र चौहान, देवेंद्र कायथ और शेर सिंह ने कहा कि सूखे की मार के कारण प्लम की फसल बर्बाद हो रही है. तेज धूप और नमी नहीं होने से प्लम के दाने पीले पड़कर गिर रहे हैं. इस वर्ष भी बागवानों को मौसम की मार से खासा आर्थिक नुकसान झेलना होगा.

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