शिमला: हिमाचल की बेटी ने एक बार फिर से प्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर चमकाया है. 9 साल की अंशिका अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए सब जूनियर राष्ट्रीय ताइक्वांडो क्योरुगी व पूमसे ताइक्वांडो चैंपियनशिप में प्रदेश की झोली में ब्रॉन्ज मेडल डाला है.
आंशिका ने यह मेडल 22 किलोग्राम भार वर्ग में हासिल किया है. पहले मैच में अंशिका ने राज्यस्थान की खिलाड़ी, दूसरे मैच में नागालैंड की खिलाड़ी को हरा कर क्वाटर फाइनल में जगह बनाई. इसके बाद क्वाटर फाइनल में मेजबान तेलंगाना को 21-24 अंको के अंतर से मात दे कर सेमीफाइनल में जगह बनाई. इस मुकाबले में केरला की खिलाड़ी से अंशिका का मुकाबला हुआ जिसमें 29-24 अंको के अंतर से आंशिक फाइनल में जगह बनाने से चूक गई और हिमाचल को मात्र ब्रॉन्ज मेडल से ही संतोष करना पड़ा .
मेडल जीत कर आई अंशिका का राजधानी शिमला में हिमाचल प्रदेश ताइक्वांडो एसोसिएशन के सदस्यों ने भव्य तरीके से स्वागत किया. अंशिका ने बताया कि किस तरह से तीन मुकाबले जीत कर उन्होंने सेमीफाइनल में जगह बनाई, लेकिन अंतिम मुकाबले में कॉम्पिटिशन काफी कठिन था जिसके कारण वो कुछ अंको से जीत हासिल करने से चूक गई लेकिन, भविष्य में वह उस खिलाड़ी को हरा कर हिमाचल की झोली में गोल्ड मेडल जरूर डालेगी.
अंशिका ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि वो पहली कक्षा से ताइक्वांडो सीख रही हैं और उनका लक्ष्य है कि वो ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करें ओर गोल्ड मेडल जीते. इसके लिए अंशिका तैयारी भी अभी से कर रही है और रोजाना तीन घंटे खेल का अभ्यास करती है. अंशिका ने दूसरे खिलाड़ियों को भी यही संदेश दिया है कि वो खेल के दौरान अपने आत्मविश्वास को बनाएं रखे और खुद को किसी भी स्तर पर कम ना आंके.
अंशिका के कोच ने बताया कि वह इसे बड़ी उपलब्धि मानते है. यह सोचना गलत है कि यह सबजूनियर या छोटे खिलाड़ी है क्योंकि इन्ही खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा कॉम्पिटिशन होता है,जबकि इतना कॉपीटीशन अन्य खिलाड़ियों का नहीं होता है. उन्होंने कहा कि भविष्य में अंशिका गोल्ड मेडल प्रदेश के लिए ले कर आए इसके लिए उसे तैयार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता में देश भर के राज्यों से 750 के करीब खिलाड़ियों ने भाग लिया हैं.
अंशिका की इस उपलब्धि पर उसकी मां को भी गर्व है. उन्होंने कहा कि हर एक लड़की के अंदर यह क्षमता है कि वो अपनी प्रतिभा के दम पर प्रदेश और देश का नाम रोशन कर सकती है. लड़कियों को भी आगे आने का अवसर देना चाहिए. उन्होंने अंशिका को लेकर अपने सपनों के बारे में बताते हुए कहा कि वो अपनी बेटी को ओलंपिक्स में खेलते हुए देखना चाहती है.