रामपुर/शिमला: आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स पिछले कई सालों से अपनी मांगों को लेकर सरकार के समक्ष आवाज उठा रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार उनकी मांगों पर कोई भी कदम नहीं उठा रही है, जिससे आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स में रोष है.
आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स यूनियन ने कहा कि हाल में ही सरकार ने 3-6 वर्ष तक के बच्चों को स्कूलों में दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. केंद्र सरकार की ओर से बाल विकास परियोजनाओं को भी आदेश जारी किए हैं कि 3-6 वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार दिया जाए, जिससे उनका समुचित विकास हो सके और कुपोषण जैसी बीमारी से दूर रहे.
पिछले दो वर्षों से आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. जमीनी स्तर पर आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स बहुत काम कर रहे हैं. आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स की राज्य कमेटी की ओर से भी समय-समय पर सरकार के समक्ष मांगे रखी जाती है, लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
शुक्रवार को आनी में सीटू के बैनर तले आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स ने मांग पत्र को एसडीएम आनी चेत सिंह के माध्यम से निदेशक, महिला बाल विकास विभाग, हिमाचल प्रदेश को भेजा.यूनियन की प्रधान नीलम जसवाल व महासचिव राज कुमारी ने कहा कि मांग पत्र में विभिन्न मांगे रखी गई है, जिसमें हरियाणा की तर्ज पर आंगनबाड़ी वर्कर्स को 12900 व हेल्पर्स को 600 मानदेय व महंगाई भत्ता भी दिया जाए.
हरियाणा की तर्ज पर सेवानिवृत्त आयु सीमा को 65 वर्ष का किया जाए जैसा कि हरियाणा में वर्ष 2013 से लागू है. मई 2013 से मार्च 2015 तक लंबित एनआरएचएम की बकाया राशि का भुगतान किया जाए. मांग पत्र में कहा गया कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी का दर्जा दिया जाए.
पहले से ही आंगनबाड़ी केंद्र प्री-प्राइमरी कक्षाएं चला रहे हैं.यूनियन ने कहा कि पोषाहार ढुलाई जो 38 रुपये प्रति किलोमीटर है. इसे बढ़ाकर 100 रुपये प्रति किलोमीटर किया जाए. आईसीडीएस के तहत आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स की जीएसएलआई पॉलिसी की गई है. उसका पैसा वापिस किया जाए.
यूनियन ने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर्स, जो सुपरवाइजर के लिए विभागीय परीक्षा देती है. उसकी आयु 45 वर्ष शर्त हटा दी जाए और भर्ती नियमों को संशोधित किया जाए. विभाग ने जो फोन दिए है, उसमें नेटवर्क की काफ़ी दिक्कतें हैं. आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स को सिम पोर्ट करने को कहा जा रहा है. ये सब विभाग स्वयं करके दें.
वहीं, यूनियन ने कहा कि जब आंगनबाड़ी वर्कर्स या हेल्पर्स प्रशिक्षण के लिए जाती है तो सिर्फ बस किराया 400 रुपये दिया जाता है. इसके अलावा सारा खर्चा स्वयं वहन करना पड़ता है. उन्होंने मांग की है कि इस पर भी विचार किया जाए. इसके अलावा किसी भी प्रोजेक्ट में स्टेशनरी का खर्चा नहीं शामिल है.
सारा खर्चा स्वयं ही आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स को उठाना पड़ता है. यूनियन ने मांग कि है कि सभी प्रोजेक्ट में स्टेशनरी का खर्चा भी जोड़ा जाए, जिससे काम करने में आसानी हो. यूनियन ने कहा कि अगर मांगे पूरी नहीं हुई तो आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स जल्द राज्य कमेटी के साथ मिलकर प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी.