रामपुर: शिमला से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर जुब्बल कोटखाई में पब्बर नदी के किनारे मां हाटेश्वरी का प्राचीन मंदिर स्थित है. मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 800 वर्ष पहले हुआ था. मंदिर के साथ लगते सुनपुर के टीले पर कभी विराट नगरी थी जहां पर पांडवों ने अपना अज्ञातवास का कुछ समय यहां व्यतीत किए था.
मान्यता है कि पांडवों ने मंदिर में कुछ दिन व्यतीत किए थे और इसके प्रमाण आज भी यहां पर देखने को मिलते हैं. मंदिर में पत्थरों से बनाए गई पांच पांडवों की मूर्तियां विराजमान हैं, जिनकी लोग आज भी पूजा करते है. लोगों की इस मंदिर से अटूट आस्था जुड़ी है.
माता हाटेश्वरी का मंदिर विशकुल्टी, राईनाला और पब्बर नदी के संगम पर सोनपुरी पहाड़ी पर स्थित है. मूलरूप से यह मंदिर शिखराकार नागर शैली में बना हुआ था बाद में एक श्रद्धालु ने इसकी मरम्मत कर इसे पहाड़ी शैली के रूप में परिवर्तित कर दिया था.
कहा जाता है कि यहां पर माता की मूर्ति को ले जाने के लिए नेपाल के राजा आए थे. वे माता की मूर्ति को अपने साथ ले जाना चाहते थे और अपने राज्य में स्थापित करना चाहते थे, लेकिन राजा यहां से माता की मूर्ति को उठाने में नाकाम रहे. आखिर में हार मानते हुए वे वापिस लौट गए. माता के मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आशीर्वाद लेने आते हैं.
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