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कोरोना संकट के बीच बागवानों पर एक और आफत, बगीचों में 'स्कैब' की दस्तक

सेब पर स्कैब लगने से रोहड़ू के बागवानों को चिंता में डाल दिया हैं. बागवानों का कहना है कि काफी सालों बाद स्कैब ज्यादा परेशान कर रहा.वहीं, संबंधित विभाग बागवानों को दवाई छिड़काव की सलाह दे रहा है.

apple garden in upper shimla affected with scab disease
apple garden in upper shimla affected with scab disease
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Published : Jul 15, 2020, 7:14 PM IST

रोहड़ू: प्रदेश में आज बुधवार से सेब सीजन की शुरुआत हो चुकी है और इसके साथ ही बागवानों के लिए परेशानी भी बढ़ गई है. पहले बागवान कोरोना संकट के दौर में मजदूरों की कमी और फसल को मंडियों तक पहुंचाने के लिए परेशान थे वहीं, अब सेब के बगीचों में स्कैब बीमारी की दस्तक ने उनकी चिंता को और बढ़ा दिया है.

अप्पर शिमला के क्षेत्रों में सेब में लग रहे स्कैब रोग ने बागवानों की चिंता को बढ़ा दिया है. शिमला के सेब उत्पादक क्षेत्रों में करीब 60 प्रतिशत बगीचों में स्कैब रोग का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. बागवान सेब पर लगी बीमारी के लिए संबंधित विभाग से सलाह लेकर काम कर रहे हैं.

वीडियो.

अप्पर शिमला के कई बगीचों में स्कैब रोग से फल-पत्तियां खराब हो चुके हैं. ऐसे में मजबूरन बागवानों को दवाइयों को छिड़काव करना पड़ रहा है, जिससे उनकी उत्पादन लागत भी बढ़ती जा रही है. वहीं, बीमारी की वजह से खरबा फलों को फेंकना पड़ रहा है.

सेब में लगने वाला स्कैब एक प्रकार का फंगस रोग है. यह बीमारी पहली बार साल 1984 में सेब में फैली थी. उस दौरान इस बीमारी से सेब की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था. यह बीमारी पत्तों के साथ-साथ फलों को भी बूरी तरह से नुकसान करती है.

क्या है स्कैब रोग

वैसे तो ये फंगस बीमारी होने के कारण स्कैब रोग कभी बारिश और कभी धूप की वजह से शुरू होता है. अधिकतर यह बीमारी नमी वाली जगहों पर ज्यादा देखने को मिलती है, लेकिन इस बार स्कैब के लिए अनुकूल मौसम होने की वजह से यह ज्यादा फैल रही है.

अगर इस रोग पर जल्द काबू नहीं पाया जाता है तो फलों और पत्तियों पर स्कैब बड़े आकार के काले धब्बे के रूप में दिखता है. मौजूदा समय में स्कैब रोग ऊपरी शिमला के अधिकतर बगीचों में फैल चुका है. बागवान विभाग भी इसे लेकर सतर्क हो गया है.

बागवानी विभाग इस बीमारी से सेब की फसल को बचाने के लिए समय पर दवाइयों के छिड़काव की सलाह दे रहा है, ताकि फसल को खराब होने से बचाया जा सके. अगर स्कैब पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

स्कैब जहां सेब के पत्तों को बुरी तरह से तबाह कर देता. वहीं, धीरे-धीरे फल को भी सड़ा कर खाने लायक नहीं रखता. बागवानों का कहना है कि 1984 के बाद इस बार स्कैब सेब को खराब कर रहा है, विभाग को चाहिए की इसकी रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए.

वहीं, पूर्व उद्यान अधिकारी और बागवानी विशेषज्ञ डॉ. अगर दास ने कहा कि बागवान समय रहते बागवानी विभाग द्वारा बताई जा रही दवाइयों का छिड़काव करें. बीमारी को रोकने के लिए किसी भी तरह की गलत दवाई की स्प्रे ना करें.

ये भी पढ़ें : राजस्थान की राजनीति में 'भूचाल', जानें क्या बोले हिमाचल कांग्रेस के विधायक विक्रमादित्य सिंह

रोहड़ू: प्रदेश में आज बुधवार से सेब सीजन की शुरुआत हो चुकी है और इसके साथ ही बागवानों के लिए परेशानी भी बढ़ गई है. पहले बागवान कोरोना संकट के दौर में मजदूरों की कमी और फसल को मंडियों तक पहुंचाने के लिए परेशान थे वहीं, अब सेब के बगीचों में स्कैब बीमारी की दस्तक ने उनकी चिंता को और बढ़ा दिया है.

अप्पर शिमला के क्षेत्रों में सेब में लग रहे स्कैब रोग ने बागवानों की चिंता को बढ़ा दिया है. शिमला के सेब उत्पादक क्षेत्रों में करीब 60 प्रतिशत बगीचों में स्कैब रोग का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. बागवान सेब पर लगी बीमारी के लिए संबंधित विभाग से सलाह लेकर काम कर रहे हैं.

वीडियो.

अप्पर शिमला के कई बगीचों में स्कैब रोग से फल-पत्तियां खराब हो चुके हैं. ऐसे में मजबूरन बागवानों को दवाइयों को छिड़काव करना पड़ रहा है, जिससे उनकी उत्पादन लागत भी बढ़ती जा रही है. वहीं, बीमारी की वजह से खरबा फलों को फेंकना पड़ रहा है.

सेब में लगने वाला स्कैब एक प्रकार का फंगस रोग है. यह बीमारी पहली बार साल 1984 में सेब में फैली थी. उस दौरान इस बीमारी से सेब की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था. यह बीमारी पत्तों के साथ-साथ फलों को भी बूरी तरह से नुकसान करती है.

क्या है स्कैब रोग

वैसे तो ये फंगस बीमारी होने के कारण स्कैब रोग कभी बारिश और कभी धूप की वजह से शुरू होता है. अधिकतर यह बीमारी नमी वाली जगहों पर ज्यादा देखने को मिलती है, लेकिन इस बार स्कैब के लिए अनुकूल मौसम होने की वजह से यह ज्यादा फैल रही है.

अगर इस रोग पर जल्द काबू नहीं पाया जाता है तो फलों और पत्तियों पर स्कैब बड़े आकार के काले धब्बे के रूप में दिखता है. मौजूदा समय में स्कैब रोग ऊपरी शिमला के अधिकतर बगीचों में फैल चुका है. बागवान विभाग भी इसे लेकर सतर्क हो गया है.

बागवानी विभाग इस बीमारी से सेब की फसल को बचाने के लिए समय पर दवाइयों के छिड़काव की सलाह दे रहा है, ताकि फसल को खराब होने से बचाया जा सके. अगर स्कैब पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

स्कैब जहां सेब के पत्तों को बुरी तरह से तबाह कर देता. वहीं, धीरे-धीरे फल को भी सड़ा कर खाने लायक नहीं रखता. बागवानों का कहना है कि 1984 के बाद इस बार स्कैब सेब को खराब कर रहा है, विभाग को चाहिए की इसकी रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए.

वहीं, पूर्व उद्यान अधिकारी और बागवानी विशेषज्ञ डॉ. अगर दास ने कहा कि बागवान समय रहते बागवानी विभाग द्वारा बताई जा रही दवाइयों का छिड़काव करें. बीमारी को रोकने के लिए किसी भी तरह की गलत दवाई की स्प्रे ना करें.

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